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बॉम्बे हाई कोर्ट ने बदलेपुर नगर परिषद को सीवर लापरवाही पर फटकार लगाई, बिल्डर पर कार्रवाई के आदेश

Vivek G.

बॉम्बे हाई कोर्ट ने बदलेपुर नगर परिषद को खेतों में सीवेज बहाने पर फटकार लगाई, बिल्डर और अफसरों पर त्वरित कार्रवाई के आदेश दिए।

बॉम्बे हाई कोर्ट ने बदलेपुर नगर परिषद को सीवर लापरवाही पर फटकार लगाई, बिल्डर पर कार्रवाई के आदेश

मुंबई, 19 सितम्बर- ठाणे ज़िले के किसान यशवंत अन्ना भोयर की याचिका पर सुनवाई करते हुए बॉम्बे हाई कोर्ट ने कुलगांव-बदलेपुर नगर परिषद (केबीएमसी) और एक निजी बिल्डर को कड़ी फटकार लगाई। भोयर ने आरोप लगाया था कि एक बड़े आवासीय प्रोजेक्ट से निकलने वाला बिना उपचार का सीवेज उनके खेत में फैल रहा है और अंततः उल्हास नदी में मिल रहा है।

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पृष्ठभूमि

कई शिकायतों के बावजूद केबीएमसी की चुप्पी से परेशान होकर भोयर अदालत पहुँचे। बिल्डर ए प्लस लाइफस्पेस ने “त्रिशूल गोल्डन विले” नामक 444 फ्लैट का हाई-राइज़ प्रोजेक्ट बिना सही सीवर कनेक्शन के बनाया। सैकड़ों निवासियों के लिए सिर्फ एक छोटा सेप्टिक टैंक लगाया गया था। यह टैंक बार-बार भरकर उफनता और भोयर की ज़मीन में गंदा पानी फैला देता, जिससे मिट्टी प्रदूषित हो गई। अदालत द्वारा नियुक्त विशेषज्ञों ने अपनी रिपोर्ट में पुष्टि की कि खुले नाले सीधे उल्हास नदी तक गंदगी ले जा रहे हैं, जो प्रदूषण नियंत्रण कानूनों का उल्लंघन है।

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अदालत की टिप्पणियाँ

न्यायमूर्ति जी.एस. कुलकर्णी और न्यायमूर्ति आरिफ एस. डॉक्टर की खंडपीठ ने तेजी से बढ़ते शहर में मूलभूत सीवर लाइन तक न होने पर हैरानी जताई। पीठ ने टिप्पणी की, “इतने बड़े शहर में न तो सही सीवर लाइन है और न ही सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट… यह कभी बर्दाश्त नहीं किया जा सकता।” अदालत ने पाया कि नगर परिषद ने बिना सीवेज ढांचे के ही ऑक्युपेशन सर्टिफिकेट जारी कर दिया, जिसे उसने “पर्यावरण कानूनों का घोर दुरुपयोग” कहा।

विशेषज्ञ रिपोर्ट ने बदलेपुर की सफाई व्यवस्था को “आंखें खोलने वाला” बताते हुए स्वास्थ्य संकट, नदी प्रदूषण और खेती की ज़मीन को नुकसान की ओर इशारा किया। ठाणे कलेक्टर ने, अदालत के आदेश पर की गई जांच में, पुष्टि की कि हाउसिंग सोसायटी से बिना उपचार का मलजल भोयर की जमीन में रिस रहा है और अंततः उल्हास नदी में पहुंच रहा है।

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फैसला

भोयर की याचिका स्वीकार करते हुए अदालत ने तुरंत सुधारात्मक कदम उठाने का आदेश दिया। केबीएमसी को निर्देश दिया गया कि गंदे पानी का बहाव रोके, सोसायटी के पास सड़क किनारे की नाली का काम पूरा करे और परियोजना को मंजूरी देने वाले अधिकारियों पर अनुशासनात्मक कार्रवाई करे। बिल्डर को चेतावनी दी गई कि “उदाहरणात्मक हर्जाना” लगाया जा सकता है और उसे पर्यावरण कानूनों के अनुरूप उचित सीवेज ट्रीटमेंट सिस्टम स्थापित करना होगा। पीठ ने जोर देकर कहा कि स्वच्छ वातावरण का अधिकार नागरिकों का संवैधानिक अधिकार है और अनुपालन के लिए सख्त समयसीमा तय की।

केस का शीर्षक: यशवंत अन्ना भोईर बनाम महाराष्ट्र राज्य एवं अन्य - बॉम्बे उच्च न्यायालय

याचिकाकर्ता: यशवंत अन्ना भोईर, सोनीवली गाँव, बदलापुर (ठाणे जिला) के 60 वर्षीय कृषक

प्रतिवादी: महाराष्ट्र राज्य, कुलगाँव-बदलापुर नगर परिषद (केबीएमसी), ए प्लस लाइफस्पेस (डेवलपर), और त्रिशूल गोल्डन विले को-ऑपरेटिव हाउसिंग सोसाइटी

निर्णय की तिथि: 19 सितंबर 2025

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