भारत के सुप्रीम कोर्ट ने यूट्यूबर रणवीर अल्लाहबादिया की पासपोर्ट रिलीज़ की याचिका को दो सप्ताह के लिए टाल दिया है। यह फैसला सॉलिसिटर जनरल के इस बयान के बाद लिया गया कि "इंडियाज गॉट लैटेंट" शो में की गई उनकी टिप्पणी के संबंध में दायर कई एफआईआर की जांच अंतिम चरण में है।
मामले की पृष्ठभूमि
लोकप्रिय यूट्यूबर रणवीर अल्लाहबादिया, जिन्हें "बियर बाइसेप्स" के नाम से जाना जाता है, को सुप्रीम कोर्ट द्वारा अंतरिम सुरक्षा प्रदान किए जाने की शर्तों के तहत अपना पासपोर्ट ठाणे पुलिस स्टेशन के जांच अधिकारी को जमा करना पड़ा था। उनके विवादास्पद बयानों को लेकर विभिन्न राज्यों में उनके खिलाफ एफआईआर दर्ज की गई थी।
सुप्रीम कोर्ट की पीठ, जिसमें न्यायमूर्ति सूर्यकांत और एन कोटिस्वर सिंह शामिल थे, ने इस मामले की सुनवाई की। आदेश में कहा गया:
"एल.डी. सॉलिसिटर जनरल ने सूचित किया कि चल रही एफआईआर की जांच दो सप्ताह में पूरी होने की संभावना है। चूंकि याचिकाकर्ता को जारी जांच में शामिल होने की आवश्यकता हो सकती है, इसलिए उनकी पासपोर्ट रिलीज़/विदेश यात्रा की प्रार्थना पर जांच पूरी होने के बाद विचार किया जाएगा... इन मामलों को 21 अप्रैल को आगे की सुनवाई के लिए सूचीबद्ध किया जाए। अंतरिम निर्देश/संरक्षण जारी रहेगा।"
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अल्लाहबादिया के वकील, डॉ. अभिनव चंद्रचूड़ ने तर्क दिया कि उनके मुवक्किल की आजीविका साक्षात्कार लेने पर निर्भर करती है, जिनमें से कुछ के लिए उन्हें विदेश यात्रा करनी पड़ सकती है।
न्यायमूर्ति सूर्यकांत ने जांच की स्थिति के बारे में जानकारी मांगी, जिस पर सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने बताया कि प्रक्रिया अंतिम चरण में है। इस पर न्यायमूर्ति सूर्यकांत ने टिप्पणी की:
"यदि हम आपको (अल्लाहबादिया) बार-बार यात्रा करने की अनुमति देते हैं, तो जांच बाधित हो सकती है... आपको जांच के लिए बुलाया जा सकता है और यदि आप वहां नहीं होंगे, तो कोई भी आप पर यह आरोप नहीं लगा सकता कि आप अनुपस्थित क्यों हैं... वे दो सप्ताह में जांच पूरी करने की उम्मीद कर रहे हैं, उसके बाद हम इसे लेंगे... फिर हम आपको अनुमति देंगे..."
इस मामले में दूसरा बड़ा नाम यूट्यूबर आशीष चंचलानी का है, जिनके खिलाफ भी इसी शो में की गई टिप्पणियों को लेकर एफआईआर दर्ज की गई थी। उनके वकील, वरिष्ठ अधिवक्ता अजय तिवारी ने सुप्रीम कोर्ट से उनके खिलाफ दर्ज सभी एफआईआर को एक साथ जोड़ने की मांग की। इस पर अदालत ने कहा:
"हम देखेंगे कि क्या किया जाना है।"
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यह विवाद तब शुरू हुआ जब कॉमेडियन समय रैना के यूट्यूब शो "इंडियाज गॉट लैटेंट" की कुछ क्लिप्स वायरल हो गईं। इन वीडियो में माता-पिता के संदर्भ में स्पष्ट यौन टिप्पणियां की गई थीं, जिसके चलते भारी विरोध हुआ। शो में रणवीर अल्लाहबादिया, समय रैना, आशीष चंचलानी, जसप्रीत सिंह और अपूर्व मखीजा शामिल थे।
बवाल के बाद, समय रैना ने सार्वजनिक रूप से माफी मांगते हुए अपने यूट्यूब चैनल से "इंडियाज गॉट लैटेंट" के सभी एपिसोड हटा दिए। वहीं, रणवीर अल्लाहबादिया ने भी माफी जारी करते हुए अपनी टिप्पणियों को अनुचित स्वीकार किया।
10 फरवरी को, गुवाहाटी पुलिस ने पांच यूट्यूबर्स के खिलाफ एफआईआर दर्ज की, जिसमें "अश्लीलता फैलाने और यौन रूप से स्पष्ट व अशिष्ट चर्चा में शामिल होने" का आरोप लगाया गया। महाराष्ट्र साइबर विभाग और जयपुर पुलिस ने भी इस मामले में केस दर्ज किए।
इस मामले में राहत पाने के लिए अल्लाहबादिया और चंचलानी ने सुप्रीम कोर्ट का रुख किया और एफआईआर को निरस्त करने या एक साथ जोड़ने की मांग की। सुप्रीम कोर्ट ने अल्लाहबादिया को अंतरिम सुरक्षा दी, लेकिन न्यायमूर्ति सूर्यकांत ने उनकी भाषा को "गंदी" और "विकृत" बताते हुए फटकार लगाई।
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बाद में, अदालत ने "द रणवीर शो" के प्रसारण पर लगी रोक हटा दी, लेकिन इसके लिए अल्लाहबादिया को यह शपथ पत्र देना पड़ा कि उनके शो की सामग्री शालीनता और नैतिकता के मानकों पर खरे उतरेगी। दूसरी ओर, चंचलानी को गुवाहाटी हाई कोर्ट से अंतरिम राहत मिली। सुप्रीम कोर्ट ने उनके खिलाफ दर्ज विभिन्न राज्यों की एफआईआर को जोड़ने की याचिका पर नोटिस जारी किया।
इस विवाद के मद्देनजर, सुप्रीम कोर्ट ने यूट्यूब और अन्य सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर अश्लील सामग्री को नियंत्रित करने की आवश्यकता पर बल दिया है। अदालत ने केंद्र सरकार से इस पर उनके विचार मांगे हैं और भविष्य में इस दिशा में कड़े दिशानिर्देश लागू करने के संकेत दिए हैं।
केस का शीर्षक:
(1) रणवीर गौतम इलाहाबादिया बनाम भारत संघ और अन्य, डब्लू.पी.(सीआरएल.) संख्या 83/2025
(2) आशीष अनिल चंचलानी बनाम गुवाहाटी राज्य और अन्य, डब्लू.पी.(सीआरएल.) संख्या 85/2025