भारत के महाधिवक्ता आर. वेंकटरमणी को एक अनुरोध भेजा गया है, जिसमें BJP सांसद निशिकांत दुबे के खिलाफ आपराधिक अवमानना की कार्यवाही शुरू करने की अनुमति मांगी गई है। यह मांग दुबे द्वारा भारत के सुप्रीम कोर्ट और भारत के मुख्य न्यायाधीश (CJI) संजीव खन्ना को लेकर की गई टिप्पणियों के बाद उठी है।
एक अधिवक्ता-ऑन-रिकॉर्ड द्वारा भेजे गए पत्र के अनुसार, दुबे ने कथित रूप से कहा कि "सुप्रीम कोर्ट देश को अराजकता की ओर ले जा रहा है" और "भारत में जो गृहयुद्ध हो रहे हैं, उसके लिए भारत के मुख्य न्यायाधीश संजीव खन्ना जिम्मेदार हैं।" यह टिप्पणी सुप्रीम कोर्ट द्वारा राष्ट्रपति और राज्यपालों को विधेयकों पर कार्रवाई करने के लिए समयसीमा तय करने के संदर्भ में की गई थी।
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पत्र में आगे कहा गया है कि दुबे ने वक्फ संशोधन अधिनियम को चुनौती देने वाली याचिकाओं में अदालत के हस्तक्षेप पर आपत्ति जताते हुए सांप्रदायिक रूप से संवेदनशील बयान भी दिए।
“उन्होंने राष्ट्र में अशांति के लिए माननीय भारत के मुख्य न्यायाधीश को जिम्मेदार ठहराते हुए देश की सर्वोच्च न्यायिक संस्था को कलंकित किया है और सार्वजनिक असंतोष, आक्रोश व संभावित अशांति भड़काने की कोशिश की है,”
– महाधिवक्ता को भेजे गए पत्र में कहा गया।
यह शिकायत अवमानना अधिनियम की धारा 15(1)(b) के तहत की गई है, जो किसी भी व्यक्ति को महाधिवक्ता से अनुमति लेकर सुप्रीम कोर्ट में आपराधिक अवमानना की कार्यवाही शुरू करने का अधिकार देती है।
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पत्र में यह भी कहा गया है कि इस तरह की बेसिर-पैर की और उकसाने वाली टिप्पणियां न केवल न्यायपालिका की गरिमा को ठेस पहुंचाती हैं बल्कि उसकी स्वतंत्रता और विश्वसनीयता पर भी गंभीर हमला करती हैं।
“ऐसी टिप्पणियां बिना किसी आधार के न्यायपालिका की निष्पक्षता और स्वतंत्रता पर गंभीर हमला हैं,”
– याचिका में कहा गया।
इस पूरे विवाद के बाद, BJP के राष्ट्रीय अध्यक्ष जे.पी. नड्डा ने पार्टी को दुबे की टिप्पणियों से अलग कर लिया, और स्पष्ट किया कि यह सांसद की निजी राय थी और पार्टी ऐसे विचारों से सहमत नहीं है।