Logo
Court Book - India Code App - Play Store

advertisement

जिला न्यायाधीश भर्ती विवाद : सुप्रीम कोर्ट ने राजस्थान हाईकोर्ट को नोटिस जारी किया

Court Book

सुप्रीम कोर्ट ने राजस्थान हाईकोर्ट को जिला न्यायाधीशों की भर्ती पर लंबित 2020 विवाद के समाधान से पहले नई भर्ती प्रक्रिया शुरू करने पर नोटिस जारी किया है।

जिला न्यायाधीश भर्ती विवाद : सुप्रीम कोर्ट ने राजस्थान हाईकोर्ट को नोटिस जारी किया

सुप्रीम कोर्ट ने राजस्थान हाईकोर्ट को जिला न्यायाधीशों की भर्ती प्रक्रिया को लेकर नोटिस जारी किया है। यह नोटिस उस याचिका पर जारी हुआ है जिसमें हाईकोर्ट द्वारा 2020 की लंबित भर्ती प्रक्रिया को निपटाए बिना नई भर्ती प्रक्रिया शुरू करने को चुनौती दी गई थी।

न्यायमूर्ति जेबी पारडीवाला और न्यायमूर्ति आर. महादेवन की पीठ ने राजस्थान हाईकोर्ट के रजिस्ट्रार जनरल को नोटिस जारी किया। याचिकाकर्ताओं की ओर से अधिवक्ता-ऑन-रिकॉर्ड नमित सक्सेना ने बताया कि जुलाई 2024 में सुप्रीम कोर्ट ने 2020 की भर्ती संबंधी चुनौती को शीघ्र निपटाने का निर्देश दिया था। इसके बावजूद, हाईकोर्ट ने 2025-26 के लिए नई भर्ती अधिसूचना जारी कर दी, जबकि पहले की प्रक्रिया पर फैसला नहीं लिया गया।

Read Also:- सुप्रीम कोर्ट ने गुवाहाटी हाईकोर्ट बार एसोसिएशन अध्यक्ष के खिलाफ अवमानना कार्यवाही पर लगाई रोक

याचिकाकर्ताओं ने बताया कि 2020 में जिला न्यायाधीश भर्ती के लिए 85 पदों पर विज्ञापन जारी हुआ था। मुख्य (लिखित) परीक्षा में 788 उम्मीदवार शामिल हुए, लेकिन केवल 4 को पास घोषित कर साक्षात्कार के लिए बुलाया गया।

चयन प्रक्रिया को चुनौती देते हुए याचिकाकर्ता पहले सुप्रीम कोर्ट पहुंचे थे। सुप्रीम कोर्ट ने 17 नवंबर 2022 को उन्हें हाईकोर्ट जाने का निर्देश दिया। इसके बाद, 18 अप्रैल 2023 को हाईकोर्ट ने जस्टिस गोविंद माथुर (राजस्थान हाईकोर्ट के पूर्व न्यायाधीश और इलाहाबाद हाईकोर्ट के पूर्व मुख्य न्यायाधीश) को मुख्य परीक्षा की उत्तर पुस्तिकाओं की जांच करने का आदेश दिया।

Read Also:- आदेश 43 नियम 1ए के तहत समझौता डिक्री के खिलाफ कोई सीधी अपील नहीं; पहले ट्रायल कोर्ट के उपाय का इस्तेमाल किया जाना चाहिए: सुप्रीम कोर्ट

जस्टिस माथुर ने अपनी रिपोर्ट में कहा कि मूल्यांकन में कोई अनियमितता नहीं पाई गई। इस रिपोर्ट के खिलाफ याचिकाकर्ताओं ने आपत्तियाँ दर्ज कराई, और हाईकोर्ट ने अपना पक्ष भी प्रस्तुत किया।

फरवरी 14, 2024 को हाईकोर्ट ने परीक्षा प्रकोष्ठ को निर्देश दिया कि एक विशेषज्ञ समिति गठित की जाए, जिसमें प्रतिष्ठित प्रोफेसर और विधि विशेषज्ञ शामिल हों। समिति को प्रत्येक पेपर से 20 उत्तर पुस्तिकाओं को यादृच्छिक रूप से चुनकर गोपनीय तरीके से मूल्यांकन करना था।

कोर्ट ने अपने आदेश में कहा:

"विशेषज्ञ समिति गोपनीयता बनाए रखते हुए निष्पक्ष मूल्यांकन करेगी ताकि प्रक्रिया में पारदर्शिता सुनिश्चित हो सके।"

Read Also:- परिवार की हत्या के मामले में मानसिक बीमारी और सुधार का हवाला देते हुए सुप्रीम कोर्ट ने मौत की सज़ा को उम्रकैद में बदला

हाईकोर्ट के प्रशासनिक पक्ष ने इस आदेश को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी थी, लेकिन 9 जुलाई 2024 को सुप्रीम कोर्ट ने वह चुनौती खारिज कर दी।

अब याचिकाकर्ता फिर से सुप्रीम कोर्ट पहुंचे हैं। उन्होंने आरोप लगाया है कि फरवरी 2024 के आदेश को निष्क्रिय करने के उद्देश्य से हाईकोर्ट ने नई भर्ती प्रक्रिया शुरू कर दी है। याचिकाकर्ताओं का कहना है कि जब तक 2020 की भर्ती प्रक्रिया पूरी तरह से निष्कर्ष पर नहीं पहुँचती, तब तक नई भर्ती शुरू करना उचित नहीं है। साथ ही, 2024 की अधिसूचना में भी वास्तविक रिक्तियों का स्पष्ट उल्लेख नहीं किया गया था, और यह रिक्तियां फरवरी 2024 के आदेश के अंतिम परिणाम पर निर्भर बताई गई थीं।

Case Details: NARENDRA MOHAN vs. THE REGISTRAR (EXAMINATION), RAJASTHAN HIGH COURT & ANR|W.P.(C) No. 000402 / 2025

Advertisment

Recommended Posts