केंद्र सरकार ने हाल ही में पुष्टि की कि 18 जुलाई 2025 की स्थिति के अनुसार, देश के उच्च न्यायालयों में 371 न्यायाधीशों के पद खाली हैं। इनमें से 178 पदों पर नियुक्तियों के प्रस्ताव सुप्रीम कोर्ट कॉलेजियम और सरकार के बीच अलग-अलग चरणों में प्रक्रिया में हैं। यह जानकारी राज्यसभा सांसद विवेक टी. टन्खा द्वारा पूछे गए एक असितारा (unstarred) प्रश्न के उत्तर में दी गई।
"18.07.2025 तक, 1122 स्वीकृत पदों में से 751 न्यायाधीश कार्यरत हैं और 371 पद रिक्त हैं।"– कानून और न्याय मंत्री
यह बयान 24 जुलाई 2025 को राज्यसभा में दिया गया, जिसमें न्यायिक नियुक्तियों से संबंधित प्रक्रिया, देरी और सिफारिशों की स्थिति के बारे में जानकारी मांगी गई थी।
371 रिक्तियों में से 178 नियुक्ति प्रस्ताव प्रक्रिया में हैं। हालांकि, शेष 193 पदों के लिए अब तक उच्च न्यायालय कॉलेजियमों से कोई सिफारिश प्राप्त नहीं हुई है।
मंत्री ने बताया कि जजों की नियुक्ति भारतीय संविधान के अनुच्छेद 217 और 224 तथा 1993 के दूसरे जज केस और 1998 के तीसरे जज केस के निर्णयों के आधार पर तैयार किए गए "मेमोरेंडम ऑफ प्रोसीजर (MoP)" के अनुसार की जाती है।
"उच्च न्यायपालिका में जजों की नियुक्ति एक निरंतर, एकीकृत और सहयोगात्मक प्रक्रिया है जिसमें कार्यपालिका और न्यायपालिका दोनों की भागीदारी होती है।"
– कानून मंत्री
MoP के अनुसार:
- सुप्रीम कोर्ट में नियुक्तियों की पहल मुख्य न्यायाधीश (CJI) द्वारा की जाती है।
- हाई कोर्ट के लिए नियुक्तियों की शुरुआत संबंधित मुख्य न्यायाधीश, तथा दो वरिष्ठतम पुजनी जजों की सलाह से की जाती है।
मंत्री ने यह भी बताया कि उच्च न्यायालयों को अपेक्षित है कि वे रिक्ति होने से कम से कम 6 महीने पहले सिफारिशें भेजें, लेकिन यह समयसीमा शायद ही कभी पूरी की जाती है।
इसके साथ ही, राज्य सरकार की राय भी इस प्रक्रिया में शामिल होती है। अंतिम निर्णय लेने से पहले यह विचार किए जाते हैं:
- हाई कोर्ट कॉलेजियम की सिफारिश
- राज्य सरकार की राय
- भारत सरकार की जांच
- अंततः सुप्रीम कोर्ट कॉलेजियम (SCC) की मंजूरी
“राज्य सरकार की राय MoP के अनुसार ली जाती है और अन्य स्रोतों से मिली जानकारी के साथ विचार किया जाता है, फिर नाम SCC को भेजे जाते हैं।”
– कानून मंत्रालय का उत्तर
2020 से 2025 तक की नियुक्तियां
1 जनवरी 2020 से 18 जुलाई 2025 के बीच सरकार ने बताया कि:
- 35 जजों की नियुक्ति सुप्रीम कोर्ट में की गई।
- 554 जजों की नियुक्ति विभिन्न हाई कोर्ट में की गई।
- 349 नाम हाई कोर्ट को वापस भेजे गए पुनर्विचार हेतु।