23 सितंबर 2025 को बिलासपुर स्थित छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट में हुई सुनवाई में न्यायालय ने बार-बार होने वाले सड़क हादसों और खतरनाक सड़कों की हालत पर राज्य अधिकारियों और राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण (NHAI) से कड़े सवाल किए। एक भयावह दुर्घटना में 19 लोगों की मौत के बाद, कोर्ट ने खुद संज्ञान (सुओ मोटू) लेकर राज्य और केंद्र दोनों से मरम्मत में देरी और धूल-नियंत्रण उपायों की कमी पर जवाब-तलब किया।
पृष्ठभूमि
यह मामला किसी औपचारिक याचिका से नहीं बल्कि एक अख़बार में छपी खबर से शुरू हुआ, जिसमें बताया गया कि ब्रेक फेल होने के कारण एक पिकअप ट्रक 35 फीट गहरी खाई में गिर गया और 19 यात्रियों की मौत हो गई। इस घटना से स्तब्ध होकर हाईकोर्ट ने स्वतः संज्ञान लेकर इसे जनहित याचिका के रूप में दर्ज किया। तब से न्यायालय अंबिकापुर–रामानुजगंज के बीच राष्ट्रीय राजमार्ग 343 और कटघोरा-रायपुर के पास एनएच-130 के हिस्सों की स्थिति पर निगरानी कर रहा है।
मंगलवार की सुनवाई में राज्य लोक निर्माण विभाग (पीडब्ल्यूडी) से लेकर राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण (एनएचएआई) तक के वरिष्ठ वकील और अधिकारी मौजूद रहे — और अक्सर बचाव की मुद्रा में बताने लगे कि चेतावनी के बावजूद खतरनाक “ब्लैक स्पॉट” क्यों बने हुए हैं।
अदालत की टिप्पणियां
मुख्य न्यायाधीश रमेश सिन्हा और न्यायमूर्ति रविंद्र कुमार अग्रवाल की पीठ ने पीडब्ल्यूडी सचिव और एनएचएआई के क्षेत्रीय अधिकारी के हलफनामे सुने। दोनों ने सड़कों के चौड़ीकरण और मरम्मत के लिए स्वीकृत करोड़ों रुपये की रकम का ब्यौरा दिया, लेकिन साथ ही यह भी स्वीकार किया कि मानसून और नौकरशाही की देरी के कारण काम धीमा पड़ा है।
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“कोर्ट कमिश्नर पहले ही बता चुके हैं कि ऐश से भरे ट्रकों के कारण शून्य दृश्यता की स्थिति बनती है,” पीठ ने कहा। “हम सार्वजनिक सड़कों को मौत का जाल नहीं बनने देंगे।”
न्यायालय-नियुक्त आयुक्त अपूर्व त्रिपाठी ने बताया कि जहां एनटीपीसी और कोरबा के राज्य संचालित पावर प्लांट ने कुछ सुधारात्मक कदम उठाए हैं, वहीं कई अन्य निजी पावर प्रोजेक्ट अब भी बिना सुरक्षा उपायों के फ्लाई ऐश ढो रहे हैं। उनकी रिपोर्ट में कहा गया कि यह न केवल नई मरम्मत की गई सड़कों को बर्बाद कर देता है बल्कि दिन में भी धूल के बादल बन जाते हैं, जिससे आसपास के लोगों को सांस संबंधी समस्याएं होती हैं।
निर्णय
सभी पक्षों को सुनने के बाद, हाईकोर्ट ने छत्तीसगढ़ स्टेट पावर जनरेशन कॉरपोरेशन लिमिटेड के प्रबंध निदेशक और राज्य पर्यावरण संरक्षण बोर्ड के क्षेत्रीय अधिकारी को व्यक्तिगत हलफनामा दाखिल करने का निर्देश दिया, ताकि आयुक्त की रिपोर्ट पर उनका जवाब मिल सके। अदालत ने पर्यावरण बोर्ड को इस मामले में पक्षकार बनाने का भी आदेश दिया।
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महत्वपूर्ण रूप से, कोर्ट ने अनुपालन की समीक्षा के लिए अगली तारीख 10 अक्टूबर 2025 तय की। इस बीच उसने अधिकारियों को राजमार्गों पर मरम्मत और धूल-नियंत्रण उपायों को तेज करने का निर्देश दिया। जैसे ही एक अधिकारी कोर्ट से बाहर निकलते हुए बुदबुदाया, “काम करना पड़ेगा अब”, न्यायाधीशों के स्वर में मौजूद तात्कालिकता साफ दिख रही थी।
Case Title: Suo Motu Public Interest Litigation v. State of Chhattisgarh
Case Number: WPPIL No. 37 of 2024
Date of Order/Judgment: 23 September 2025