वित्त मंत्रालय ने स्पष्ट किया है कि आयकर अधिकारी किसी भी करदाता के व्यक्तिगत ईमेल, सोशल मीडिया अकाउंट या बैंक खातों तक पहुँच नहीं सकते हैं। हालांकि, नए आयकर विधेयक 2025 में एक प्रावधान शामिल किया गया है, जिसके तहत, यदि कोई व्यक्ति सहयोग नहीं करता है, तो अधिकारी तलाशी और जब्ती के कुछ मामलों में करदाता के कंप्यूटर सिस्टम तक पहुँचने के लिए एक्सेस कोड को ओवरराइड कर सकते हैं।
वित्त राज्य मंत्री पंकज चौधरी ने संसद में नए कर कानून के तहत अधिकारियों को दी गई शक्तियों को लेकर उठे सवालों का जवाब दिया। यह जवाब तब आया जब तृणमूल कांग्रेस के राज्यसभा सांसद रितब्रत बनर्जी ने पूछा कि क्या कर अधिकारी निजी डिजिटल संपत्तियों तक पहुँच सकते हैं।
पूछे गए सवाल:
(a) क्या आयकर अधिकारियों को करदाताओं के व्यक्तिगत ईमेल, सोशल मीडिया और बैंक खातों तक पहुँचने की अनुमति दी जाएगी?
(b) यदि हाँ, तो इसके विवरण और कारण क्या हैं?
इन सवालों के जवाब में पंकज चौधरी ने कहा:
“नहीं, मौजूदा आयकर अधिनियम 1961 की धारा 132 के तहत, अधिकृत अधिकारी को इलेक्ट्रॉनिक रूप में रखे गए खातों या दस्तावेजों का निरीक्षण करने की सुविधा दी जाती है, जैसा कि सूचना प्रौद्योगिकी अधिनियम, 2000 की धारा 2(1)(t) में परिभाषित किया गया है। नया आयकर विधेयक 2025 भी धारा 247 के तहत इसी तरह का प्रावधान करता है। हालांकि, जब तलाशी और जब्ती की अधिकृत कार्रवाई के दौरान एक्सेस कोड उपलब्ध नहीं होता है और करदाता सहयोग नहीं करता, तो अधिकारी एक्सेस कोड को ओवरराइड कर सिस्टम तक पहुँच सकते हैं।”
नए आयकर विधेयक 2025 की धारा 247 ने बहस छेड़ दी है क्योंकि यह कर अधिकारियों को कर चोरी के संदेह में करदाता के कंप्यूटर सिस्टम या आभासी डिजिटल स्पेस तक पहुँचने की अनुमति देता है। इससे निजता और डिजिटल सुरक्षा को लेकर चिंता बढ़ गई है।
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विधेयक के अनुसार, आभासी डिजिटल स्पेस में शामिल हैं:
- ईमेल सर्वर
- सोशल मीडिया अकाउंट
- ऑनलाइन निवेश और ट्रेडिंग अकाउंट
- क्लाउड स्टोरेज सर्वर
- संपत्ति स्वामित्व का विवरण रखने वाली वेबसाइटें
- डिजिटल एप्लिकेशन प्लेटफॉर्म
“आभासी डिजिटल स्पेस को व्यापक रूप से परिभाषित किया गया है, जिसमें वित्तीय लेन-देन और संपत्ति भंडारण के लिए उपयोग किए जाने वाले डिजिटल प्लेटफॉर्म शामिल हैं,” विधेयक में कहा गया है।
धारा 247 के लागू होने से विशेषज्ञों का मानना है कि सरकार कर चोरी रोकने के लिए सख्त कदम उठा रही है, लेकिन साथ ही यह सुनिश्चित करना भी जरूरी है कि करदाताओं की डिजिटल निजता सुरक्षित रहे। अधिकारियों को एक्सेस कोड ओवरराइड करने की अनुमति देना कानून प्रवर्तन के लिए आवश्यक हो सकता है, लेकिन इसके दुरुपयोग को रोकने के लिए सख्त नियामक निगरानी होनी चाहिए।
वित्त मंत्रालय ने आश्वासन दिया है कि ये प्रावधान केवल असाधारण मामलों में, जब करदाता सहयोग नहीं कर रहा हो, और सक्षम प्राधिकारी द्वारा अनुमोदित किए जाने के बाद ही लागू होंगे।