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दिल्ली हाईकोर्ट का सवाल: बिना ट्रायल किसी को कितने समय तक जेल में रखा जा सकता है? – तसलीम अहमद ज़मानत मामला

Shivam Y.

दिल्ली हाईकोर्ट ने 2020 दंगे से जुड़े UAPA केस में लंबी हिरासत पर दिल्ली पुलिस से पूछा सवाल। तसलीम अहमद ने बिना किसी देरी के 5 साल से जेल में रहने के आधार पर ज़मानत मांगी।

दिल्ली हाईकोर्ट का सवाल: बिना ट्रायल किसी को कितने समय तक जेल में रखा जा सकता है? – तसलीम अहमद ज़मानत मामला

2020 के उत्तर-पूर्वी दिल्ली दंगों की साजिश से जुड़े UAPA केस में एक महत्वपूर्ण मोड़ पर दिल्ली हाईकोर्ट ने मंगलवार को दिल्ली पुलिस से पूछा, "बिना ट्रायल किसी व्यक्ति को कितने समय तक जेल में रखा जा सकता है?" अदालत यह सवाल उस समय पूछ रही थी जब वह तसलीम अहमद की ज़मानत याचिका पर सुनवाई कर रही थी, जो पिछले पांच वर्षों से जेल में हैं।

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जस्टिस सुब्रमोनियम प्रसाद और जस्टिस हरीश वैद्यनाथन शंकर की खंडपीठ ने यह सवाल उठाया, जिससे लंबी हिरासत और ट्रायल में देरी के मुद्दे पर बहस शुरू हो गई।

"पांच साल हो गए हैं। अभी तक चार्ज पर बहस भी पूरी नहीं हुई है। ऐसे मामलों में 700 गवाह हैं, तो किसी व्यक्ति को कितने समय तक जेल में रखा जा सकता है?" – हाईकोर्ट की पीठ

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तसलीम अहमद की ओर से अधिवक्ता महमूद प्राचा ने दलील दी कि उनके मुवक्किल को 24 जून 2020 को गिरफ़्तार किया गया था, और वे अब तक एक भी दिन की देरी के लिए जिम्मेदार नहीं हैं।

"मैंने एक भी दिन की स्थगन नहीं ली है। मैंने अपनी डिफेंस भी पूरी तरह खत्म कर दी है। मैंने तो अपनी धारा 207 CrPC की अर्जी तक पर ज़ोर नहीं दिया," – अधिवक्ता महमूद प्राचा

प्राचा ने यह भी बताया कि इसी केस के अन्य सह-आरोपी जैसे देवांगना कलिता, आसिफ इक़बाल तन्हा और नताशा नरवाल को ट्रायल में देरी के आधार पर 2021 में ज़मानत मिल चुकी है, जबकि उन्होंने लगभग एक साल दो महीने की हिरासत काटी थी।

उन्होंने यह भी जोड़ा कि जहां अन्य पांच सह-आरोपी अक्टूबर से अब तक चार्ज पर बहस पूरी नहीं कर सके हैं, वहीं अहमद ने एक ही दिन में, सिर्फ 10-15 मिनट में अपनी बहस पूरी कर ली।

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वहीं दिल्ली पुलिस की ओर से विशेष लोक अभियोजक (SPP) अमित प्रसाद ने कहा कि ट्रायल में देरी के लिए अभियोजन को ज़िम्मेदार नहीं ठहराया जा सकता, और उन्होंने निचली अदालत के कई आदेशों का हवाला दिया जिसमें आरोपी पक्ष द्वारा मांगी गई स्थगनों को रिकॉर्ड किया गया है। उन्होंने यह भी कहा कि ट्रायल कोर्ट द्वारा तसलीम की ज़मानत याचिका खारिज की जा चुकी है और इसमें उनकी संलिप्तता का प्रथम दृष्टया निष्कर्ष भी दिया गया है।

"विशेष न्यायाधीश ने पहले ही तसलीम की साजिश में भूमिका को लेकर प्रथम दृष्टया निष्कर्ष दिया है," – SPP अमित प्रसाद

बाद में, अधिवक्ता प्राचा ने अपने तर्कों में बदलाव करते हुए समानता के आधार पर ज़मानत की दलील वापस ले ली और केवल ट्रायल में देरी को ज़मानत का आधार बताया।

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"मैं अन्य आरोपियों के तर्कों पर ज़ोर नहीं दे रहा हूं। मेरा एकमात्र तर्क है कि ट्रायल में देरी हुई है और तसलीम पांच साल से बिना किसी देरी के हिरासत में हैं," – अधिवक्ता महमूद प्राचा

हाईकोर्ट में अगली सुनवाई कल सुबह 10:30 बजे होगी

यह मामला FIR 59/2020 से जुड़ा है, जिसे दिल्ली पुलिस की स्पेशल सेल ने भारतीय दंड संहिता और UAPA की धाराओं के तहत दर्ज किया था। एक समन्वय पीठ (coordinate bench) इस मामले के अन्य सह-आरोपियों जैसे उमर खालिद, शरजील इमाम, शिफा-उर-रहमान और खालिद सैफी की ज़मानत याचिकाओं पर भी सुनवाई कर रही है।

शीर्षक: तस्लीम अहमद बनाम राज्य