गुजरात उच्च न्यायालय ने नागरिक सुविधाओं के लिए मानव जीवन को जोखिम में नहीं डालने की सख्त चेतावनी देते हुए, इस प्रथा को समाप्त करने के कई निर्देशों के बावजूद, हाथ से सीवर सफाई के कारण हुई मौतों की एक और घटना पर गहरी चिंता व्यक्त की है। मुख्य न्यायाधीश सुनीता अग्रवाल और न्यायमूर्ति डी.एन. रे की अध्यक्षता वाली पीठ ने गुरुवार (16 अक्टूबर, 2025) को राज्य से सार्वजनिक-निजी भागीदारी (पीपीपी) मॉडल के तहत मशीनीकृत सफाई कार्यों पर विस्तृत अनुपालन रिपोर्ट मांगी।
यह मामला सफाई कर्मचारियों के अधिकारों और सम्मान की वकालत करने वाले सामाजिक संगठन मानव गरिमा द्वारा दायर लंबे समय से लंबित जनहित याचिका (पीआईएल) से उत्पन्न हुआ है।
पृष्ठभूमि
अप्रैल 2025 में गुजरात के शहरी आवास और शहरी विकास विभाग ने एक सर्कुलर जारी कर सभी नगर निकायों को सीवर की मशीनरी से सफाई अपनाने का निर्देश दिया था। इसके लिए गुजरात अर्बन डेवलपमेंट मिशन (GUDM) को नोडल एजेंसी बनाया गया था, जो पब्लिक-प्राइवेट पार्टनरशिप (PPP) मॉडल के तहत इस परिवर्तन की निगरानी कर रही है।
इस योजना के तहत “सीवेज जल पुनर्चक्रण सुविधा वाले वाहन-स्थापित सक्शन-कम-जेटिंग मशीनों” की खरीद और संचालन के लिए निविदा आमंत्रित की गई थी। नवंबर 2022 में GUDM ने मेट्रो वेस्ट हैंडलिंग प्रा. लि. के साथ समझौता किया था।
अब तक 17 सीवर सफाई वाहन और 10 मैनहोल-क्लीनिंग रोबोट खरीदे जा चुके हैं और इन्हें अमरेली, आनंद, भरूच, भुज और सुरेन्द्रनगर सहित कई प्रमुख नगरों में तैनात किया गया है। अतिरिक्त 209 मशीनों की खरीद प्रक्रिया चल रही है, जिसे मार्च–अप्रैल 2026 तक पूरा किया जाना है।
अदालत की टिप्पणियाँ
न्यायमूर्ति डी.एन. रे ने मौखिक आदेश में कहा कि कागजों पर प्रक्रिया ठीक दिख रही है, लेकिन ज़मीनी स्तर पर अनुपालन चिंताजनक है।
पीठ को बताया गया कि इन मशीनों की उपलब्धता के बावजूद, मैनुअल सफाई की घटनाएं अभी भी हो रही हैं - हाल ही में 9 सितंबर 2025 को दो सफाई कर्मचारियों की मैनहोल साफ करते समय मौत हो गई थी।
पीठ ने कहा, "इस न्यायालय के आदेशों के बावजूद अगर मौतें जारी हैं, तो यह अस्वीकार्य है और इसके लिए तुरंत जवाबदेही तय की जानी चाहिए।"
याचिकाकर्ता के वकील सुबरमण्यम अय्यर ने अदालत से आग्रह किया कि इस घटना के ज़िम्मेदार अधिकारियों की जवाबदेही तय की जाए। उन्होंने कहा, “लापरवाही को दंड के बिना नहीं छोड़ा जा सकता।”
राज्य की ओर से महाधिवक्ता कमल त्रिवेदी ने अदालत को आश्वासन दिया कि सरकार तेजी से काम कर रही है। उन्होंने गुजरात अर्बन डेवलपमेंट कॉरपोरेशन (GUDC) के 13 अक्टूबर के पत्र का हवाला दिया, जिसमें नई मशीनों की खरीद के आदेश जारी किए गए हैं।
हालांकि, पीठ ने कहा कि PPP मॉडल के क्रियान्वयन और GUDM की निगरानी भूमिका पर अभी भी स्पष्टता की कमी है। न्यायाधीशों ने कहा -
“प्रणाली केवल कागजों पर नहीं, बल्कि ज़मीनी स्तर पर भी काम करती दिखनी चाहिए।”
अदालत का निर्देश
हाईकोर्ट ने नगरपालिकाओं के आयुक्त को निर्देश दिया कि वे एक विस्तृत हलफनामा दायर करें, जिसमें मशीनरीकरण की प्रगति और प्रत्येक स्थानीय निकाय की भूमिका स्पष्ट की जाए।
हलफनामे में अप्रैल 2025 के सर्कुलर के अनुपालन की स्थिति और पूरी प्रक्रिया को समयसीमा सहित प्रस्तुत करने को कहा गया है।
पीठ ने यह भी कहा कि आयुक्त 150 नगरपालिकाओं की वर्तमान और भविष्य की जरूरतों का आकलन कर समयरेखा प्रस्तुत करें ताकि सभी स्थानीय निकाय जल्द से जल्द पूरी तरह मशीनरी सफाई प्रणाली में परिवर्तित हो सकें।
मामले की अगली सुनवाई 28 नवंबर 2025 को दोपहर 12:30 बजे होगी, जब प्रगति रिपोर्ट अदालत के समक्ष रखी जाएगी।
सुनवाई के अंत में अदालत ने अपने रुख को दोहराया -
“अब और कोई जान लापरवाही या पुरानी आदतों के कारण नहीं जानी चाहिए।”
Case Title: Manav Garima vs State of Gujarat & Ors.