मंगलवार को हुई सुनवाई में माहौल थोड़ा तनावपूर्ण था, लेकिन बहस स्पष्ट थी। कोलकाता हाईकोर्ट ने आगामी काली पूजा के दौरान बोला काली पूजा समिति और राज्य सरकार को सख्ती से सुनिश्चित करने का निर्देश दिया कि सामूहिक पशु बलि न हो। यह मामला कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश Sujoy Paul और न्यायमूर्ति पार्थ सारथी सेन की पीठ के समक्ष सुना गया।
सुनवाई में याचिकाकर्ता ‘श्री वर्धमान परिवार’ की ओर से वकील, राज्य के महाधिवक्ता, और बोला काली मंदिर समिति के वकीलों ने भाग लिया।
Background (पृष्ठभूमि)
बोला काली पूजा में होने वाली पशु बलि कई वर्षों से विवाद और कानूनी चुनौतियों में फंसी है। याचिकाकर्ता ने Prevention of Cruelty to Animals (Slaughter House) Rules, 2001 का हवाला देते हुए कहा कि किसी भी पशु की बलि केवल उन स्थानों पर हो सकती है जिन्हें सरकार द्वारा अधिकृत किया गया है।
3 नवंबर 2025 को राज्य के अधिकारियों और मंदिर समिति के बीच हुई बैठक में यह सहमति दर्ज हुई थी कि सामूहिक बलि नहीं होगी और समिति लोगों को बलि न करने के लिए जागरूक करने का प्रयास करेगी।
इसी विषय पर पहले भी हाईकोर्ट ने निर्देश दिए थे और 2019 में सुप्रीम कोर्ट ने भी स्पष्ट किया था कि धार्मिक परंपरा के नाम पर भी बलि केवल वैध स्थानों पर ही की जा सकती है।
Court’s Observations (अदालत की टिप्पणियाँ)
पीठ ने 3 नवंबर की बैठक में दर्ज प्रतिबद्धताओं को महत्वपूर्ण मानते हुए कहा कि राज्य और मंदिर समिति को इन शर्तों को सख्ती से लागू करना होगा। राज्य के महाधिवक्ता ने कहा कि सरकार इस पर पूरी तरह गंभीर है।
मंदिर समिति के वकील ने कहा कि समिति स्वयं केवल दो पशुओं की बलि “नियम रक्षक” रीति से ही करेगी और वह भी अधिकृत स्थल पर, लेकिन श्रद्धालुओं के व्यक्तिगत कार्यों पर समिति नियंत्रण नहीं रख सकती।
हालाँकि, अदालत इस दलील से पूरी तरह संतुष्ट नहीं दिखी।
पीठ ने कहा, “शर्तें केवल कागजी औपचारिकता नहीं हो सकतीं। समिति और प्रशासन को इन्हें पूरी निष्ठा से लागू करना होगा।”
पीठ ने त्रिपुरा और हिमाचल प्रदेश हाईकोर्ट के उन निर्णयों का भी उल्लेख किया, जिनमें सामूहिक बलि को अस्वीकार किया गया था, और कहा कि सुप्रीम कोर्ट ने भी केवल वैध स्थल पर पशु बलि की ही अनुमति दी है।
Decision (फैसला)
अदालत ने निम्न आदेश जारी किए:
- सरकार और स्थानीय निकाय सुनिश्चित करें कि 03.11.2025 की बैठक में दर्ज शर्तों का पालन कड़ाई से हो।
- बोला काली पूजा समिति अपनी सभी सहमतियों को पूर्ण रूप से लागू करे।
- पशु बलि केवल 2001 के नियमों के अनुरूप अधिकृत स्थलों पर ही हो सकती है।
- इस आदेश को जनता के बीच 05.11.2025 तक प्रसारित किया जाए ताकि जागरूकता फैले।
- राज्य सरकार इलेक्ट्रॉनिक माध्यमों से भी इस आदेश का व्यापक प्रसार सुनिश्चित करे।
मामला अब दिसंबर 2025 के दूसरे सप्ताह में आगे की सुनवाई के लिए सूचीबद्ध किया गया है।
लेख यहीं समाप्त होता है, अदालत के निर्णय पर।
Case Title: Shree Vardhman Parivar vs. State of West Bengal & Others (Bolla Kali Puja Animal Sacrifice Case)
Court: Calcutta High Court (Division Bench)
Bench: Acting Chief Justice Sujoy Paul and Justice Partha Sarathi Sen
Case No.: WPA(P) 427 of 2025
Petitioner: Shree Vardhman Parivar
Respondents: State of West Bengal & Bolla Kali Temple Committee
Date of Order: November 4, 2025