मद्रास हाईकोर्ट ने प्रसिद्ध तमिल फिल्म निर्माता एस. शंकर की 10 करोड़ रुपये मूल्य की संपत्ति की प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) द्वारा अस्थायी कुर्की पर रोक लगा दी है। यह मामला 2010 की ब्लॉकबस्टर फिल्म एंथिरन से जुड़े एक कॉपीराइट उल्लंघन विवाद से संबंधित है।
न्यायमूर्ति एम.एस. रमेश और न्यायमूर्ति एन. सेंथिलकुमार की खंडपीठ ने शंकर द्वारा दायर याचिका पर सुनवाई करते हुए यह रोक लगाई। यह मामला अरूर तमिलनादन द्वारा दायर शिकायत के बाद सामने आया, जिसमें उन्होंने दावा किया कि एंथिरन की कहानी उनके लेख जुगिबा से प्रेरित थी। इस शिकायत के आधार पर, ईडी ने धन शोधन निवारण अधिनियम (PMLA) के तहत कार्रवाई करते हुए 17 फरवरी को शंकर की संपत्ति को अस्थायी रूप से कुर्क कर लिया।
विवाद की पृष्ठभूमि
इस विवाद की जड़ें जून 2023 में दायर एक दीवानी मुकदमे से जुड़ी हैं, जिसे मद्रास हाईकोर्ट के एकल न्यायाधीश ने खारिज कर दिया था। अदालत ने स्पष्ट किया कि किसी विचार या अवधारणा पर कॉपीराइट का दावा नहीं किया जा सकता और यह भी कहा कि एंथिरन की कहानी जुगिबा की प्रतिलिपि होने का कोई ठोस प्रमाण नहीं है।
इसके बावजूद, ईडी ने शंकर के खिलाफ कार्रवाई जारी रखी, जिससे फिल्म निर्देशक को हाईकोर्ट की शरण लेनी पड़ी।
Read Also:- सुप्रीम कोर्ट ने यूपी विधायक अब्बास अंसारी को सशर्त अंतरिम जमानत दी
अदालत ने ईडी की कार्रवाई पर उठाए सवाल
सुनवाई के दौरान, शंकर के वकील वरिष्ठ अधिवक्ता पी.एस. रमन ने तर्क दिया कि ईडी की यह कार्रवाई मनमानी है, खासकर तब जब पहले ही एकल न्यायाधीश द्वारा यह स्पष्ट किया जा चुका था कि कॉपीराइट अधिनियम का कोई उल्लंघन नहीं हुआ है। उन्होंने यह भी सवाल उठाया कि ईडी ने शंकर की 11.5 करोड़ रुपये की कमाई से संबंधित गलत दावे किए हैं, जबकि यह राशि अन्य कार्यों से अर्जित की गई थी और इसका इस विवादित कॉपीराइट मुद्दे से कोई संबंध नहीं था।
मद्रास हाईकोर्ट ने भी ईडी की कार्रवाई के औचित्य पर गंभीर प्रश्न उठाए:
"क्या ईडी केवल किसी व्यक्ति की शिकायत के आधार पर मामला दर्ज कर सकती है? ईडी ने संपत्ति कुर्क करने से पहले शिकायत के नतीजे का इंतजार क्यों नहीं किया?" अदालत ने ईडी के वकील से यह सवाल किया।
इस पर, ईडी के वकील विष्णु ने विजय मदनलाल चौधरी के फैसले का हवाला देते हुए तर्क दिया कि एजेंसी के पास किसी भी व्यक्ति की शिकायत के आधार पर कार्रवाई करने का अधिकार है। उन्होंने यह भी दावा किया कि ईडी की इस कार्रवाई से शंकर को कोई नुकसान नहीं हुआ है, इसलिए इसमें हस्तक्षेप करने की आवश्यकता नहीं है।
सुनवाई के बाद, मद्रास हाईकोर्ट ने ईडी को निर्देश दिया कि वह शंकर की याचिका पर अपना जवाब दाखिल करे और अगली सुनवाई की तारीख 21 अप्रैल निर्धारित की।
यह मामला ईडी के अधिकार क्षेत्र और इसकी सीमाओं से संबंधित महत्वपूर्ण कानूनी प्रश्न खड़ा करता है, विशेष रूप से तब जब यह बौद्धिक संपदा विवादों और धन शोधन निवारण अधिनियम के तहत वित्तीय जांच से जुड़ा हो।
मामले का शीर्षक: एस. शंकर बनाम उप निदेशक
मामला संख्या: WP 8352/2025
अगली सुनवाई की तिथि: 21 अप्रैल 2025
इस मामले पर सभी की नजरें टिकी रहेंगी क्योंकि यह कॉपीराइट विवादों के वित्तीय जांच के दायरे में आने से जुड़े महत्वपूर्ण कानूनी पहलुओं को स्पष्ट कर सकता है।