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सुप्रीम कोर्ट ने चंडीगढ़ प्रशासन को सख्त समयसीमा दी, विभिन्न मंचों पर लंबित विक्रेता विवादों के अंबार पर जताई चिंता

Shivam Y.

मलकीत सिंह और अन्य बनाम केंद्र शासित प्रदेश चंडीगढ़ और अन्य, सुप्रीम कोर्ट ने चंडीगढ़ के विक्रेता विवादों में देरी पर नाराज़गी जताई, हाईकोर्ट और समिति को लंबित मामलों के त्वरित निपटारे के निर्देश दिए।

सुप्रीम कोर्ट ने चंडीगढ़ प्रशासन को सख्त समयसीमा दी, विभिन्न मंचों पर लंबित विक्रेता विवादों के अंबार पर जताई चिंता

मंगलवार सुबह कोर्ट नंबर 11 में खचाखच भरे माहौल के बीच सुप्रीम कोर्ट ने चंडीगढ़ से जुड़े भूमि और विक्रेता विवादों में बढ़ती प्रशासनिक उलझनों पर ध्यान केंद्रित किया। मलकित सिंह और एक अन्य द्वारा दायर याचिका पर सुनवाई करते हुए पीठ ने अलग-अलग स्तरों पर अटकी बड़ी संख्या में मामलों पर चिंता जताई और प्रक्रिया में व्यवस्था लाने के लिए समयबद्ध निर्देश जारी किए।

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पृष्ठभूमि

यह मामला मई 2025 में पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट के फैसले को चुनौती देने वाली विशेष अनुमति याचिका के रूप में सुप्रीम कोर्ट पहुंचा। मूल विवाद उन विक्रेताओं से जुड़ा है जिन्हें अंतरिम संरक्षण, यानी अस्थायी राहत, मिल चुकी है, जबकि उनके मामलों का अंतिम निपटारा अब तक नहीं हुआ है।

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सुनवाई के दौरान वकीलों ने अदालत को बताया कि करीब 50 ऐसे ही मामले हाईकोर्ट में लंबित हैं, जिनमें कई में विक्रेताओं के पक्ष में स्थगन आदेश लागू हैं। इसके अलावा, लगभग 170 मामले शिकायत निवारण एवं विवाद समाधान समिति के समक्ष निर्णय की प्रतीक्षा में हैं, जबकि इस समिति का उद्देश्य ऐसे विवादों का शीघ्र निपटारा करना है।

कोर्टरूम के बाहर एक वकील ने धीमे स्वर में कहा, “सब एक-दूसरे का इंतजार कर रहे हैं। फाइलें आगे ही नहीं बढ़ रहीं।”

अदालत की टिप्पणियाँ

न्यायमूर्ति संजय करोल और न्यायमूर्ति नोंगमेइकापम कोतिश्वर सिंह की पीठ ने इन दलीलों पर गौर किया और देरी से खासा असंतोष जताया। सबसे पहले अदालत ने एक प्रक्रिया संबंधी अनुरोध पर विचार किया और चंडीगढ़ प्रशासन को 16 दिसंबर को पारित अपने पूर्व आदेश का पालन करने के लिए एक सप्ताह का अतिरिक्त समय दे दिया।

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पीठ ने कहा, “आदेश के अनुपालन के लिए समय एक सप्ताह बढ़ाया जाता है,” साथ ही निर्देश दिया कि अनुपालन का हलफनामा दो सप्ताह के भीतर दाखिल किया जाए।

इसके बाद न्यायालय ने व्यापक स्थिति पर ध्यान दिया। अदालत ने रिकॉर्ड पर लिया कि दर्जनों मामले अंतरिम आदेशों के चलते ठहरे हुए हैं, जबकि बड़ी संख्या में मामलों में अभी पहली सुनवाई या फैसला ही नहीं हुआ है। पीठ ने संकेत दिया कि इस तरह की लंबित स्थिति से शिकायत निवारण समितियों के गठन का उद्देश्य ही विफल हो जाता है।

फैसला

सुप्रीम कोर्ट ने पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट से अनुरोध किया कि लंबित अंतरिम आवेदनों पर “यथासंभव शीघ्र” और अधिमानतः तीन सप्ताह के भीतर निर्णय लिया जाए। इस पर प्रतिक्रिया देते हुए चंडीगढ़ केंद्र शासित प्रदेश प्रशासन की ओर से उपस्थित वकील ने पीठ को आश्वस्त किया कि 18 दिसंबर तक आवश्यक कदम उठा लिए जाएंगे।

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अदालत ने एक सख्त निर्देश जारी करते हुए शिकायत निवारण एवं विवाद समाधान समिति को भी आदेश दिया कि वह अपने समक्ष लंबित सभी मामलों का दो सप्ताह के भीतर सकारात्मक रूप से निपटारा करे। पीठ ने यह भी संकेत दिया कि आगे और अंतरिम निर्देश पारित किए जा सकते हैं, मामला आदेश के लिए सुरक्षित रखा गया, और रजिस्ट्री को निर्देश दिया गया कि वह इस आदेश की सूचना तुरंत सभी संबंधित पक्षों तक पहुंचाए।

Case Title: Malkit Singh & Another vs State of U.T. Chandigarh & Others

Case No.: Special Leave Petition (Civil) No. 21349 of 2025

Case Type: Special Leave Petition (Civil) before the Supreme Court of India

Decision Date: 17 December 2025

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