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भरण-पोषण वसूली में LOC का इस्तेमाल नहीं: फैमिली कोर्ट की सीमा पर कर्नाटक हाईकोर्ट

Vivek G.

मोहम्मद अज़ीम बनाम श्रीमती सबीहा और अन्य, कर्नाटक हाईकोर्ट ने स्पष्ट किया कि भरण-पोषण की वसूली के लिए फैमिली कोर्ट लुकआउट सर्कुलर जारी नहीं कर सकती।

भरण-पोषण वसूली में LOC का इस्तेमाल नहीं: फैमिली कोर्ट की सीमा पर कर्नाटक हाईकोर्ट
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बेंगलुरु स्थित कर्नाटक हाईकोर्ट की एक सुनवाई में सोमवार को माहौल कुछ अलग था। मुद्दा सिर्फ भरण-पोषण का नहीं था, बल्कि यह भी कि अदालतें वसूली के लिए कहां तक जा सकती हैं। जस्टिस ललिता कन्नेगंती की एकल पीठ ने साफ शब्दों में कहा कि फैमिली कोर्ट भरण-पोषण की रकम वसूलने के लिए लुकआउट सर्कुलर (LOC) जारी नहीं कर सकती।

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Background

मामला मोहम्मद अज़ीम से जुड़ा है, जो कुवैत में नौकरी करते हैं। उनके खिलाफ मंगलुरु की फैमिली कोर्ट ने अक्टूबर 2024 में लुकआउट सर्कुलर जारी कर दिया था। यह आदेश पत्नी और बच्चों द्वारा दायर भरण-पोषण के मामले में बकाया रकम न चुकाने को लेकर पारित किया गया था।

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अज़ीम ने हाईकोर्ट का दरवाज़ा खटखटाते हुए कहा कि भले ही भुगतान में देरी हुई हो, लेकिन फैमिली कोर्ट को LOC जारी करने का अधिकार नहीं है। उनके वकील ने दलील दी कि कानून में भरण-पोषण की वसूली के लिए अलग प्रक्रिया तय है-जैसे संपत्ति की कुर्की-लेकिन विदेश यात्रा पर रोक लगाना उसका हिस्सा नहीं है।

Court’s Observations

दोनों पक्षों को सुनने के बाद अदालत ने रिकॉर्ड देखा और कहा कि पति के खिलाफ भरण-पोषण का आदेश एक नागरिक दायित्व है, न कि कोई आपराधिक मामला। पीठ ने टिप्पणी की, “भरण-पोषण की वसूली न्यायिक प्रक्रिया के जरिए होती है। इसके लिए आरोपी की तरह व्यवहार नहीं किया जा सकता।”

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कोर्ट ने स्पष्ट किया कि CrPC की धारा 125 के तहत दिए गए भरण-पोषण आदेश को लागू करने के लिए कानून में तय तरीके मौजूद हैं, जैसे संपत्ति की कुर्की या सिविल कारावास। लेकिन LOC का मकसद अपराधियों को आपराधिक कार्रवाई से बचने से रोकना होता है, न कि पारिवारिक विवादों में दबाव बनाना।

अदालत ने यह भी नाराज़गी जताई कि जब हाईकोर्ट ने पहले ही LOC पर रोक लगा दी थी, तब भी याचिकाकर्ता को यात्रा के दौरान रोका गया। पीठ ने कहा कि अदालत के आदेश के बावजूद LOC जारी रहना न सिर्फ अवैध है, बल्कि यह व्यक्ति की व्यक्तिगत स्वतंत्रता के अधिकार का उल्लंघन भी है।

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Decision

इन सभी पहलुओं को देखते हुए कर्नाटक हाईकोर्ट ने मंगलुरु फैमिली कोर्ट का 30 अक्टूबर 2024 का आदेश रद्द कर दिया। साथ ही रजिस्ट्रार जनरल को निर्देश दिया गया कि इस फैसले की प्रति पुलिस महानिदेशक और भरण-पोषण मामलों की सुनवाई करने वाली सभी अदालतों को भेजी जाए, ताकि भविष्य में भरण-पोषण की वसूली के लिए लुकआउट सर्कुलर जारी न किए जाएं। इसी के साथ याचिका स्वीकार कर ली गई और सभी लंबित अर्ज़ियां बंद कर दी गईं।

Case Title: Mohammed Azeem v. Mrs. Sabeeha & Others

Case No.: Writ Petition No. 22223 of 2025 (GM-FC)

Case Type: Writ Petition under Articles 226 & 227 of the Constitution of India (Family Court / Maintenance Execution)

Decision Date: 22 September 2025

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