बुधवार को एक महत्वपूर्ण फैसले में, भारत के सर्वोच्च न्यायालय ने पॉक्सो अधिनियम (POCSO) के तहत आरोपी 15 वर्षीय लड़के को जमानत दे दी, साथ ही यह भी कहा कि स्कूलों में सेक्स एजुकेशन (यौन शिक्षा) की शुरुआत कक्षा 9 से पहले ही होनी चाहिए।
न्यायमूर्ति संजय कुमार और न्यायमूर्ति आलोक अराधे की पीठ ने यह आदेश सुनाते हुए कहा कि बच्चों को कम उम्र से ही शारीरिक और भावनात्मक बदलावों की समझ दी जानी चाहिए। यह फैसला इलाहाबाद हाईकोर्ट के उस आदेश को चुनौती देने वाली अपील पर आया जिसमें जमानत से इनकार किया गया था।
पृष्ठभूमि
यह मामला उत्तर प्रदेश के एक नाबालिग लड़के से जुड़ा है, जिस पर भारतीय दंड संहिता (IPC) की धारा 376 (बलात्कार) और धारा 506 (आपराधिक धमकी) के साथ-साथ पॉक्सो अधिनियम की धारा 6 (गंभीर यौन अपराध) के तहत आरोप लगाए गए थे।
28 अगस्त 2024 को हाईकोर्ट ने उसकी जमानत याचिका खारिज कर दी थी, जिसके बाद किशोर ने अपने वकील श्री वी. एन. राघुपति के माध्यम से सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया।
शीर्ष अदालत ने 10 सितंबर 2025 को उसे अंतरिम जमानत दी थी और किशोर न्याय बोर्ड (Juvenile Justice Board) को उचित शर्तें तय करने का निर्देश दिया था। इसी दौरान अदालत ने उत्तर प्रदेश सरकार से यह भी पूछा था कि राज्य के स्कूलों में सेक्स एजुकेशन को कैसे लागू किया जा रहा है।
न्यायालय के अवलोकन
8 अक्टूबर 2025 को राज्य सरकार ने संभल जिले के सर्किल ऑफिसर के माध्यम से एक हलफनामा दाखिल किया, जिसमें बताया गया कि कक्षा 9 से 12 तक सेक्स एजुकेशन को एनसीईआरटी (NCERT) के दिशा-निर्देशों के अनुरूप पाठ्यक्रम में शामिल किया गया है।
लेकिन पीठ इस व्यवस्था से पूरी तरह संतुष्ट नहीं दिखी। न्यायालय ने टिप्पणी की,
"हमारा मत है कि बच्चों को कक्षा 9 से नहीं बल्कि कम उम्र से ही सेक्स एजुकेशन दी जानी चाहिए।"
अदालत ने आगे कहा कि ,
“प्रशासन को इस पर गंभीरता से विचार करना चाहिए ताकि बच्चे यौवन के बाद आने वाले बदलावों और उनसे जुड़ी सावधानियों के बारे में जागरूक हो सकें।”
हालांकि यह टिप्पणी एक जमानत मामले के दौरान की गई थी, लेकिन इसका सामाजिक महत्व कहीं अधिक है। न्यायालय ने स्पष्ट संकेत दिया कि किशोरों में जागरूकता की कमी कभी-कभी कानूनी संकटों का कारण बन जाती है।
फैसला
सुप्रीम कोर्ट ने हाईकोर्ट का आदेश रद्द करते हुए अपील स्वीकार कर ली और पहले दिया गया 10 सितंबर 2025 का जमानत आदेश स्थायी कर दिया, जो अब मुकदमे के निपटारे तक लागू रहेगा।
पीठ ने कहा, "अपील स्वीकार की जाती है," और यह स्पष्ट किया कि मामले के गुण-दोष पर कोई टिप्पणी नहीं की गई है, यह फैसला केवल जमानत तक सीमित है।
सभी लंबित आवेदन भी निपटा दिए गए।
Case Title: Juvenile X vs. State of Uttar Pradesh
Case Number: Criminal Appeal No. _ of 2025 (Arising out of SLP (Crl.) No. 10915 of 2025)
Date of Order: October 8, 2025