आंध्र प्रदेश हाईकोर्ट, अमरावती ने हांगकांग स्थित ज़ायन शिपिंग लिमिटेड को बड़ा झटका देते हुए 1,600 मीट्रिक टन चावल की खेप पर लगाया गया अस्थायी अटैचमेंट आदेश रद्द कर दिया है। यह चावल सरला फूड्स प्रा. लि. का था और काकीनाडा पोर्ट पर लोड हो रहा था। न्यायमूर्ति चल्ला गुणारंजन ने 13 अक्टूबर 2025 को यह फैसला सुनाया, जिससे भारतीय निर्यातक कंपनी को लगभग एक वर्ष से चल रहे डिमरेज विवाद में राहत मिली।
पृष्ठभूमि
ज़ायन शिपिंग लिमिटेड, जो अंतरराष्ट्रीय स्तर पर जहाज़ों का स्वामित्व और चार्टरिंग करती है, ने मार्च 2021 में सरला फूड्स और उसकी सहयोगी कंपनियों के साथ एक चार्टर पार्टी समझौता किया था। इसके तहत काकीनाडा, आंध्र प्रदेश से वियतनाम के हो ची मिन्ह सिटी तक चावल का परिवहन होना था।
कंपनी का आरोप था कि वियतनाम के पोर्ट पर अनलोडिंग में देरी हुई, जिससे उसे लगभग 1,28,000 अमेरिकी डॉलर का डिमरेज नुकसान हुआ, जो ब्याज और अन्य लागतों समेत बढ़कर लगभग 2,96,326 अमेरिकी डॉलर तक पहुंच गया।
जब सरला फूड्स ने भुगतान नहीं किया, तो ज़ायन ने 1996 के मध्यस्थता और सुलह अधिनियम की धारा 9 के तहत आंध्र प्रदेश हाईकोर्ट में याचिका दायर की, ताकि सिंगापुर में होने वाली मध्यस्थता से पहले उसके दावे को सुरक्षित किया जा सके। कंपनी ने अदालत से अनुरोध किया कि या तो चावल की खेप को अटैच किया जाए या फिर सरला फूड्स को इतनी राशि की सुरक्षा जमा करने का निर्देश दिया जाए।
अप्रैल 2024 में अदालत ने पहले शर्तीय अटैचमेंट आदेश दिया था, जिसके तहत सरला फूड्स को समकक्ष सुरक्षा राशि जमा करनी पड़ी। कंपनी ने आदेश का पालन किया, लेकिन जल्द ही अपील करते हुए कहा कि ज़ायन ने इस प्रावधान का दुरुपयोग किया है ताकि उसे दबाव में लाकर समझौते के लिए मजबूर किया जा सके।
अदालत के अवलोकन
न्यायमूर्ति गुणारंजन ने पाया कि ज़ायन ने 2021 में चालान जारी करने के बाद लगभग तीन वर्षों तक कोई कानूनी कदम नहीं उठाया, जिससे उसकी तत्काल राहत की मांग कमजोर हो गई। अदालत ने यह भी माना कि डिमरेज दावा “पूर्व-निर्धारित हर्जाने” की प्रकृति का है, जिसे अभी तक किसी न्यायाधिकरण या अदालत ने तय नहीं किया, इसलिए इसे फिलहाल देय ऋण (debt) नहीं माना जा सकता।
“याचिकाकर्ता ने प्रारंभिक मांग तो की थी, लेकिन वर्षों तक चुप बैठा रहा,” न्यायाधीश ने टिप्पणी की और इस कदम को “आखिरी समय में सुरक्षा पाने की कोशिश” बताया।
अदालत ने यह भी स्पष्ट किया कि सरला फूड्स द्वारा संपत्ति बेचने या छिपाने की संभावना पर ज़ायन के आरोप सामान्य और अस्पष्ट हैं और दीवानी प्रक्रिया संहिता की आदेश 38 नियम 5 के तहत आवश्यक कठोर मानदंडों को पूरा नहीं करते।
सुप्रीम कोर्ट के रमन टेक बनाम सोलंकी ट्रेडर्स और सांघी इंडस्ट्रीज बनाम राविन केबल्स जैसे मामलों का हवाला देते हुए अदालत ने कहा कि अटैचमेंट की शक्ति “कठोर और असाधारण” है और इसे यांत्रिक ढंग से नहीं अपनाया जा सकता।
“याचिकाकर्ता ने संपत्ति के कम होने की कोई ठोस संभावना नहीं दिखाई है। जिस चावल को अटैच करने की बात हो रही है, वह तो सामान्य व्यापारिक माल (stock in trade) है,” न्यायमूर्ति गुणारंजन ने कहा। उन्होंने यह भी जोड़ा कि ज़ायन ने उचित समय पर कदम नहीं उठाया, इसलिए संतुलन सरला फूड्स के पक्ष में है।
निर्णय
अंततः अदालत ने पाया कि ज़ायन शिपिंग कोई प्राथमिक रूप से मजबूत मामला (prima facie case) पेश नहीं कर पाई। इसलिए हाईकोर्ट ने 23 अप्रैल 2024 को पारित अपने अस्थायी आदेश को रद्द कर दिया और निर्देश दिया कि अदालत की रजिस्ट्री सरला फूड्स प्रा. लि. को जमा की गई 2,96,326.74 अमेरिकी डॉलर की सुरक्षा राशि वापस लौटाए।
इस फैसले के साथ, आंध्र प्रदेश हाईकोर्ट ने यह स्पष्ट कर दिया कि ऐसे अंतरिम आदेशों का उपयोग किसी असुरक्षित व्यावसायिक दावे को सुरक्षित ऋण में बदलने के लिए नहीं किया जा सकता। दोनों पक्षों के बीच मध्यस्थता की प्रक्रिया सिंगापुर में अभी जारी है।
Case Title: Zion Shipping Ltd. vs. Sarala Foods Pvt. Ltd. & Others
Case Type: International Commercial Arbitration Original Application No. 5 of 2024
Date of Judgment: October 13, 2025