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सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार से मानसिक स्वास्थ्य प्राधिकरणों की कार्यप्रणाली पर रिपोर्ट दाखिल करने को कहा

22 Feb 2025 10:31 AM - By Shivam Y.

सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार से मानसिक स्वास्थ्य प्राधिकरणों की कार्यप्रणाली पर रिपोर्ट दाखिल करने को कहा

सुप्रीम कोर्ट ने मानसिक स्वास्थ्य सेवाओं की निगरानी और नियमन से संबंधित महत्वपूर्ण निर्देश जारी किए हैं। अदालत ने केंद्र सरकार से कहा है कि वह केंद्रीय मानसिक स्वास्थ्य प्राधिकरण (CMHA), राज्य मानसिक स्वास्थ्य प्राधिकरण (SMHA) और मानसिक स्वास्थ्य समीक्षा बोर्ड (MHRB) की स्थापना और उनके कार्यों की स्थिति पर विस्तृत हलफनामा दाखिल करे।

यह आदेश अनुच्छेद 32 के तहत दायर एक रिट याचिका के संदर्भ में दिया गया है, जिसमें मानसिक स्वास्थ्य सेवाओं से संबंधित आवश्यक सुधारों की मांग की गई थी। इस मामले का शीर्षक गौरव कुमार बंसल बनाम भारत संघ एवं अन्य (Writ Petition (Civil) No. 1496/2018) है। सुप्रीम कोर्ट इस याचिका पर 3 जनवरी 2019 से लगातार सुनवाई कर रहा है।

मामले की पृष्ठभूमि

याचिकाकर्ता ने अदालत से शिकायत की थी कि मानसिक स्वास्थ्य अधिनियम, 2017 को लागू करने में गंभीर लापरवाहियां हो रही हैं। यह अधिनियम मानसिक स्वास्थ्य सेवाओं को नियंत्रित और सुचारू रूप से संचालित करने के लिए तीन महत्वपूर्ण प्राधिकरणों की स्थापना का प्रावधान करता है:

  1. केंद्रीय मानसिक स्वास्थ्य प्राधिकरण (CMHA): राष्ट्रीय स्तर पर नीति निर्माण, निगरानी और मानसिक स्वास्थ्य संस्थानों के नियमन के लिए जिम्मेदार।
  2. राज्य मानसिक स्वास्थ्य प्राधिकरण (SMHA): राज्य स्तर पर मानसिक स्वास्थ्य संस्थानों की निगरानी और कानून अनुपालन सुनिश्चित करने हेतु कार्यरत।
  3. मानसिक स्वास्थ्य समीक्षा बोर्ड (MHRB): मानसिक स्वास्थ्य देखभाल केंद्रों में भर्ती किए गए व्यक्तियों के अधिकारों की रक्षा करने और उनकी उचित देखभाल सुनिश्चित करने के लिए स्थापित।

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याचिकाकर्ता ने तर्क दिया कि मानसिक स्वास्थ्य अधिनियम, 2017 लागू होने के बावजूद, ये प्राधिकरण या तो अभी तक पूरी तरह कार्यशील नहीं हुए हैं या उनकी कार्यप्रणाली पारदर्शी नहीं है।

7 फरवरी 2025 को न्यायमूर्ति पी.एस. नरसिम्हा और न्यायमूर्ति प्रशांत कुमार मिश्रा की पीठ ने इस मामले पर सुनवाई की। इस दौरान केंद्र सरकार की ओर से अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल (ASG) ऐश्वर्या भाटी अदालत में उपस्थित हुईं।

अदालत ने अपने आदेश में स्पष्ट रूप से कहा:

"हम निर्देश देते हैं कि भारत संघ एक विस्तृत हलफनामा दाखिल करे, जिसमें केंद्रीय मानसिक स्वास्थ्य प्राधिकरण, राज्य मानसिक स्वास्थ्य प्राधिकरण और मानसिक स्वास्थ्य समीक्षा बोर्ड की स्थापना और कार्यप्रणाली की स्थिति दर्शाई जाए। इस हलफनामे में इन प्राधिकरणों और समीक्षा बोर्ड में आवश्यक और अनिवार्य नियुक्तियों का विवरण भी शामिल होना चाहिए। यह हलफनामा 06.03.2025 तक दाखिल किया जाए।"

सुप्रीम कोर्ट इस मामले की अगली सुनवाई 21 मार्च 2025 को करेगा, जिसमें वह हलफनामे की समीक्षा करेगा और आगे की कार्रवाई तय करेगा।

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सुप्रीम कोर्ट का यह निर्देश मानसिक स्वास्थ्य अधिनियम, 2017 को प्रभावी ढंग से लागू करने के लिए महत्वपूर्ण है। यह कानून निम्नलिखित उद्देश्यों को पूरा करने के लिए बनाया गया था:

  • मानसिक स्वास्थ्य सेवाओं को सभी के लिए सुलभ और किफायती बनाना।
  • मानसिक स्वास्थ्य संस्थानों में भर्ती किए गए लोगों के अधिकारों की रक्षा करना।
  • कानून को प्रभावी रूप से लागू करने के लिए CMHA, SMHA और MHRB की स्थापना और संचालन सुनिश्चित करना।

हालांकि, इन प्राधिकरणों की स्थापना और आवश्यक नियुक्तियों में हो रही देरी के कारण अधिनियम का पूर्ण कार्यान्वयन बाधित हुआ है। सुप्रीम कोर्ट का यह आदेश इस प्रक्रिया को गति देगा और मानसिक स्वास्थ्य सेवाओं में पारदर्शिता और जवाबदेही सुनिश्चित करेगा।

Case Details: GAURAV KUMAR BANSAL v. UNION OF INDIA & ORS.|Writ Petition(s)(Civil) No(s). 1496/2018

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