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बॉम्बे हाईकोर्ट ने मालेगांव नगर निगम को बर्खास्त ड्राइवर और फायरमैन को बकाया वेतन सहित बहाल करने का आदेश दिया

Vivek G.

बॉम्बे हाईकोर्ट ने मालेगांव नगर निगम को बर्खास्त ड्राइवर और फायरमैन को बहाल करने, बकाया वेतन व स्थायी लाभ देने का आदेश दिया।

बॉम्बे हाईकोर्ट ने मालेगांव नगर निगम को बर्खास्त ड्राइवर और फायरमैन को बकाया वेतन सहित बहाल करने का आदेश दिया

चार दैनिक वेतनभोगी कर्मचारियों के लिए बड़ी राहत देते हुए बॉम्बे हाईकोर्ट ने मंगलवार को मालेगांव नगर निगम द्वारा इस साल की शुरुआत में जारी की गई सेवा समाप्ति के आदेशों को रद्द कर दिया। न्यायमूर्ति मिलिंद एन. जाधव ने फैसला सुनाते हुए निगम को निर्देश दिया कि वह एक सप्ताह के भीतर याचिकाकर्ताओं-दो ड्राइवर और दो फायरमैन-को पुनः नियुक्त करे और उन्हें बकाया वेतन के साथ-साथ स्थायीकरण का लाभ दे।

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पृष्ठभूमि

याचिकाकर्ता-प्रदीप रमेश शिंदे, भूषण सुरेश ठाकरे (ड्राइवर), और सुनील आनंद बागुल, शेख जाविद शेख रशीद (फायरमैन)-2016–17 से निगम में कार्यरत थे। शुरुआत में उन्हें छह महीने के अनुबंध पर मात्र ₹7,000 मासिक वेतन पर नियुक्त किया गया था। लेकिन वे लगातार नौ वर्षों तक बिना रुके काम करते रहे। उनकी सेवाओं को बार-बार “अस्थायी” दिखाया गया और कागज़ों पर कृत्रिम विराम दिखाए गए।

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जब निगम ने मई 2025 में उनकी अनुचित श्रम आचरण (ULP) संबंधी शिकायतें खारिज कर दीं, तब उन्होंने हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाया। लेकिन याचिकाएं लंबित रहने के दौरान ही, 2 जुलाई 2025 को निगम ने अचानक उन्हें हटा दिया, यह कहते हुए कि सरकारी प्रस्ताव के कारण व्यय सीमा 35% से अधिक होने पर नए स्थायी पद नहीं भरे जा सकते।

न्यायालय की टिप्पणियाँ

न्यायमूर्ति जाधव ने निगम के रुख पर कड़ी आपत्ति जताई। उन्होंने कहा, “कार्यपालिका की सुविधा के कारण न्याय की कसौटी पर समानता की बलि नहीं चढ़ाई जा सकती।”

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उन्होंने यह भी कहा कि याचिकाकर्ताओं ने लगातार आवश्यक सेवाओं में स्थायी कर्मचारियों के साथ कंधे से कंधा मिलाकर काम किया। अदालत ने सुप्रीम कोर्ट के हालिया फैसलों का उल्लेख करते हुए कहा कि सरकारी संस्थान केवल वित्तीय संकट का हवाला देकर लंबे समय तक अस्थायी कर्मचारियों का शोषण नहीं कर सकते। न्यायमूर्ति जाधव ने टिप्पणी की-“उनकी वास्तविकता को नज़रअंदाज़ करना, न्याय को जीवित अनुभवों से अंधा बना देना है।”

अदालत ने यह पाया कि ड्राइवर और फायरमैन उन स्वीकृत पदों पर कार्यरत थे जो 2016 में बनाए गए थे और उनका काम लगातार और स्थायी प्रकृति का था। बजट सीमा पार होने का निगम का तर्क अदालत ने “मनमाना और ऊँची हैसियत का प्रदर्शन” बताया।

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फैसला

मई 6, 2025 के औद्योगिक न्यायालय के आदेश और 2 जुलाई 2025 की सेवा समाप्ति सूचनाओं को रद्द करते हुए पीठ ने सभी चार कर्मचारियों को तुरंत पुनः बहाल करने का आदेश दिया। उन्हें सेवा की निरंतरता, बर्खास्तगी की तारीख से बकाया वेतन और स्थायीकरण के सभी लाभ दिए जाएंगे।

लगभग एक दशक से अस्थायी रोजगार की असुरक्षा से लड़ रहे इन चार कर्मचारियों के संघर्ष में यह एक निर्णायक मोड़ रहा, क्योंकि हाईकोर्ट ने स्पष्ट कहा कि सार्वजनिक संस्थान “एड-हॉकिज़्म” को गरिमा और न्याय के साथ खिलवाड़ करने की कीमत पर हमेशा जारी नहीं रख सकते।

Case: Bhushan Suresh Thakre & Ors. v. Malegaon Municipal Corporation

Case Numbers: Writ Petition Nos. 7949, 8004, 7951, 7954 of 2025
Parties:

Petitioners: Pradip Ramesh Shinde, Bhushan Suresh Thakre (Drivers), Sunil Ananda Bagul, Sheikh Javid Sheikh Rashid (Firemen)

Respondent: Malegaon Municipal Corporation

Date of Judgment: September 30, 2025

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