कास्ट स्क्रूटनी अवमानना मामले में इलाहाबाद हाई कोर्ट सख्त, लगातार अनदेखी पर जारी किया जमानती वारंट

By Vivek G. • November 22, 2025

विक्रम सिंह बनाम सुश्री जसजीत कौर, जिला मजिस्ट्रेट बिजनौर और अध्यक्ष, कास्ट स्क्रूटनी अवमानना मामले में इलाहाबाद हाई कोर्ट ने बिजनौर डीएम के खिलाफ जमानती वारंट जारी किया। सुनवाई में अदालत का रुख काफी सख्त दिखा।

इलाहाबाद हाई कोर्ट की लखनऊ बेंच में 20 नवंबर को हुई सुनवाई तनावपूर्ण माहौल में चली। महीनों पहले दाखिल हुई एक साधारण अवमानना याचिका अब उस मोड़ पर पहुँच गई है जहाँ अदालत ने जमानती वारंट जारी कर दिया है। इसका कारण-जिला मजिस्ट्रेट जसजीत कौर, जो बिजनौर जिला स्तरीय जाति जांच समिति की अध्यक्ष भी हैं, ने पहले के आदेशों का पालन नहीं किया और नोटिस मिलने के बाद भी संपर्क में नहीं आईं।

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कोर्ट नंबर 8 में बैठे जस्टिस मनोज कुमार ने यह स्पष्ट कर दिया कि अदालत अब और ढील देने के मूड में नहीं है।

Background (पृष्ठभूमि)

यह मामला विक्रम सिंह द्वारा दायर अवमानना आवेदन से जुड़ा है, जिन्होंने आरोप लगाया है कि उनके पूर्व रिट याचिका (रिट-सी नं. 3777/2025) में 22 अप्रैल 2025 को दिए गए आदेश का पालन नहीं किया गया।

सितंबर में, जस्टिस अब्दुल मुईन की बेंच ने पहला नोटिस जारी करते हुए कहा था कि अधिकारी बताएँ कि उनके खिलाफ अवमानना क्यों न शुरू की जाए। अदालत ने 2021 के अपने निर्देशों का भी हवाला दिया था कि नोटिस की तामीली सख्ती से की जाए।

इसके बावजूद, मामला आगे नहीं बढ़ पाया। 6 नवंबर 2025 को, जब यह केस जस्टिस मनोज कुमार की बेंच के सामने आया, तब सरकारी वकील ने पालन हलफनामा दाखिल करने के लिए दो हफ्ते की और मोहलत मांगी-जिसे अदालत ने अनिच्छा से मंजूर किया।

Court’s Observations (अदालत की टिप्पणियाँ)

20 नवंबर 2025 को जब मामला फिर अदालत में आया, तो बेंच का धैर्य खत्म होता दिखा। ऑफिस रिपोर्ट में सामने आया कि 6 नवंबर की सुनवाई के लिए नोटिस मिलने के बावजूद, प्रतिवादी ने मुख्य स्थायी अधिवक्ता के कार्यालय से कोई संपर्क ही नहीं किया।

जस्टिस कुमार ने खुली अदालत में कहा कि ऐसी चुप्पी इरादों पर सवाल उठाती है। “पीठ ने टिप्पणी की, ‘नोटिस मिल जाने के बाद कम से कम सरकारी वकील से संपर्क होना तो स्वाभाविक है। पूरी चुप्पी केवल संदेह बढ़ाती है।’”

अदालत इस बात से भी चिंतित थी कि एक वरिष्ठ प्रशासनिक अधिकारी और वैधानिक समिति की अध्यक्ष होने के बावजूद प्रतिवादी ने न तो अनुपालन किया, न ही देरी के बारे में कोई जानकारी दी।

कई बार की मोहलत के बावजूद कोई प्रगति न होने पर बेंच का रवैया नरमी से सख्ती की ओर मुड़ गया।

Decision (निर्णय)

हलफनामा न दाखिल होने और प्रतिवादी की तरफ से कोई संप्रेषण न होने पर अंततः हाई कोर्ट ने कार्रवाई तेज कर दी। जस्टिस मनोज कुमार ने आदेश दिया:

“प्रतिवादी की उपस्थिति सुनिश्चित करने के लिए उनके विरुद्ध बिजनौर के मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट के माध्यम से जमानती वारंट जारी किया जाए।”

अब यह मामला 5 जनवरी 2026 से शुरू होने वाले सप्ताह में सूचीबद्ध होगा। अदालत ने स्पष्ट संकेत दिया कि अब व्यक्तिगत उपस्थिति आवश्यक है और देरी बर्दाश्त नहीं होगी।

यह आदेश चेतावनी से कड़े न्यायिक कदम की ओर बदलाव को दर्शाता है-और अवमानना कार्यवाही अब अपने सबसे गंभीर चरण में प्रवेश कर चुकी है।

Case Title: Vikram Singh vs. Ms. Jasjit Kaur, District Magistrate Bijnor & Chairperson, District Level Caste Scrutiny Committee

Case No.: Contempt Application (Civil) No. 2948 of 2025

Case Type: Civil Contempt (Non-compliance of High Court order dated 22.04.2025)

Decision Dates:

  • 15 September 2025 (First notice issued)
  • 6 November 2025 (Two weeks’ time granted for compliance affidavit)
  • 20 November 2025 (Bailable warrant issued; next hearing fixed for January 2026)

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