बॉम्बे हाईकोर्ट ने बुधवार को मानवाधिकार कार्यकर्ता और विद्वान डॉ. आनंद तेलतुंबडे की उस अर्जी को खारिज कर दिया, जिसमें उन्होंने नीदरलैंड्स और यूनाइटेड किंगडम में शैक्षणिक दायित्वों के लिए विदेश जाने की अनुमति मांगी थी। अदालत के झुकाव न दिखाने पर तेलतुंबडे ने अंततः अपनी याचिका वापस ले ली।
पृष्ठभूमि
एल्गार परिषद–भीमा कोरेगांव मामले में आरोपी डॉ. तेलतुंबडे ने अदालत का दरवाज़ा तब खटखटाया जब उन्हें एम्स्टर्डम विश्वविद्यालय, लीडेन विश्वविद्यालय, नॉटिंघम ट्रेंट विश्वविद्यालय, ऑक्सफोर्ड विश्वविद्यालय और अन्य प्रतिष्ठित संस्थानों से निमंत्रण मिला। उनकी याचिका में एक व्यस्त कार्यक्रम का ज़िक्र था-डॉ. बी.आर. अंबेडकर पर व्याख्यान, पीएच.डी. शोधार्थियों के साथ मास्टर क्लास, सेमिनार और संकाय सदस्यों के साथ बैठकें।
याचिका में यह भी कहा गया था कि उन्हें "सामाजिक न्याय" के क्षेत्र में उनके अंतरराष्ट्रीय स्तर पर मान्य योगदान को देखते हुए विजिटिंग स्कॉलर के रूप में चुना गया है। तय कार्यक्रम के अनुसार, उन्हें 1 अप्रैल को एम्स्टर्डम जाना था, मई में ब्रिटेन पहुंचना था और 21 मई तक मुंबई लौट आना था।
लेकिन राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए) ने इस पर आपत्ति जताई और आशंका व्यक्त की कि शैक्षणिक कार्यक्रमों की आड़ में तेलतुंबडे विदेश में छिप सकते हैं।
अदालत की टिप्पणियाँ
शुरुआत में ही न्यायमूर्ति अजय गडकरी ने अदालत का रुख साफ कर दिया। उन्होंने टिप्पणी की-“या तो वर्चुअल लेक्चर दो, या फिर मत जाओ।”
वरिष्ठ अधिवक्ता मिहिर देसाई, जो तेलतुंबडे का पक्ष रख रहे थे, ने कहा कि उनके मुवक्किल का काम केवल व्याख्यान देने तक सीमित नहीं है, बल्कि इसमें गहन सेमिनार और संवाद शामिल हैं जिन्हें ऑनलाइन ठीक से करना संभव नहीं है। लेकिन अदालत इससे संतुष्ट नहीं हुई।
एनआईए की ओर से विशेष वकील चिंतन शाह ने दलील दी कि एजेंसी को आशंका है कि अगर अनुमति दी गई तो तेलतुंबडे मुकदमे से बचने के लिए विदेश में रह सकते हैं।
न्यायमूर्ति गडकरी ने देसाई को याद दिलाया कि विशेष एनआईए अदालत पहले ही तेलतुंबडे की डिस्चार्ज अर्जी खारिज कर चुकी है। उन्होंने कहा-“अब परिस्थितियाँ यह हैं कि डिस्चार्ज अर्जी खारिज हो चुकी है… और यही आशंका है। हम इच्छुक नहीं हैं।”
निर्णय
जब अदालत का रुख स्पष्ट हो गया तो देसाई ने याचिका वापस लेने की अनुमति मांगी। अदालत ने इसकी इजाज़त दी और मामला समाप्त हुआ।
फिलहाल, डॉ. आनंद तेलतुंबडे की यूरोपीय विश्वविद्यालयों में व्यक्तिगत रूप से व्याख्यान देने की उम्मीदें अधर में लटक गई हैं। हाईकोर्ट का संदेश साफ था-शैक्षणिक प्रतिष्ठा न्यायिक चिंताओं से ऊपर नहीं हो सकती।
Case: Bombay High Court refuses Anand Teltumbde foreign travel plea in Bhima Koregaon case
Date: 1 Oct 2025 / Wednesday
Petitioner: Dr. Anand Teltumbde, rights activist and academic scholar, accused in Elgar Parishad–Bhima Koregaon case