मध्य प्रदेश हाईकोर्ट, इंदौर बेंच ने 1 अक्टूबर 2025 को लक्ष्मीनारायण उर्फ कन्हा को खर्गोन जिले में दर्ज POCSO मामले में जमानत दे दी। न्यायमूर्ति हिमांशु जोशी ने Misc क्रिमिनल केस नं. 44699/2025 में दोनों पक्षों की दलीलें और केस डायरी में दर्ज सामग्री देखने के बाद यह आदेश पारित किया।
पृष्ठभूमि
यह मामला 12 जुलाई 2025 को दर्ज शिकायत से जुड़ा है, जिसमें 16 वर्षीय लड़की के भाई ने गोगावा, जिला खर्गोन में उसकी गुमशुदगी की रिपोर्ट दर्ज कराई थी। परिवार का कहना था कि बहन अपने मोबाइल पर एक संदेश देखने के बाद नाराज़ होकर घर से बिना बताए चली गई थी। दो दिन बाद लड़की को बरामद किया गया और पुलिस ने लक्ष्मीनारायण को गिरफ्तार किया, जिस पर उसे बहलाने-फुसलाने और अगवा करने का आरोप लगाया गया।
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उसे भारतीय दंड संहिता (BNS), 2023 की धाराओं 137(2), 64(1), 87 और 127(2) तथा POCSO अधिनियम, 2012 की धाराओं 3 और 4 के तहत अभियुक्त बनाया गया था।
आवेदक 14 जुलाई 2025 से जेल में था। उसके वकील, अधिवक्ता अनुपम चौहान ने दलील दी कि लक्ष्मीनारायण को केवल संदेह के आधार पर फंसाया गया है और उसके खिलाफ कोई ठोस सबूत या यौन अपराध का प्रमाण नहीं है।
अदालत के अवलोकन
न्यायमूर्ति जोशी ने जांच अभिलेखों का बारीकी से अवलोकन करते हुए कहा कि पीड़िता के धारा 164 सीआरपीसी के तहत दर्ज बयान में आवेदक के खिलाफ कोई आरोप नहीं लगाया गया।
“अभियोजन की सच्चाई और अभियुक्त की संलिप्तता का निर्धारण विचारण के दौरान ही होगा,” पीठ ने कहा, यह जोड़ते हुए कि ऐसा कोई प्रमाण नहीं है जिससे लगे कि आरोपी ने लड़की को जबरन अपने साथ जाने को विवश किया या बार-बार संपर्क किया।
अदालत ने यह भी माना कि अभियोजन पक्ष ने यह तर्क दिया कि आरोपी के खिलाफ पहले भी इसी तरह के आरोप वाला एक मामला लंबित है। लेकिन न्यायाधीश ने कहा कि वर्तमान मामले में ऐसा कोई प्रत्यक्ष सबूत नहीं है जिससे यह साबित हो कि आरोपी ने अपहरण या यौन उत्पीड़न किया।
आवेदक की उम्र 18 वर्ष और उसका पेशा ड्राइवर होने को देखते हुए न्यायालय ने माना कि उसके सबूतों से छेड़छाड़ या गवाहों को प्रभावित करने की संभावना नहीं है।
न्यायमूर्ति जोशी ने कहा कि “एक युवा अभियुक्त की निरंतर कैद का कोई विशेष औचित्य नहीं है,” और उसे निष्पक्ष रूप से अपना बचाव करने का अवसर मिलना चाहिए।
निर्णय
अदालत ने जमानत आवेदन स्वीकार करते हुए लक्ष्मीनारायण उर्फ कन्हा को ₹25,000 के व्यक्तिगत मुचलके और समान राशि की एक जमानत पर रिहा करने का आदेश दिया।
आदेश में जमानत की शर्तें अंग्रेज़ी और हिंदी दोनों भाषाओं में स्पष्ट रूप से दी गईं ताकि अभियुक्त को पूरी समझ हो सके। इनमें प्रमुख शर्तें इस प्रकार हैं -
- हर सुनवाई की तारीख पर अदालत में उपस्थित रहना।
- समान प्रकृति का कोई अपराध न करना या उसमें शामिल न होना।
- किसी गवाह या संबंधित व्यक्ति को धमकाना या प्रभावित करने का प्रयास न करना।
- भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता (BNSS), 2023 की धारा 346 के प्रावधानों का पालन करना।
न्यायमूर्ति जोशी ने स्पष्ट किया कि यह जमानत आदेश मुकदमे की समाप्ति तक प्रभावी रहेगा, लेकिन यदि शर्तों का उल्लंघन होता है तो निचली अदालत इसे रद्द कर सकती है।
अदालत ने यह भी निर्देश दिया कि ट्रायल कोर्ट यह सुनिश्चित करे कि सभी जमानत शर्तें अभियुक्त और जमानती दोनों को समझा दी जाएं, और यदि कोई व्यक्ति लिखने में असमर्थ हो तो लेखक प्रमाणित करे कि उसने शर्तें विस्तार से समझाई हैं।
Case Title: Laxminarayan @ Kanha v. The State of Madhya Pradesh and Others
Case Number: Misc. Criminal Case (MCRC) No. 44699 of 2025
Date of Order: 1 October 2025