सुप्रीम कोर्ट की रजिस्ट्रार अदालत ने गुरुवार को माइनर इरिगेशन डिवीजन से जुड़े विशेष अनुमति याचिकाओं के एक समूह पर सुनवाई की, और पूरा जोर प्रक्रिया पर रहा, न कि मामले के गुण-दोष पर। सुनवाई संक्षिप्त और सुव्यवस्थित रही, और मुख्य बात समय-सीमा तय करने की थी। सुनवाई के अंत तक यह साफ हो गया कि आगे बढ़ने से पहले पक्षकारों को अपने दस्तावेज दुरुस्त करने होंगे।
ये मामले रजिस्ट्रार माशरूर आलम खान के समक्ष रखे गए, जिन्होंने दोनों पक्षों के वकीलों को सुनने के बाद कार्यवाही को व्यवस्थित करने के लिए नियमित लेकिन अहम निर्देश दिए।
पृष्ठभूमि
इन मामलों के केंद्र में कार्यकारी अभियंता, माइनर इरिगेशन डिवीजन द्वारा सुनील और अन्य कई प्रतिवादियों के खिलाफ दायर विशेष अनुमति याचिकाएं हैं। ये याचिकाएं अलग-अलग लेकिन आपस में जुड़े विवादों से संबंधित हैं, जो निचली अदालतों के दौर से गुजरने के बाद अब सुप्रीम कोर्ट तक पहुंचे हैं।
क्योंकि ये याचिकाएं डायरी मामलों के रूप में दायर की गई थीं, इसलिए इनके साथ कई अंतरिम आवेदन भी लगाए गए। इनमें याचिका दाखिल करने या दोबारा दाखिल करने में हुई देरी को माफ करने के अनुरोध, और प्रमाणित प्रतियां या अन्य औपचारिक दस्तावेज दाखिल करने से छूट की मांग शामिल थी। साधारण शब्दों में कहें तो याचिकाकर्ता अदालत से यह आग्रह कर रहे थे कि प्रक्रियात्मक देरी को नजरअंदाज कर मामले की सुनवाई की जाए।
गुरुवार को जब रजिस्ट्रार ने इन मामलों को निर्देशों के लिए लिया, तब याचिकाकर्ता और प्रतिवादी, दोनों पक्षों के वकील उपस्थित थे।
अदालत की टिप्पणियां
दोनों पक्षों को सुनने के बाद रजिस्ट्रार ने विवाद के मूल मुद्दों में प्रवेश नहीं किया। इसके बजाय उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि सभी प्रतिवादी अपना पक्ष रिकॉर्ड पर रखें। एक मामले में अदालत ने नोटिस की तामीली से जुड़े मुद्दों पर भी ध्यान दिया। रिकॉर्ड में यह दर्ज किया गया कि कुछ प्रतिवादियों पर नोटिस की तामीली पूरी हो चुकी है, जबकि कुछ ने अभी तक पेशी दर्ज नहीं कराई है।
अदालत ने सार रूप में कहा, “जब तक जवाब विधिवत दाखिल नहीं किए जाते, तब तक मामला आगे नहीं बढ़ सकता,” जिससे यह संकेत मिला कि प्रतिवादियों के काउंटर हलफनामे अदालत के लिए जरूरी हैं। सरल भाषा में, काउंटर हलफनामा वह लिखित जवाब होता है जिसमें दूसरा पक्ष याचिका में लगाए गए आरोपों का उत्तर देता है।
रजिस्ट्रार ने उन मामलों का भी संज्ञान लिया जहां अभी नोटिस की तामीली बाकी है, और अनुपालन के बाद पुनः सूचीबद्ध करने का निर्देश दिया।
निर्णय
अपने आदेश में अदालत ने विभिन्न याचिकाओं में संबंधित प्रतिवादियों को 9 जनवरी 2026 तक अपने काउंटर हलफनामे दाखिल करने का निर्देश दिया। इसके बाद, सभी दस्तावेज पूरे होने पर मामलों को नियमों के अनुसार सुप्रीम कोर्ट की उपयुक्त पीठ के समक्ष सूचीबद्ध करने के लिए प्रक्रिया में डाला जाएगा।
एक याचिका में, जहां कुछ प्रतिवादियों पर अभी भी नोटिस की तामीली लंबित है, अदालत ने मामले को 20 जनवरी 2026 को फिर से सूचीबद्ध करने का आदेश दिया। साथ ही, अनुपालन और जानकारी के लिए कार्यवाही की प्रति संबंधित अधिवक्ता-ऑन-रिकॉर्ड को उपलब्ध कराने का भी निर्देश दिया गया।
Case Title: Executive Engineer, Minor Irrigation Division vs Sunil & Others
Case No.: SLP (Civil) Diary No. 9258/2025 (along with connected Diary Nos. 9260/2025, 9262/2025, 24799/2025, 25520/2025, 26378/2025)
Case Type: Special Leave Petition (Civil) – Registrar Court Proceedings
Decision Date: 12 December 2025









