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सुप्रीम कोर्ट ने TN थौहीद जमात के सदस्यों के खिलाफ आपत्तिजनक भाषण पर दर्ज FIRs रद्द करने से किया इनकार; मुकदमों को मडुरै में क्लब करने की अनुमति दी

29 Apr 2025 7:41 PM - By Shivam Y.

सुप्रीम कोर्ट ने TN थौहीद जमात के सदस्यों के खिलाफ आपत्तिजनक भाषण पर दर्ज FIRs रद्द करने से किया इनकार; मुकदमों को मडुरै में क्लब करने की अनुमति दी

सुप्रीम कोर्ट ने हाल ही में रहमतुल्ला बनाम तमिलनाडु राज्य और अन्य मामले में एक अहम फैसला सुनाया। इसमें उसने तमिलनाडु थौहीद जमात के दो सदस्यों के खिलाफ दर्ज आपत्तिजनक भाषण से संबंधित एफआईआर को रद्द करने से इनकार कर दिया। ये एफआईआर कर्नाटक हाई कोर्ट के हिजाब फैसले के बाद दिए गए बयानों पर दर्ज की गई थीं।

यह मामला न्यायमूर्ति विक्रम नाथ और न्यायमूर्ति संदीप मेहता की पीठ ने सुना।

“याचिकाकर्ताओं द्वारा दिए गए भाषणों की भाषा अत्यंत आपत्तिजनक है और आरोपित अपराधों के आवश्यक तत्व स्पष्ट रूप से प्रकट होते हैं। इसलिए अनुच्छेद 32 के तहत इस न्यायालय की रिट क्षेत्राधिकार का प्रयोग करते हुए FIRs को रद्द करने की कोई गुंजाइश नहीं है।”
– सुप्रीम कोर्ट

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न्यायालय ने याचिकाकर्ताओं की FIR रद्द करने की मांग खारिज कर दी, लेकिन मदुरै, तंजावुर और बेंगलुरु में दर्ज सभी FIRs को एक साथ करने की अनुमति दी। पीठ ने कहा कि ये तीनों FIRs 17 मार्च 2022 को मदुरै में दिए गए एक ही भाषण से संबंधित हैं।

“विभिन्न क्षेत्रों में अलग-अलग अभियोजन की अनुमति देने से विरोधाभासी फैसलों की संभावना और एक ही मामले पर कई मुकदमों की स्थिति उत्पन्न हो सकती है, जो न्यायहित में उपयुक्त नहीं है।”
– न्यायालय का अवलोकन

न्यायालय ने अमिश देवगन मामले (2021) में दिए गए फैसले का उल्लेख करते हुए अनुच्छेद 142 का प्रयोग किया और सभी FIRs को एक ही क्षेत्र में समेकित कर संयुक्त मुकदमे की अनुमति दी।

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FIRs भारतीय दंड संहिता की विभिन्न धाराओं 153A, 505(1)(b), 505(1)(c), 505(2), 506(1), और 109 के तहत दर्ज की गई थीं। भाषणों में कथित रूप से:

  • संसद हमले के मास्टरमाइंड अफजल गुरु की प्रशंसा की गई
  • अयोध्या राम मंदिर पर दिए गए फैसले की आलोचना की गई
  • ईसाइयों, हिंदुओं और सिखों की धार्मिक प्रथाओं पर टिप्पणी की गई
  • उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री के पहनावे पर टिप्पणी की गई
  • मुस्लिम महिलाओं के हिजाब पहनने को अन्य धार्मिक प्रथाओं से जोड़ा गया

याचिकाकर्ताओं ने हाई कोर्ट और सुप्रीम कोर्ट के न्यायाधीशों के लिए भी अशोभनीय भाषा का प्रयोग किया, जिसे न्यायालय ने सार्वजनिक व्यवस्था और न्यायपालिका की गरिमा के लिए हानिकारक बताया।

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पीठ ने पाया कि सभी भाषण मदुरै के थल्लाकुलम थाना क्षेत्र में दिए गए थे और इसलिए आदेश दिया गया:

“FIR No. 223/2022 (मदुरै), FIR No. 189/2022 (तंजावुर), और FIR No. 18/2022 (बेंगलुरु) से उत्पन्न सभी मुकदमों को मदुरै की सक्षम न्यायालय में स्थानांतरित कर एक साथ चलाया जाए।”
– सुप्रीम कोर्ट का अनुच्छेद 32 और 142 के तहत निर्देश

याचिकाओं का इस प्रकार निपटारा किया गया, और न्यायालय ने कर्नाटक और मद्रास हाई कोर्ट के रजिस्ट्रार जनरल को अनुपालन के लिए आवश्यक कदम उठाने का निर्देश दिया।

केस विवरण: रहमथुल्ला बनाम तमिलनाडु राज्य और अन्य | रिट याचिका (सीआरएल) संख्या (एस) 2022 की 132

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