सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को एक महत्वपूर्ण आदेश में यूरेका फोर्ब्स लिमिटेड द्वारा एटमबर्ग टेक्नोलॉजीज प्रा. लि. के खिलाफ दायर पेटेंट उल्लंघन वाद को दिल्ली हाईकोर्ट से बॉम्बे हाईकोर्ट स्थानांतरित करने का निर्देश दिया। अदालत ने माना कि दोनों कंपनियों के मामले एक पेटेंट उल्लंघन और दूसरा “निराधार धमकी” आपस में गहराई से जुड़े हैं और उन्हें एक साथ सुना जाना चाहिए ताकि दोहराव और विरोधाभासी निर्णयों से बचा जा सके।
पृष्ठभूमि
यह विवाद तब शुरू हुआ जब मुंबई स्थित स्मार्ट होम उपकरण निर्माता एटमबर्ग ने जून 2025 में “एटमबर्ग इंटेलॉन” नामक नया वॉटर प्यूरीफायर लॉन्च किया। इसके तुरंत बाद, वॉटर प्यूरीफिकेशन मार्केट की अग्रणी कंपनी यूरेका फोर्ब्स ने आरोप लगाया कि एटमबर्ग ने उसके पेटेंट किए गए स्वाद और TDS (कुल घुलित ठोस पदार्थ) समायोजन तकनीक की नकल की है।
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एटमबर्ग ने पलटवार करते हुए कहा कि यूरेका फोर्ब्स उसके डिस्ट्रीब्यूटर्स और ग्राहकों को “अनुचित और डराने वाली धमकियाँ” दे रही है - बिना किसी ठोस आधार के कानूनी कार्रवाई की धमकी। इसके खिलाफ एटमबर्ग ने 1 जुलाई 2025 को बॉम्बे हाईकोर्ट में पेटेंट अधिनियम की धारा 106 के तहत “निराधार धमकी” से राहत की मांग करते हुए मुकदमा दायर किया।
सिर्फ एक हफ्ते बाद, यूरेका फोर्ब्स ने दिल्ली हाईकोर्ट में पेटेंट उल्लंघन का मुकदमा दायर किया, यह दावा करते हुए कि एटमबर्ग का नया उत्पाद उसके बौद्धिक संपदा अधिकारों का उल्लंघन करता है। इसके बाद दोनों पक्षों ने एक-दूसरे के मामलों को अपने पसंदीदा मंच पर ले जाने की मांग की, जिसके चलते मामला सुप्रीम कोर्ट में दो प्रतिस्पर्धी ट्रांसफर याचिकाओं के रूप में पहुँचा।
अदालत के अवलोकन
न्यायमूर्ति पामिडिघंटम श्री नरसिम्हा और न्यायमूर्ति अतुल एस. चंदुरकर की पीठ ने माना कि एटमबर्ग का बॉम्बे वाला मुकदमा पहले दायर हुआ था और दोनों कंपनियों के मुख्य कार्यालय मुंबई में हैं जिससे बॉम्बे हाईकोर्ट स्वाभाविक रूप से उपयुक्त मंच बनता है।
अदालत ने कहा कि दिल्ली में ऑनलाइन खरीद और उत्पाद की डिलीवरी के आधार पर क्षेत्रीय अधिकार क्षेत्र का दावा पर्याप्त नहीं है। “केवल ऑनलाइन डिलीवरी के आधार पर दिल्ली में अधिकार क्षेत्र का दावा फोरम शॉपिंग के समान है,” पीठ ने टिप्पणी की, साथ ही ऐसे तरीकों को न्यायिक समय की बर्बादी बताया।
अदालत ने आगे कहा कि दोनों मुकदमों में तथ्य और कानून के प्रश्न लगभग समान हैं। “दोनों मुकदमों में तय किए जाने वाले मुद्दे काफी हद तक समान और एक-दूसरे से जुड़े हुए हैं,” आदेश में कहा गया, यह जोड़ते हुए कि अलग-अलग सुनवाई से “विरोधाभासी आदेश और साक्ष्य के दोहराव” की स्थिति बन सकती है।
सुप्रीम कोर्ट ने पेटेंट अधिनियम की धारा 106 के विधायी इतिहास का हवाला देते हुए स्पष्ट किया कि “निराधार धमकी” का मुकदमा स्वतंत्र कारण-कार्रवाई रखता है और यह पेटेंट उल्लंघन मुकदमे का हिस्सा नहीं माना जा सकता।
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निर्णय
न्यायिक दक्षता और एकरूपता के हित में सुप्रीम कोर्ट ने आदेश दिया कि “यूरेका फोर्ब्स लिमिटेड बनाम एटमबर्ग टेक्नोलॉजीज प्राइवेट लिमिटेड एंड अनर.” शीर्षक वाला मुकदमा (CS COMM No. 663 of 2025) दिल्ली हाईकोर्ट से बॉम्बे हाईकोर्ट स्थानांतरित किया जाए। अब दोनों मामले बॉम्बे हाईकोर्ट में एटमबर्ग के लंबित वाद (Commercial IP (L) No. 19837 of 2025) के साथ सुने जाएंगे।
“न्यायिक समय की बचत और मामलों की बहुलता से बचने के लिए यह स्थानांतरण आवश्यक है,” पीठ ने कहा। अदालत ने आगे निर्देश दिया कि मामले में लंबित अंतरिम निषेधाज्ञा (injunction) की याचिकाएँ शीघ्र निपटाई जाएँ। साथ ही यूरेका फोर्ब्स द्वारा दायर प्रत्यावेदन (काउंटर-ट्रांसफर याचिका) को खारिज कर दिया गया।
Case: Atomberg Technologies Pvt. Ltd. vs. Eureka Forbes Ltd. & Anr.
Citation: 2025 INSC 1253
Date of Judgment: October 17, 2025