Logo
Court Book - India Code App - Play Store

सुप्रीम कोर्ट ने DM गेमिंग पर FIR रद्द को बरकरार रखा, पोकर को ‘कौशल का खेल’ मानने पर फैसला टाला

Vivek G.

सुप्रीम कोर्ट ने डीएम गेमिंग पर एफआईआर रद्द बरकरार रखी, पर भारत में पोकर को कौशल खेल मानने का विवाद खुला छोड़ा।

सुप्रीम कोर्ट ने DM गेमिंग पर FIR रद्द को बरकरार रखा, पोकर को ‘कौशल का खेल’ मानने पर फैसला टाला
Join Telegram

नई दिल्ली, 29 सितंबर: सोमवार को हुई संक्षिप्त लेकिन अहम सुनवाई में सुप्रीम कोर्ट ने कर्नाटक हाई कोर्ट का वह आदेश बरकरार रखा जिसमें बेंगलुरु स्थित डीएम गेमिंग लिमिटेड के खिलाफ दर्ज एफआईआर को रद्द किया गया था। यह क्लब अक्सर शाम को पोकर टेबल्स से गुलज़ार रहता है। शीर्ष अदालत ने एफआईआर दोबारा खोलने से इनकार कर दिया, मगर एक बड़ा सवाल जानबूझकर अधर में छोड़ दिया-क्या भारतीय कानूनों के तहत पोकर वास्तव में “कौशल का खेल” है?

Read in English

पृष्ठभूमि

यह विवाद तब शुरू हुआ जब स्थानीय पुलिस ने क्लब पर छापा मारा और “गैरकानूनी गेमिंग” का आरोप लगाया। पुलिस का कहना था कि वहां बाहरी लोग मौजूद थे, ₹9,000 नकद बरामद हुए और ₹3,000 के टोकन का लेन-देन हो रहा था। डिजिटल ट्रांज़ैक्शन में और भी बड़े दांव के संकेत मिले। इन दावों के आधार पर कर्नाटक पुलिस एक्ट की धारा 79 और 80 के तहत एफआईआर दर्ज की गई, जो जुआ-संबंधी अपराधों से जुड़ी है।

Read also:- पटना हाईकोर्ट ने एनर्जी ड्रिंक कंपनी पर दर्ज FIR रद्द की, कहा पेय BIS गैर-मादक मानक में है

क्लब ने पलटवार करते हुए कहा कि पोकर, रम्मी की तरह, किस्मत से ज्यादा रणनीति और कौशल पर आधारित है। कर्नाटक हाई कोर्ट ने इससे सहमति जताई और रोहित तिवारी बनाम राज्य कर्नाटक फैसले पर भरोसा किया, जिसमें पोकर और रम्मी को किस्मत का नहीं बल्कि कौशल का खेल माना गया था। इलाहाबाद हाई कोर्ट और कर्नाटक की एक अन्य डिवीजन बेंच के समान विचारों ने डीएम गेमिंग की दलील को और मजबूत किया।

अदालत की टिप्पणियाँ

न्यायमूर्ति एम.एम. सुन्दरश और न्यायमूर्ति सतीश चंद्र शर्मा की दो-न्यायाधीशों की पीठ ने सुनवाई संक्षिप्त रखी। पीठ ने कहा, “हमें हाई कोर्ट के आदेश में हस्तक्षेप का कोई आधार नहीं दिखता। हालांकि, कानून के प्रश्न को खुला छोड़ा जाता है।”

Read also:- गुजरात हाईकोर्ट ने शेल्टर होम में रोकी गई बलात्कार पीड़िता को किया रिहा, मजिस्ट्रेट को फटकार

जजों ने साफ कर दिया कि वे पूरे देश में पोकर को हरी झंडी नहीं दे रहे। “कौशल का खेल” वाले मुद्दे को खुला छोड़कर पीठ ने संकेत दिया कि आने वाले मामलों में, तथ्यों और राज्य कानूनों के आधार पर, पोकर की कानूनी स्थिति अलग तरह से तय हो सकती है। अदालत कक्ष में मौजूद वकीलों का कहना था कि यह एक सतर्क रुख है, जिससे कोई व्यापक मिसाल बनने से बचा जा सके।

निर्णय

इसके साथ ही सुप्रीम कोर्ट ने राज्य कर्नाटक की विशेष अनुमति याचिका (क्रिमिनल) डायरी नं. 43003/2025 खारिज कर दी, जिससे डीएम गेमिंग पर दर्ज एफआईआर का अंत हो गया। इस फैसले का मतलब है कि फिलहाल बेंगलुरु का यह क्लब अपना संचालन जारी रख सकता है, मगर बड़ा सवाल-क्या पूरे भारत में पोकर को कानूनी तौर पर कौशल का खेल माना जाएगा-अभी अनुत्तरित है और शायद किसी दूसरे दिन, किसी दूसरी पीठ के लिए बचा है।

Case: State of Karnataka v. DM Gaming Pvt. Ltd. & Others

Case No.: Special Leave Petition (Criminal) Diary No. 43003/2025

Decision Date: 29 September 2025

Recommended Posts