दिल्ली हाईकोर्ट ने शुक्रवार को एशियन न्यूज़ इंटरनेशनल (एएनआई) और यूट्यूब से उस याचिका पर जवाब मांगा जिसमें यूट्यूबर मोहक मंगल ने एएनआई द्वारा कॉपीराइट स्ट्राइक के बाद हटाई गई अपनी दस वीडियो को फिर से बहाल करने की मांग की है।
न्यायमूर्ति मनीत प्रीतम सिंह अरोड़ा ने इस मामले की सुनवाई करते हुए दोनों पक्षों को नोटिस जारी किया और उन्हें दो सप्ताह का समय दिया कि वे अपना जवाब दाखिल करें। अदालत में दोनों ओर से वरिष्ठ वकीलों की मौजूदगी रही - एएनआई की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता सौरभ किर्पल और मंगल की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता दिया कपूर पेश हुए।
किर्पल ने अदालत से कहा कि एएनआई “मामले को जल्दी निपटाना चाहती है,” और सुझाव दिया कि मंगल या तो एजेंसी को भुगतान करे या विवादित कंटेंट को संपादित कर दे। इस पर कपूर ने सख्त आपत्ति जताते हुए कहा,
“यह कोई व्यावसायिक मामला नहीं, बल्कि अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता का मुद्दा है।”
अदालत ने इस चरण पर मामले के गुण-दोष पर टिप्पणी करने से परहेज़ किया, लेकिन यह जरूर कहा कि
“उठाए गए प्रश्न कॉपीराइट सुरक्षा और स्वतंत्र अभिव्यक्ति के अधिकार के बीच की बारीक रेखा से जुड़े हैं।”
मंगल ने अपनी याचिका में दलील दी कि एएनआई के वीडियो कंटेंट का उनका उपयोग फेयर यूज़ (न्यायोचित उपयोग) की श्रेणी में आता है, जो कॉपीराइट अधिनियम, 1957 की धारा 52 के तहत संरक्षित है। उन्होंने यह भी कहा कि मामले के लंबित रहने के दौरान यूट्यूब द्वारा वीडियो को बहाल न करना उनके काम को “अपूर्णीय क्षति” पहुँचा रहा है, क्योंकि उनका कार्य समय पर ऑनलाइन सहभागिता पर निर्भर करता है।
उन्होंने यह भी तर्क दिया कि वीडियो हटाना उनके संविधान के अनुच्छेद 19(1)(क) के तहत मिले अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के मौलिक अधिकार का उल्लंघन है और यह एक प्रकार की अप्रत्यक्ष सेंसरशिप है।
संक्षिप्त बहस के बाद न्यायमूर्ति अरोड़ा ने एएनआई और यूट्यूब दोनों को विस्तृत जवाब दाखिल करने का निर्देश दिया और कहा कि अगली सुनवाई में मामले की अंतिम दलीलें सुनी जाएंगी।
“दोनों पक्षों को सुनने के बाद मामले पर अंतिम निर्णय दिया जाएगा,” न्यायाधीश ने कहा और सुनवाई स्थगित कर दी।
Case Title: ANI v. Mohak Mangal & Ors