केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (CPCB) ने राष्ट्रीय हरित अधिकरण (NGT) की प्रधान पीठ के समक्ष एक रिपोर्ट प्रस्तुत की है, जिसमें प्रयागराज (उत्तर प्रदेश) में महाकुंभ मेले के दौरान गंगा और यमुना नदी के जल की गुणवत्ता को लेकर गंभीर चिंताओं को उजागर किया गया है।
CPCB की रिपोर्ट के अनुसार, धार्मिक स्नान स्थलों पर जल परीक्षण में फैकाल कोलीफॉर्म (मानव और पशु मल में पाया जाने वाला बैक्टीरिया) की उच्च मात्रा दर्ज की गई। यह जल स्नान के लिए उपयुक्त गुणवत्ता मानकों पर खरा नहीं उतरा।
"नदी जल की गुणवत्ता नहाने योग्य जल मानकों के अनुरूप नहीं पाई गई, खासकर फैकाल कोलीफॉर्म की अत्यधिक मात्रा देखी गई। महाकुंभ के दौरान लाखों श्रद्धालु गंगा और यमुना में स्नान कर रहे हैं, जिससे जल में मल बैक्टीरिया की सांद्रता बढ़ गई है।" – CPCB रिपोर्ट
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कोर्ट की सख्त टिप्पणियाँ और आदेश
CPCB की रिपोर्ट 3 फरवरी 2025 को NGT की प्रधान पीठ के समक्ष प्रस्तुत की गई थी। इस पीठ में न्यायमूर्ति प्रकाश श्रीवास्तव (अध्यक्ष), न्यायमूर्ति सुधीर अग्रवाल (न्यायिक सदस्य), और विशेषज्ञ सदस्य डॉ. ए. सेंथिल वेल शामिल थे।
यह मामला वाराणसी के अधिवक्ता सौरभ तिवारी द्वारा दायर याचिका पर सुनवाई के दौरान उठा, जिसमें प्रयागराज में गंगा और यमुना नदी की जल गुणवत्ता को लेकर चिंता जताई गई थी।
कोर्ट ने आदेश में स्पष्ट किया कि:
"CPCB और UPPCB को नियमित रूप से सप्ताह में कम से कम दो बार गंगा और यमुना के जल के नमूने लेने होंगे और इनकी रिपोर्ट सार्वजनिक वेबसाइट पर अपलोड करनी होगी।"
NGT ने यह भी निर्देश दिया कि:
- सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट्स (STP) की निगरानी की जाए और उनकी रिपोर्ट CPCB व UPPCB की वेबसाइट पर प्रकाशित की जाए।
- ऑनलाइन मॉनिटरिंग डेटा भी अपलोड किया जाए ताकि पारदर्शिता बनी रहे।
- ठोस कचरे का उचित प्रबंधन किया जाए ताकि वह नदियों में न पहुंचे।
CPCB ने प्रयागराज में 10 सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट (STP) की जांच की। इनमें से 9 STP तय मानकों के अनुरूप थे, लेकिन पोंघट STP (10 MLD क्षमता) मानकों पर खरा नहीं उतरा।
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इसके अलावा, रिपोर्ट में बताया गया कि 7 जियो-ट्यूब फिल्ट्रेशन साइट्स प्रयागराज में काम कर रही हैं, लेकिन ये जल को प्रभावी ढंग से शुद्ध नहीं कर पा रही हैं।
"सभी 7 जियो-ट्यूब से लिए गए सैंपल जल गुणवत्ता के निर्धारित मानकों के अनुरूप नहीं पाए गए।" – CPCB रिपोर्ट
UPPCB की लापरवाही पर NGT की सख्त टिप्पणी
NGT ने 23 दिसंबर 2024 को UPPCB को निर्देश दिया था कि वे विस्तृत कार्यवाही रिपोर्ट पेश करें। लेकिन 28 जनवरी 2025 को सौंपी गई रिपोर्ट में कोई ठोस कार्रवाई नहीं दिखाई दी।
"UPPCB ने NGT के निर्देशों का पूर्ण रूप से पालन नहीं किया। रिपोर्ट में जल गुणवत्ता सुधार के लिए उठाए गए कदमों की स्पष्ट जानकारी नहीं दी गई।" – NGT आदेश
इसके मद्देनज़र, NGT ने UPPCB के सदस्य सचिव और राज्य के संबंधित अधिकारी को अगली सुनवाई में वर्चुअल उपस्थिति दर्ज कराने का आदेश दिया।