Logo
Court Book - India Code App - Play Store

अपील लंबित रहने के दौरान दोषी सिरमौर सिंह को उत्तराखंड हाईकोर्ट से जमानत, अदालत ने कहा-स्वतंत्रता का दुरुपयोग नहीं किया और लंबी हिरासत झेली

Vivek G.

सिरमौर सिंह बनाम उत्तराखंड राज्य मामले में, उत्तराखंड उच्च न्यायालय ने अपील के दौरान दोषी सिरमौर सिंह को जमानत दे दी, जिसमें लंबी हिरासत और मुकदमे के दौरान जमानत का दुरुपयोग न होने का हवाला दिया गया।

अपील लंबित रहने के दौरान दोषी सिरमौर सिंह को उत्तराखंड हाईकोर्ट से जमानत, अदालत ने कहा-स्वतंत्रता का दुरुपयोग नहीं किया और लंबी हिरासत झेली
Join Telegram

नैनीताल में दिसंबर की ठंडी सुबह, कोर्ट नंबर के भीतर माहौल अपेक्षाकृत शांत था, जब उत्तराखंड हाईकोर्ट ने महीनों से लंबित एक जमानत याचिका पर फैसला सुनाया। मामला हरिद्वार की सत्र अदालत से दोषसिद्धि झेल चुके सिरमौर सिंह से जुड़ा था, जो अपनी आपराधिक अपील के अंतिम निपटारे तक अस्थायी रिहाई की मांग कर रहे थे। दोनों पक्षों की दलीलें सुनने के बाद खंडपीठ ने दोषसिद्धि के गुण-दोष में जाए बिना राहत देने का रुख अपनाया।

Read in English

पृष्ठभूमि

सिरमौर सिंह को पहले भारतीय दंड संहिता की धारा 201 सहपठित धारा 34 के तहत दोषी ठहराया गया था, जो मूल रूप से साक्ष्य को नष्ट करने या छिपाने से जुड़ी है, वह भी साझा मंशा के साथ। इस अपराध के लिए ट्रायल कोर्ट ने उन्हें सात वर्ष के कठोर कारावास और जुर्माने की सजा सुनाई थी। इसके अलावा, धारा 506 आईपीसी, यानी आपराधिक धमकी के आरोप में उन्हें एक वर्ष के कठोर कारावास की अतिरिक्त सजा दी गई थी।

Read also:- सर्वोच्च न्यायालय ने उत्तराखंड में बड़े पैमाने पर वन भूमि पर अवैध कब्जे को लेकर चिंता जताई, जांच के आदेश दिए और विवादित सरकारी वन क्षेत्रों पर लेनदेन और निर्माण पर रोक लगा दी।

यह दोषसिद्धि सितंबर 2023 की शुरुआत में हरिद्वार के द्वितीय अपर जिला एवं सत्र न्यायाधीश द्वारा दिए गए फैसले के जरिए हुई थी। तब से सिंह न्यायिक हिरासत में हैं। दोषसिद्धि के खिलाफ उनकी अपील हाईकोर्ट में लंबित है और मौजूदा आवेदन इसी अवधि के दौरान जमानत के लिए दायर किया गया था।

अदालत की टिप्पणियां

अपीलकर्ता की ओर से दलील दी गई कि अभियोजन ने ट्रायल के दौरान 17 गवाहों की परीक्षा जरूर की, लेकिन बचाव पक्ष के अनुसार, साक्ष्य इतने ठोस और विश्वसनीय नहीं थे कि आरोप सिद्ध माने जा सकें। यह भी रेखांकित किया गया कि ट्रायल के दौरान सिंह जमानत पर थे और उन्होंने कभी भी जमानत की शर्तों का उल्लंघन नहीं किया। हरिद्वार जिले के स्थायी निवासी होने के चलते उनके फरार होने की संभावना भी नगण्य बताई गई।

राज्य सरकार की ओर से जमानत का विरोध किया गया और अपराध की गंभीरता की ओर अदालत का ध्यान दिलाया गया। इसके बावजूद, न्यायमूर्ति आलोक कुमार वर्मा और न्यायमूर्ति आलोक माहरा की पीठ ने स्पष्ट किया कि इस स्तर पर वह साक्ष्यों की मजबूती या कमजोरी पर कोई राय नहीं दे रही है।

“पीठ ने कहा, ‘मामले के गुण-दोष पर कोई राय व्यक्त किए बिना, हमारा मत है कि अपील लंबित रहने के दौरान अपीलकर्ता जमानत का हकदार है।’” अदालत ने यह तथ्य भी ध्यान में रखा कि सिंह सितंबर 2023 से लगातार न्यायिक हिरासत में हैं।

Read also:- ₹77 करोड़ के फॉरेक्स मामले में कलकत्ता हाईकोर्ट ने इंफ्लुएंसर विराज पाटिल को दी जमानत, लंबी हिरासत और कमजोर प्रारंभिक कड़ियों पर जताई चिंता

निर्णय

पहली जमानत याचिका को स्वीकार करते हुए हाईकोर्ट ने निर्देश दिया कि आपराधिक अपील लंबित रहने के दौरान सिरमौर सिंह को जमानत पर रिहा किया जाए। हालांकि, यह रिहाई कुछ शर्तों के अधीन होगी। उन्हें एक व्यक्तिगत मुचलका और समान राशि के दो भरोसेमंद जमानती प्रस्तुत करने होंगे, जिसकी संतुष्टि ट्रायल कोर्ट करेगी। इसके साथ ही 20 दिसंबर 2025 को जमानत याचिका स्वीकार कर ली गई।

Case Title: Sirmour Singh vs State of Uttarakhand

Case No.: First Bail Application (IA No. 01 of 2023) in Criminal Appeal No. 652 of 2023

Case Type: Criminal Appeal – Bail Application

Decision Date: 20 December 2025

Recommended Posts