सोमवार को गुवाहाटी हाईकोर्ट ने गुवाहाटी के एक छोटे मांस व्यापारी को आंशिक राहत दी, जिसका बैंक खाता महीनों से साइबर अपराध की शिकायत के कारण फ्रीज था। अदालत में बैठे हुए यह साफ दिख रहा था कि पीठ एक संतुलन बनाने की कोशिश कर रही है-एक ओर चल रही जांच को सुरक्षित रखना और दूसरी ओर बिना ठोस कारण के चल रहे व्यवसाय को पूरी तरह ठप न होने देना।
पृष्ठभूमि
यह मामला एम/एस नेपाली कटिंग मीट शॉप द्वारा दायर किया गया था, जो मालिगांव, गुवाहाटी में संचालित एक सूक्ष्म उद्यम है। दुकान का बैंक ऑफ महाराष्ट्र की मालिगांव शाखा में एक चालू खाता है, जो अक्टूबर 2024 से सक्रिय था। याचिका के अनुसार, खाते में ₹12 लाख से अधिक की राशि जमा थी।
समस्या जनवरी 2025 में शुरू हुई, जब अचानक खाते से डेबिट लेन-देन बंद कर दिए गए। पूछताछ करने पर दुकानदार को बताया गया कि राष्ट्रीय साइबर अपराध रिपोर्टिंग पोर्टल (NCCRP) से आई शिकायत के आधार पर खाता फ्रीज किया गया है। न कोई पूर्व सूचना, न कोई स्पष्ट विवरण-सीधा फ्रीज। भारतीय रिज़र्व बैंक के बैंकिंग लोकपाल से की गई शिकायत से भी कोई राहत नहीं मिली।
याचिकाकर्ता ने अदालत को बताया कि उसका व्यवसाय पूरी तरह वैध और नियमित है तथा उसका किसी भी साइबर धोखाधड़ी से कोई लेना-देना नहीं है।
अदालत की टिप्पणियां
न्यायमूर्ति संजय कुमार मेधी ने दोनों पक्षों की दलीलें सुनीं और यह नोट किया कि बैंक ने साइबर अपराध से जुड़ी शिकायत के निर्देशों के आधार पर कार्रवाई की थी। बैंक की ओर से दायर हलफनामे से यह सामने आया कि विवादित राशि अपेक्षाकृत बहुत कम है-पहले इसे ₹17,040 बताया गया था, जिसे बाद में लगभग ₹20,176 स्पष्ट किया गया।
याचिकाकर्ता के वकील ने मद्रास, दिल्ली और बॉम्बे हाईकोर्ट के फैसलों का हवाला देते हुए तर्क दिया कि बिना विवादित राशि को स्पष्ट किए पूरे खाते को फ्रीज करना अनुचित है। इस बिंदु पर पीठ सैद्धांतिक रूप से सहमत दिखी। अदालत ने टिप्पणी की कि “जांच के नाम पर पूरे खाते को फ्रीज करना” एक निर्दोष खाताधारक को गंभीर नुकसान पहुंचा सकता है।
हालांकि, अदालत ने बैंक की चिंता को भी समझा। खुले न्यायालय में न्यायाधीश ने कहा कि साइबर धोखाधड़ी एक “गंभीर समस्या” बन चुकी है और इसकी जांच को हल्के में नहीं लिया जा सकता।
निर्णय
दोनों पक्षों के हितों को संतुलित करते हुए, अदालत ने निर्देश दिया कि मांस की दुकान को अपना बैंक खाता संचालित करने की अनुमति दी जाए, लेकिन कुछ शर्तों के साथ। पीठ ने आदेश दिया कि ₹1 लाख की राशि छह महीने के लिए लियन के रूप में रोकी जाएगी।
अदालत ने यह भी स्पष्ट किया कि यदि इस अवधि के भीतर याचिकाकर्ता को साइबर अपराध या किसी धोखाधड़ी से जोड़ने वाला कोई सामग्री सामने नहीं आती है, तो ₹1 लाख की यह लियन स्वतः समाप्त हो जाएगी। इसके अलावा, याचिकाकर्ता को बैंक को किसी भी संभावित नुकसान से सुरक्षित रखने के लिए एक क्षतिपूर्ति बॉन्ड भी देना होगा।
इन निर्देशों के साथ, रिट याचिका का निस्तारण कर दिया गया।
Case Title: M/s Nepali Cutting Meat Shop vs Bank of Maharashtra & Others
Case No.: WP(C)/2288/2025
Case Type: Writ Petition (Civil)
Decision Date: 08 December 2025









