नई दिल्ली, 26 सितम्बर: सुप्रीम कोर्ट ने यूपी एस्बेस्टस लिमिटेड और एवेरेस्ट इंडस्ट्रीज की अपील खारिज करते हुए राजस्थान सरकार की उस अधिसूचना को बरकरार रखा, जिसमें फ्लाई ऐश आधारित एस्बेस्टस शीट और ईंट बनाने वाली स्थानीय इकाइयों को कर छूट दी गई थी। न्यायमूर्ति बी.वी. नागरत्ना की पीठ ने माना कि 2007 की यह अधिसूचना राज्यों के बीच मुक्त व्यापार की संवैधानिक गारंटी का उल्लंघन नहीं करती।
पृष्ठभूमि
विवाद राजस्थान वित्त विभाग की 9 मार्च 2007 की अधिसूचना से जुड़ा है। इसमें राजस्थान में निर्मित एस्बेस्टस सीमेंट शीट और ईंटों की बिक्री पर वैट (मूल्य वर्धित कर) से छूट दी गई थी, बशर्ते उनमें कम से कम 25% फ्लाई ऐश हो और इकाई ने 31 दिसम्बर 2006 से पहले उत्पादन शुरू किया हो। यूपी एस्बेस्टस और एवेरेस्ट इंडस्ट्रीज, जिनके डिपो राजस्थान में हैं लेकिन निर्माण इकाइयां अन्य राज्यों में, ने तर्क दिया कि यह योजना बाहरी राज्यों के माल के साथ भेदभाव करती है और संविधान के अनुच्छेद 304(क) का उल्लंघन है। राजस्थान हाई कोर्ट पहले ही उनकी याचिकाएं खारिज कर चुका था।
अदालत की टिप्पणियाँ
“यहां किया गया अंतर फ्लाई ऐश के उपयोग को बढ़ावा देने और नए उद्योग को प्रोत्साहन देने के लिए है, न कि व्यापार में अवरोध पैदा करने के लिए,” पीठ ने कहा। अदालत ने नोट किया कि राजस्थान में फ्लाई ऐश प्रचुर मात्रा में है और उसका परिवहन महंगा है, इसलिए यह नीति आर्थिक रूप से तार्किक है। वीडियो इलेक्ट्रॉनिक्स और नौ-न्यायाधीशों के फैसले जिंदल स्टेनलेस का हवाला देते हुए कोर्ट ने कहा कि सीमित अवधि की यह छूट “भेदभाव नहीं बल्कि उचित अंतर” है जिसका उद्देश्य पर्यावरण और उद्योग दोनों हैं।
न्यायालय ने यह दलील भी खारिज की कि अधिसूचना में छूट का कारण नहीं बताया गया। पीठ ने राज्य के हलफनामों और लंबे समय से चल रही फ्लाई ऐश उपयोग नीति का हवाला दिया। “स्थायी लाभ” वाले तर्क को भी नकारते हुए अदालत ने कहा कि छूट की समयसीमा और पात्रता तिथियां इसे सीमित रखती हैं।
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निर्णय
सुप्रीम कोर्ट ने राजस्थान हाई कोर्ट के आदेशों को बरकरार रखते हुए 2007 की अधिसूचना और 2010 के संशोधन को वैध ठहराया, जिसने लाभ की अवधि बढ़ाई थी। फैसले में कहा गया, “अपीलें असफल हैं और खारिज की जाती हैं,” जिससे राजस्थान की फ्लाई ऐश प्रोत्साहन योजना यथावत रहेगी।
मामला: उत्तर प्रदेश एस्बेस्टस लिमिटेड और एवरेस्ट इंडस्ट्रीज लिमिटेड बनाम राजस्थान राज्य और अन्य
उद्धरण: 2025 आईएनएससी 1154
निर्णय तिथि: 26 सितंबर 2025