Logo
Court Book - India Code App - Play Store

सुप्रीम कोर्ट ने जमानत याचिकाओं में आपराधिक इतिहास की पूर्ण जानकारी देने का निर्देश दिया

4 Apr 2025 6:40 PM - By Shivam Y.

सुप्रीम कोर्ट ने जमानत याचिकाओं में आपराधिक इतिहास की पूर्ण जानकारी देने का निर्देश दिया

भारत के सुप्रीम कोर्ट ने एक महत्वपूर्ण निर्देश जारी किया है जिसमें जमानत मांगने वाले याचिकाकर्ताओं को अपने आपराधिक इतिहास की जानकारी देना अनिवार्य कर दिया गया है। यह कदम पारदर्शिता सुनिश्चित करने और कानूनी प्रक्रिया के दुरुपयोग को रोकने के लिए उठाया गया है।

अनिवार्य खुलासा: याचिकाकर्ताओं को अपने विशेष अनुमति याचिका (आपराधिक) के 'सारांश' में स्पष्ट रूप से बताना होगा कि उनका कोई आपराधिक इतिहास है या नहीं। यदि है, तो उन्हें मामलों का विवरण और कार्यवाही की वर्तमान स्थिति बतानी होगी।

खुलासा न करने के परिणाम: यदि बाद में खुलासा गलत या अधूरा पाया जाता है, तो याचिका खारिज कर दी जाएगी।

संस्थागत हित: कोर्ट ने जोर देकर कहा कि न्यायिक प्रक्रिया की सत्यनिष्ठा बनाए रखने और दुरुपयोग रोकने के लिए यह कदम आवश्यक है।

Read Also:- सुप्रीम कोर्ट ने यूको बैंक की याचिका खारिज की: 10 साल की सेवा पूरी करने वाले बर्खास्त कर्मचारी को पेंशन का हक

मामले की पृष्ठभूमि

यह फैसला मुन्नेश बनाम उत्तर प्रदेश राज्य के मामले की सुनवाई के दौरान आया, जहां याचिकाकर्ता ने अपने आपराधिक इतिहास, जिसमें आईपीसी की धारा 379 और 411 के तहत पूर्व दोषसिद्धि भी शामिल थी, को छुपा लिया था। कोर्ट ने कहा कि ऐसे छुपाव न्यायपालिका को गुमराह करते हैं और न्याय में देरी का कारण बनते हैं।

कोर्ट का अवलोकन:

"यदि याचिकाकर्ता ने अपने आपराधिक इतिहास का खुलासा किया होता, तो हमें संदेह है कि क्या इस पर नोटिस जारी किया जाता।"

जस्टिस दीपंकर दत्ता और जस्टिस मनमोहन की पीठ ने एक चिंताजनक प्रवृत्ति पर गौर किया कि जमानत या गिरफ्तारी से सुरक्षा मांगने वाले लोग अक्सर अपना आपराधिक इतिहास छुपा लेते हैं। इससे कोर्ट को अधूरी जानकारी के आधार पर नोटिस जारी करना पड़ता है, और बाद में राज्य द्वारा दायर प्रतिवाद से ही सच्चाई सामने आती है।

कोर्ट का कथन:

"हमने अतीत में उदारता दिखाई है, लेकिन अब हमें लगता है कि ऐसी स्थिति को आगे जारी नहीं रखा जा सकता।"

कोर्ट ने अब यह अनिवार्य कर दिया है कि सभी भविष्य की याचिकाओं में निम्नलिखित शामिल होना चाहिए:

  1. याचिकाकर्ता के आपराधिक इतिहास की स्पष्ट घोषणा।
  2. किसी भी लंबित या बंद आपराधिक मामले का विवरण, जिसमें कार्यवाही की वर्तमान स्थिति भी शामिल हो।

Read Also:- सुप्रीम कोर्ट ने यासीन मलिक की जम्मू कोर्ट में शारीरिक पेशी से इनकार किया, तिहाड़ जेल से वीडियो कॉल के ज़रिए गवाहों से जिरह की अनुमति दी

रजिस्ट्री को यह आदेश सभी तक पहुंचाने का निर्देश दिया गया है ताकि अनुपालन सुनिश्चित हो सके।

हालांकि कोर्ट ने माना कि नए नियम कुछ लोगों के लिए असुविधाजनक हो सकते हैं, लेकिन उसने कानूनी प्रक्रिया की पवित्रता बनाए रखने पर जोर दिया। कुलविंदर सिंह बनाम पंजाब राज्य और शेख भोला बनाम बिहार राज्य जैसे पूर्व के निर्देशों से खुलासा न करने की प्रवृत्ति पर अंकुश नहीं लग पाया था, जिसके चलते सख्त कदम उठाए गए।

कोर्ट का अंतिम टिप्पणी:

"हमने संस्थागत हित में यह निर्देश दिया है ताकि इस कोर्ट के समक्ष की जाने वाली कार्यवाही को हल्के में न लिया जाए और कानूनी प्रक्रिया का दुरुपयोग न हो।"

