इलाहाबाद हाईकोर्ट ने गुरुवार को एक संक्षिप्त लेकिन महत्त्वपूर्ण आदेश में, एक वाणिज्यिक न्यायालय द्वारा ट्रेडमार्क उल्लंघन मामले में वाद (plaint) को केवल इसलिए वापस भेजने के निर्देश को रद्द कर दिया कि वादी ने वाणिज्यिक न्यायालय अधिनियम की धारा 12-ए के तहत वाद दायर करने से पहले अनिवार्य पूर्व-विवाद मध्यस्थता नहीं की थी। हाईकोर्ट ने स्पष्ट किया कि इस अनिवार्यता को लागू करने संबंधी सुप्रीम कोर्ट का निर्णय 20 अगस्त 2022 के बाद दायर मुकदमों पर ही लागू होगा, उससे पहले दाखिल मामलों पर नहीं।
मामला M/s Jay Chemical Works (अपीलकर्ता) और M/s Sai Chemicals (प्रतिवादी) के बीच कथित ट्रेडमार्क दुरुपयोग को लेकर था।
पृष्ठभूमि
मूल वाद वर्ष 2020 में कानपुर नगर की वाणिज्यिक अदालत में दायर किया गया था। वादी ने प्रतिवादी पर रासायनिक उत्पादों पर मिलता-जुलता और भ्रम पैदा करने वाला ट्रेडमार्क इस्तेमाल करने का आरोप लगाते हुए स्थायी निषेधाज्ञा मांगी थी। लगभग चार वर्षों तक मामला धीमी गति से चला। फिर 2024 में प्रतिवादी ने आपत्ति उठाई कि वादी ने पूर्व-विवाद मध्यस्थता नहीं की, जो अब वाणिज्यिक वादों में अनिवार्य प्रक्रिया है।
वाणिज्यिक अदालत ने Patil Automation Pvt Ltd v. Rakheja Engineers Pvt Ltd (2022) के सुप्रीम कोर्ट के फैसले का हवाला देते हुए वाद को सिविल प्रक्रिया संहिता की आदेश 7 नियम 10 के तहत वापस कर दिया। वाद वापस होने का मतलब यह होता है कि वादी को प्रक्रिया सुधार कर वाद दोबारा दाखिल करना होगा - यानी मामला फिर से शुरू होगा।
अपीलकर्ता का तर्क था कि यह अनुचित है, क्योंकि उनका वाद 2020 में दायर हुआ था, जो उस समय था जब धारा 12-ए की अनिवार्यता पूरी तरह स्पष्ट नहीं थी।
न्यायालय की टिप्पणियाँ
मुख्य न्यायाधीश अरुण भंसाली और न्यायमूर्ति क्षितिज शैलेन्द्र की खंडपीठ ने मामले की सुनवाई की। प्रतिवादी की ओर से पहले यह तर्क दिया गया कि स्वयं अपील ही ग्राह्य (maintainable) नहीं है। लेकिन खंडपीठ ने इस आपत्ति को असंगत मानते हुए कहा:
“वाणिज्यिक अदालत ने आदेश 7 नियम 10 के तहत शक्ति का प्रयोग किया है, जो आदेश 43 नियम 1(a) के तहत अपील योग्य है। इसलिए यह अपील ग्राह्य है।”
हाईकोर्ट ने Patil Automation फैसले का गहराई से अवलोकन किया। महत्वपूर्ण बात यह कि उस फैसले में सर्वोच्च न्यायालय ने धारा 12-ए को अनिवार्य बताया था, लेकिन इस अनिवार्यता को भावी प्रभाव (prospective) से लागू किया-यानी 20 अगस्त 2022 से।
खंडपीठ ने टिप्पणी की:
“चूंकि वर्तमान वाद सुप्रीम कोर्ट द्वारा निर्धारित तिथि से पहले दायर हुआ था, अतः यह निर्णय इस मामले पर लागू नहीं होता।”
अर्थात वाणिज्यिक अदालत ने सुप्रीम कोर्ट के निर्णय का गलत अनुप्रयोग किया।
निर्णय
19 सितंबर 2024 का आदेश रद्द करते हुए हाईकोर्ट ने अपील स्वीकार कर ली। अब वाद उसी अवस्था में बहाल किया जाएगा, जहाँ से उसे वापस किया गया था। अदालत ने यह भी निर्देश दिया:
वर्ष 2020 में वाद दायर होने को ध्यान में रखते हुए, वाणिज्यिक अदालत को समुचित त्वरित गति से आगे की कार्यवाही करनी चाहिए।
निर्णय यहीं समाप्त होता है - ट्रेडमार्क के दावे पर मेरिट्स अभी विचाराधीन हैं।
Case: M/s Jay Chemical Works vs. M/s Sai Chemicals (2025, Allahabad High Court)
Court: High Court of Judicature at Allahabad, Chief Justice’s Court
Bench: Chief Justice Arun Bhansali and Justice Kshitij Shailendra
Case Type: Commercial Appeal No. 27 of 2025
Original Suit Filed: 12 August 2020, Commercial Court, Kanpur Nagar
Issue: Trademark infringement and request for permanent injunction
Appellant’s Argument: Supreme Court judgment (Patil Automation, 2022) applies prospectively, so mediation was not mandatory in 2020
Respondent’s Objection: Appeal is not maintainable under Section 13(1A) of Commercial Courts Act