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सुप्रीम कोर्ट ने ओडिशा सरकार की अपीलों में प्रक्रियागत चूक पर सवाल उठाए, बार-बार सेवा में विफलता के बाद कई SLPs को जज-इन-चैंबर्स के समक्ष भेजा

Vivek G.

ओडिशा राज्य और अन्य बनाम रमेश चंद्र नायक और अन्य, सुप्रीम कोर्ट ने देरी और सेवा में चूक पर ओडिशा सरकार को घेरा, कई SLPs को आगे की कार्रवाई के लिए जज-इन-चैंबर्स भेजा।

सुप्रीम कोर्ट ने ओडिशा सरकार की अपीलों में प्रक्रियागत चूक पर सवाल उठाए, बार-बार सेवा में विफलता के बाद कई SLPs को जज-इन-चैंबर्स के समक्ष भेजा

गुरुवार को सुप्रीम कोर्ट के रजिस्ट्रार के समक्ष सूचीबद्ध एक सामान्य-सी कार्यवाही धीरे-धीरे प्रक्रियागत अनुशासन पर कड़ी टिप्पणी में बदल गई, जब ओडिशा राज्य द्वारा दायर कई विशेष अनुमति याचिकाएँ (SLPs) जज-इन-चैंबर्स के समक्ष भेज दी गईं। दर्जनों निजी प्रतिवादियों से जुड़े इन मामलों में एक जानी-पहचानी लेकिन असहज तस्वीर सामने आई-चूकी हुई समय-सीमाएँ, अधूरी सेवा, और फाइलों में अब भी अटके कागज़।

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पृष्ठभूमि

मामलों का यह समूह ओडिशा राज्य द्वारा रमेश चंद्र नायक और अन्य के विरुद्ध दायर याचिकाओं से जुड़ा है। इनमें SLP (सिविल) डायरी संख्या 20255/2024, 27436/2023 और 49016/2023 शामिल थीं। समय के साथ इनमें कई अंतरिम आवेदन भी जोड़े गए-देरी माफ़ करने, अतिरिक्त दस्तावेज़ दाख़िल करने की अनुमति, कानूनी वारिसों के प्रतिस्थापन और एबेटमेंट हटाने से संबंधित।

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रजिस्ट्रार मसरूर आलम ख़ान के समक्ष हुई सुनवाई के दौरान रिकॉर्ड से यह सामने आया कि कई प्रतिवादियों ने अपने काउंटर हलफ़नामे दाख़िल कर दिए थे, लेकिन कुछ अन्य-हालाँकि उन पर सेवा पूरी हो चुकी थी-अब तक पेश नहीं हुए। सरकार की ओर से स्थिति मिली-जुली रही। कुछ मामलों में क़दम देर से उठाए गए, तो कुछ में उठाए ही नहीं गए।

अदालत की टिप्पणियाँ

कार्यवाही को पढ़ते हुए रजिस्ट्रार ने नोट किया कि SLP (C) डायरी संख्या 20255/2024 में बड़ी संख्या में प्रतिवादियों के काउंटर हलफ़नामे पहले ही रिकॉर्ड पर आ चुके हैं। हालांकि, दो प्रतिवादी अब भी जवाब दाख़िल करने में पीछे थे। रजिस्ट्रार ने उन्हें 9 जनवरी 2026 तक का समय दिया, लेकिन यह साफ कर दिया कि यह अंतिम अवसर है। आदेश में दर्ज किया गया कि यदि उस तारीख तक हलफ़नामा दाख़िल नहीं किया गया, तो “इसके बाद और कोई अवसर नहीं दिया जाएगा।”

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पुराने मामलों में लहजा और सख़्त हो गया। डायरी संख्या 27436/2023 में याचिकाकर्ता के वकील ने एक मृत प्रतिवादी के संबंध में आवश्यक क़दम नहीं उठाए और कई अन्य प्रतिवादियों पर ताज़ा सेवा भी सुनिश्चित नहीं की, जबकि पहले ही चेतावनी दी जा चुकी थी। इसी तरह, डायरी संख्या 49016/2023 में अंतिम अवसर दिए जाने के बावजूद दस्ति सेवा का प्रमाण दाख़िल नहीं किया गया। ये चूकें नई नहीं थीं, बल्कि बार-बार दोहराई गई थीं, और रजिस्ट्रार ने इसे साफ शब्दों में दर्ज किया।

निर्णय

इन कमियों को देखते हुए सुप्रीम कोर्ट ने आदेश दिया कि तीनों मामलों को आगे की दिशा-निर्देशों के लिए माननीय जज-इन-चैंबर्स के समक्ष सूचीबद्ध किए जाने की प्रक्रिया शुरू की जाए, विशेष रूप से अगस्त और नवंबर 2025 में पारित पूर्व आदेशों के आलोक में। साथ ही, संबंधित एडवोकेट-ऑन-रिकॉर्ड को जानकारी और अनुपालन के लिए कार्यवाही की प्रतियाँ उपलब्ध कराने का निर्देश दिया गया। इसके साथ ही रजिस्ट्रार ने दिन की कार्यवाही समाप्त कर दी और अपीलों का भविष्य अगले चरण के लिए छोड़ दिया।

Case Title: The State of Odisha & Others vs. Ramesh Chandra Naik & Others

Case No.: SLP (Civil) Diary Nos. 20255/2024, 27436/2023, 49016/2023

Case Type: Special Leave Petition (Civil)

Decision Date: 12 December 2025

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