न्यायालय ने रजिस्ट्री को निर्देश दिया कि इन निर्देशों को सभी के ध्यान में लाया जाए।

मामला : मुन्नेश बनाम उत्तर प्रदेश राज्य

Similar Posts

दिल्ली हाईकोर्ट: जबरन बच्चे को दूसरी जगह ले जाने से नहीं बनता नया स्थान 'सामान्य निवास', संरक्षकता के लिए क्षेत्रीय अधिकार क्षेत्र नहीं बनता

दिल्ली हाईकोर्ट: जबरन बच्चे को दूसरी जगह ले जाने से नहीं बनता नया स्थान 'सामान्य निवास', संरक्षकता के लिए क्षेत्रीय अधिकार क्षेत्र नहीं बनता

5 Jun 2025 2:11 PM
अगर विवाह के एक वर्ष के भीतर एक पक्ष ने आपराधिक मामला दर्ज किया हो, तो आपसी सहमति से विवाह समाप्त किया जा सकता है: इलाहाबाद हाईकोर्ट

अगर विवाह के एक वर्ष के भीतर एक पक्ष ने आपराधिक मामला दर्ज किया हो, तो आपसी सहमति से विवाह समाप्त किया जा सकता है: इलाहाबाद हाईकोर्ट

6 Jun 2025 8:38 AM
कोविड-19 का अगला चरण अभी बाकी है: दिल्ली हाईकोर्ट ने सैंपल कलेक्शन नीति पर केंद्र सरकार से स्टेटस रिपोर्ट मांगी

कोविड-19 का अगला चरण अभी बाकी है: दिल्ली हाईकोर्ट ने सैंपल कलेक्शन नीति पर केंद्र सरकार से स्टेटस रिपोर्ट मांगी

2 Jun 2025 7:40 PM
पति की मृत्यु के बाद भी पत्नी को वैवाहिक घर में रहने का अधिकार है: केरल हाई कोर्ट

पति की मृत्यु के बाद भी पत्नी को वैवाहिक घर में रहने का अधिकार है: केरल हाई कोर्ट

5 Jun 2025 7:28 AM
केरल हाईकोर्ट: ‘परा निरक्कल’ के लिए मंदिर सलाहकार समिति भी बिना बोर्ड की मंजूरी और सीलबंद कूपन के भक्तों से धन एकत्र नहीं कर सकती, अनाधिकृत समितियों पर पूर्ण प्रतिबंध

केरल हाईकोर्ट: ‘परा निरक्कल’ के लिए मंदिर सलाहकार समिति भी बिना बोर्ड की मंजूरी और सीलबंद कूपन के भक्तों से धन एकत्र नहीं कर सकती, अनाधिकृत समितियों पर पूर्ण प्रतिबंध

7 Jun 2025 2:21 PM
इलाहाबाद हाईकोर्ट: भविष्य निधि अधिनियम की समीक्षा याचिका खारिज होने पर रिट याचिका स्वीकार्य, अपील का प्रावधान नहीं

इलाहाबाद हाईकोर्ट: भविष्य निधि अधिनियम की समीक्षा याचिका खारिज होने पर रिट याचिका स्वीकार्य, अपील का प्रावधान नहीं

1 Jun 2025 12:16 PM
सुप्रीम कोर्ट ने झूठे वादे पर शादी से मुकरने वाले व्यक्ति पर दर्ज बलात्कार का मामला खारिज किया, शिकायतकर्ता के प्रतिशोधी और चालाक व्यवहार का हवाला

सुप्रीम कोर्ट ने झूठे वादे पर शादी से मुकरने वाले व्यक्ति पर दर्ज बलात्कार का मामला खारिज किया, शिकायतकर्ता के प्रतिशोधी और चालाक व्यवहार का हवाला

30 May 2025 12:56 PM
आईपीएल स्ट्रीमिंग अधिकार अब सुरक्षित: दिल्ली हाईकोर्ट ने रियल-टाइम में एंटी-पायरेसी का आदेश दिया

आईपीएल स्ट्रीमिंग अधिकार अब सुरक्षित: दिल्ली हाईकोर्ट ने रियल-टाइम में एंटी-पायरेसी का आदेश दिया

3 Jun 2025 1:59 PM
पर्सनल लोन या ईएमआई पत्नी और बच्चे के भरण-पोषण की जिम्मेदारी को नहीं टाल सकते: दिल्ली हाईकोर्ट

पर्सनल लोन या ईएमआई पत्नी और बच्चे के भरण-पोषण की जिम्मेदारी को नहीं टाल सकते: दिल्ली हाईकोर्ट

5 Jun 2025 11:34 AM
पश्चिम बंगाल चुनाव बाद हिंसा मामले में सुप्रीम कोर्ट ने रद्द की जमानत, कहा- लोकतंत्र पर हमला

पश्चिम बंगाल चुनाव बाद हिंसा मामले में सुप्रीम कोर्ट ने रद्द की जमानत, कहा- लोकतंत्र पर हमला

30 May 2025 3:44 PM