एर्नाकुलम, 9 अक्टूबर - केरल हाईकोर्ट ने गुरुवार को हाल फिल्म के सेंसर विवाद में केंद्र सरकार के वकील को निर्देश दिए कि वे मामले पर आवश्यक जानकारी प्राप्त करें। यह याचिका फिल्म के निर्माता और निर्देशक ने दायर की है, जिन्होंने सेंसर बोर्ड पर मनमानी और अनुचित कट्स व बदलाव की मांग का आरोप लगाया है।
न्यायमूर्ति एन. नागरेश की अध्यक्षता वाली पीठ के समक्ष सुनवाई के दौरान कलात्मक स्वतंत्रता, प्रशासनिक देरी और बिना कारण बताए रिवाइजिंग कमेटी को फिल्म भेजने के मुद्दों पर जोरदार बहस हुई।
पृष्ठभूमि
शेन निगम अभिनीत फिल्म हाल को केंद्रीय फिल्म प्रमाणन बोर्ड (CBFC) ने 10 सितंबर 2025 को देखा था। हालांकि, याचिका के अनुसार कई दिनों तक बोर्ड ने कोई निर्णय नहीं सुनाया। जब फिल्म निर्माताओं ने ऑनलाइन पोर्टल पर स्थिति देखी, तो पाया कि फिल्म को बिना किसी लिखित कारण के रिवाइजिंग कमेटी को भेज दिया गया है।
याचिकाकर्ता जुबी थॉमस और उनके सह-निर्माता ने आरोप लगाया कि यह कदम “बिना किसी उचित कारण के” और प्रक्रिया की पारदर्शिता के विरुद्ध उठाया गया। उनका कहना है कि सीबीएफसी द्वारा मांगे गए छह संशोधन अनुचित हैं - जिनमें "बीफ बिरयानी खाने" वाले दृश्य को हटाने और एक सीन में नायिका द्वारा मुस्लिम धार्मिक परिधान पहनने वाले दृश्य को बदलने की मांग शामिल है।
अन्य निर्देशों में "होली एंजल्स कॉलेज ऑफ नर्सिंग" नाम को धुंधला करने का सुझाव भी दिया गया, जिसे याचिकाकर्ताओं ने अनावश्यक बताया।
याचिका में कहा गया है,
"फिल्म में न हिंसा है, न कोई अश्लीलता। ये कट न केवल अव्यावहारिक हैं बल्कि पूरी टीम के लिए अनुचित भी हैं।"
अदालत की टिप्पणियाँ
सुनवाई के दौरान न्यायमूर्ति एन. नागरेश ने संतुलित रुख अपनाया। पीठ ने कहा, “सरकार को औपचारिक रूप से जवाब देना होगा। आवश्यक निर्देश लिए जाएं।”
फिल्म निर्माताओं के वकील ने तर्क दिया कि सेंसर बोर्ड का फैसला “मनमाना और बाहरी प्रभावों से प्रेरित” था। उन्होंने यहां तक कहा कि देरी शायद शेन निगम की दूसरी फिल्म की रिलीज़ के कारण हुई हो।
दिलचस्प बात यह रही कि याचिकाकर्ताओं ने सेंसर प्रक्रिया में सुधार का सुझाव भी दिया - उनका कहना था कि फिल्म स्क्रिप्ट को शूटिंग शुरू होने से पहले ही प्रमाणित किया जाना चाहिए। उन्होंने दो-स्तरीय सेंसर प्रणाली की मांग की - एक स्क्रिप्ट स्तर पर और दूसरी फिल्म पूरी होने के बाद, ताकि “फिल्मकारों को आखिरी समय की परेशानी से बचाया जा सके।”
निर्णय
संक्षिप्त सुनवाई के बाद हाईकोर्ट ने केंद्र सरकार के वकील को निर्देश दिया कि वे विस्तृत जानकारी लेकर अदालत को सूचित करें। मामला अब 14 अक्टूबर को सुनवाई के लिए सूचीबद्ध किया गया है।
अदालत ने कोई अंतरिम राहत नहीं दी और फिल्म की सामग्री की समीक्षा के लिए एडवोकेट कमिश्नर नियुक्त करने की मांग पर तत्काल विचार नहीं किया।
फिलहाल, हाल को प्रमाणपत्र नहीं मिला है और इसका सितंबर में प्रस्तावित रिलीज़ अनिश्चित काल के लिए स्थगित है।