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एग्जिक्यूटिव ट्रेडिंग–ग्रो वेल मर्केंटाइल विवाद में सुप्रीम कोर्ट ने बहाल की प्रक्रिया, बॉम्बे हाईकोर्ट का आदेश रद्द

Vivek G.

सुप्रीम कोर्ट ने ₹2.15 करोड़ के एग्जिक्यूटिव ट्रेडिंग विवाद में बॉम्बे हाईकोर्ट का आदेश रद्द कर, आर्डर 37 सीपीसी की सख्त प्रक्रिया दोहराई।

एग्जिक्यूटिव ट्रेडिंग–ग्रो वेल मर्केंटाइल विवाद में सुप्रीम कोर्ट ने बहाल की प्रक्रिया, बॉम्बे हाईकोर्ट का आदेश रद्द
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सुप्रीम कोर्ट ने बॉम्बे हाईकोर्ट को फटकार लगाते हुए कहा कि वाणिज्यिक समरी सूट (तेजी से निपटने वाले वाद) में अहम कदमों को दरकिनार नहीं किया जा सकता। अदालत ने स्पष्ट किया कि प्रतिवादी बिना औपचारिक अनुमति लिये सीधे जवाब दाखिल नहीं कर सकता। यह फैसला एग्जिक्यूटिव ट्रेडिंग कंपनी प्रा. लि. बनाम ग्रो वेल मर्केंटाइल प्रा. लि. के व्यापारिक वसूली विवाद में आया, जिसमें ₹2.15 करोड़ से अधिक की राशि दांव पर है।

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पृष्ठभूमि

एग्जिक्यूटिव ट्रेडिंग ने 2019 में ग्रो वेल मर्केंटाइल पर ₹2.15 करोड़ और भारी ब्याज की वसूली का दावा करते हुए मुकदमा दायर किया था। भारत की सिविल प्रक्रिया संहिता (आर्डर 37) के तहत ऐसे “समरी सूट” में, जब कर्ज स्वीकार हो या साफ-साफ दस्तावेज़ों से साबित हो, तो तेजी से फैसला किया जाता है। ग्रो वेल ने शुरुआती तौर पर अदालत में उपस्थिति दर्ज कराई, लेकिन “लीव टू डिफेंड” यानी मुकदमे का विरोध करने की अनुमति नहीं मांगी। इसके बजाय उसने पूर्व-वाद मध्यस्थता की दलील देते हुए वाद खारिज करने की याचिका दायर की। मध्यस्थता असफल होने के बाद वादी ने अपना दावा संशोधित किया। प्रतिवादी ने जनवरी 2024 में विलंब को माफ करने और बचाव की अनुमति देने का आवेदन किया, जो अब भी लंबित है।

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अदालत की टिप्पणियाँ

न्यायमूर्ति अहसनुद्दीन अमानुल्लाह और एस.वी.एन. भट्टी की पीठ ने कहा कि हाईकोर्ट का दिसंबर 2023 का आदेश, जिसमें प्रतिवादी को बिना अनुमति जवाब दाखिल करने की इजाजत दी गई, “मामले की जड़ पर प्रहार करता है।” न्यायमूर्ति भट्टी ने समझाया कि आर्डर 37 एक विशेष तेज़-तर्रार प्रक्रिया बनाता है:

“यदि समरी सूट में बिना अदालत की अनुमति के जवाब या बचाव पेश करने की इजाजत दी जाती है,” पीठ ने कहा, “तो साधारण वाद और समरी सूट के बीच का अंतर खत्म हो जाता है।”

न्यायालय ने जोर देकर कहा कि कानून के अनुसार प्रतिवादी को पहले यह साबित करना होता है कि उसके पास वास्तविक बचाव है, तभी वह विस्तृत जवाब दाखिल कर सकता है।

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निर्णय

हाईकोर्ट का आदेश रद्द करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने सख्त प्रक्रिया को बहाल कर दिया। पीठ ने स्पष्ट किया कि ग्रो वेल मर्केंटाइल अभी भी उपाय तलाश सकता है, जैसे बचाव की अनुमति के लिए आवेदन करना या देरी माफ कराने की मांग करना, लेकिन यह सब आर्डर 37 रूल 3 के निर्धारित चरणों के अनुसार ही होगा। किसी भी पक्ष पर खर्च का आदेश नहीं दिया गया।

मामला: एग्जीक्यूटिव ट्रेडिंग कंपनी प्राइवेट लिमिटेड बनाम ग्रो वेल मर्केंटाइल प्राइवेट लिमिटेड - संक्षिप्त वाद प्रक्रिया पर सर्वोच्च न्यायालय

निर्णय तिथि: 25 सितंबर 2025

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