Logo
Court Book - India Code App - Play Store

छत्तीसगढ़ दुर्घटना मुआवज़ा मामले में सुप्रीम कोर्ट का आदेश– बीमा कंपनी पहले भुगतान करे, बाद में वसूले

Vivek G.

सुप्रीम कोर्ट ने छत्तीसगढ़ दुर्घटना मामले में अवैध लाइसेंस के बावजूद बीमा कंपनी को 5.33 लाख रुपये पहले भुगतान करने का आदेश दिया।

छत्तीसगढ़ दुर्घटना मुआवज़ा मामले में सुप्रीम कोर्ट का आदेश– बीमा कंपनी पहले भुगतान करे, बाद में वसूले
Join Telegram

नई दिल्ली, 24 सितम्बर – सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को आदेश दिया कि छत्तीसगढ़ सड़क दुर्घटना मामले में बीमा कंपनी को पहले पीड़ित परिवार को मुआवज़ा देना होगा और बाद में ट्रक मालिक से यह राशि वसूलनी होगी। न्यायमूर्ति के. विनोद चंद्रन और एन.वी. अंजरिया की पीठ ने मृतक की मां, अपीलकर्ता रमा बाई को राहत देते हुए “पे एंड रिकवर” (पहले भुगतान, फिर वसूली) सिद्धांत लागू किया, भले ही दुर्घटना के समय चालक के पास वैध लाइसेंस न था।

Read in English

पृष्ठभूमि

यह मामला 13 अक्टूबर 2011 को रायपुर के पास हुई एक दुखद टक्कर से जुड़ा है। नंद कुमार, एक युवा ट्रक कंडक्टर, की मौत तब हो गई जब जिस वाहन में वह सफर कर रहे थे, वह एक ट्रैक्टर-ट्रॉली से टकरा गया। स्थानीय मोटर दुर्घटना दावा न्यायाधिकरण ने शुरुआत में उसके माता-पिता को 3 लाख रुपये का मुआवज़ा दिया था और चालक का लाइसेंस समाप्त पाए जाने पर जिम्मेदारी ट्रक के चालक और मालिक पर डाली थी। बाद में छत्तीसगढ़ हाई कोर्ट ने यह राशि बढ़ाकर 5.33 लाख रुपये कर दी और 7% वार्षिक ब्याज भी जोड़ा, लेकिन बीमा कंपनी को भुगतान से बाहर रखा, यह कहते हुए कि चालक के पास वैध लाइसेंस नहीं था।

Read also:- सुप्रीम कोर्ट ने बलात्कार के मुकदमे में देरी की आलोचना की, ज़मानत रद्द करने से इनकार किया, लेकिन सख्त समय सीमा के साथ रोज़ाना सुनवाई का निर्देश दिया

न्यायालय की टिप्पणियाँ

बहस के दौरान रमा बाई के वकील ने सर्वोच्च न्यायालय से “पे एंड रिकवर” सिद्धांत लागू करने की मांग की। उन्होंने पहले के सुप्रीम कोर्ट के फैसलों- शमन्ना बनाम ओरिएंटल इंश्योरेंस और परमिंदर सिंह बनाम न्यू इंडिया एश्योरेंस

का हवाला दिया, जिनमें बीमाकर्ताओं को तकनीकी उल्लंघन के बावजूद पहले पीड़ितों को भुगतान करने और फिर वाहन मालिक से राशि वसूलने के निर्देश दिए गए थे।

Read also:- विवाह का झूठा वादा कर दुष्कर्म के आरोप वाले मामले में ज़मानत रद्द करने से केरल हाईकोर्ट का इंकार

बीमा कंपनी ने तर्क दिया कि बाद के कुछ निर्णय इस सिद्धांत की वैधता पर सवाल उठाते हैं, और कहा कि जब चालक के पास लाइसेंस नहीं था तो पॉलिसी का उल्लंघन हुआ, इसलिए बीमाकर्ता को भुगतान नहीं करना चाहिए।

पीठ ने कई पूर्व फैसलों की जांच की। न्यायमूर्ति अंजरिया ने कहा, “कई निर्णयों में इस न्यायालय ने निर्दोष दावेदारों की रक्षा के लिए इस सिद्धांत को लागू किया है। यह उचित है कि बीमाकर्ता पुरस्कार की राशि का भुगतान करे और बाद में वाहन मालिक से वसूली करे।” न्यायाधीशों ने पाया कि चालक का लाइसेंस जून 2010 से नवम्बर 2011 तक समाप्त था, जिससे साबित होता है कि दुर्घटना की तारीख पर वह बिना लाइसेंस था। फिर भी उन्होंने जोर दिया कि पीड़ितों को मालिक और बीमाकर्ता के बीच प्रक्रियागत चूक का खामियाज़ा नहीं भुगतना चाहिए।

Read also:- विवाह का झूठा वादा कर दुष्कर्म के आरोप वाले मामले में ज़मानत रद्द करने से केरल हाईकोर्ट का इंकार

निर्णय

अपील को स्वीकार करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने आदेश दिया कि बीमा कंपनी तुरंत रमा बाई को 5.33 लाख रुपये का बढ़ा हुआ मुआवज़ा ब्याज सहित जारी करे। अदालत ने कहा, “बीमाकर्ता को वाहन मालिक से यह राशि वसूलने का अधिकार रहेगा।” इस आदेश के साथ लंबा कानूनी विवाद समाप्त हो गया।

मामला: रमा बाई बनाम अमित मिनरल्स एवं अन्य - भुगतान और वसूली के सिद्धांत पर सर्वोच्च न्यायालय

निर्णय तिथि: 24 सितंबर 2025

Recommended Posts