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प्रायोजित DNB में NOC से इनकार पर हाईकोर्ट सख्त: सरकारी डॉक्टर को काउंसलिंग में बैठने की अनुमति

Vivek G.

प्रायोजित DNB के लिए NOC से इनकार को ओडिशा हाईकोर्ट ने मनमाना बताया, राज्य सरकार को डॉक्टर को अनुमति देने का निर्देश।

प्रायोजित DNB में NOC से इनकार पर हाईकोर्ट सख्त: सरकारी डॉक्टर को काउंसलिंग में बैठने की अनुमति
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कटक स्थित ओडिशा हाईकोर्ट की अदालत में मंगलवार को माहौल कुछ अलग था। सरकारी नीतियों और एक डॉक्टर के करियर की टकराहट साफ दिख रही थी। सुनवाई के अंत तक पीठ इस नतीजे पर पहुंच चुकी थी कि समान सेवा शर्तों में काम कर रहे डॉक्टरों के साथ अलग-अलग व्यवहार नहीं किया जा सकता। अदालत ने राज्य सरकार को निर्देश दिया कि वह मेडिकल ऑफिसर डॉ. सुब्रत जमादार को प्रायोजित DNB (पोस्ट MBBS) कोर्स के लिए नो ऑब्जेक्शन सर्टिफिकेट (NOC) जारी करे।

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Background (पृष्ठभूमि)

डॉ. सुब्रत जमादार ओडिशा मेडिकल हेल्थ सर्विसेज (OMHS) कैडर के अधिकारी हैं और वर्तमान में गजपति जिले के परलाखेमुंडी जिला मुख्यालय अस्पताल में कार्यरत हैं। उन्होंने NEET-PG परीक्षा उत्तीर्ण की और नेशनल बोर्ड ऑफ एग्ज़ामिनेशन्स इन मेडिकल साइंसेज़ द्वारा आयोजित प्रायोजित DNB सीटों की काउंसलिंग में भाग लेने के लिए राज्य सरकार से अनुमति मांगी।

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समस्या तब खड़ी हुई जब स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण विभाग ने 2 सितंबर 2022 की एक विभागीय समिति के फैसले का हवाला देते हुए NOC देने से इनकार कर दिया। इस निर्णय में सामान्य PG और DNB के लिए NOC की अनुमति थी, लेकिन प्रायोजित DNB को स्पष्ट रूप से बाहर रखा गया था। डॉ. जमादार ने इसे भेदभावपूर्ण बताते हुए हाईकोर्ट का रुख किया।

Court’s Observations (अदालत की टिप्पणियां)

सुनवाई के दौरान राज्य सरकार ने दलील दी कि प्रायोजित DNB सीटों में डॉक्टर को पढ़ाई के दौरान वेतन देना पड़ता है, जिससे प्रशासनिक और नीतिगत मुश्किलें पैदा हो सकती हैं। लेकिन पीठ इस तर्क से संतुष्ट नहीं दिखी।

अदालत ने कहा कि ओडिशा सर्विस कोड के तहत अध्ययन अवकाश (study leave) का प्रावधान पहले से मौजूद है और उसमें प्रायोजित व गैर-प्रायोजित DNB के बीच कोई फर्क नहीं किया गया है। पीठ ने टिप्पणी की,

“एक ही कैडर और एक जैसी सेवा शर्तों में कार्यरत डॉक्टरों के साथ अलग व्यवहार करने का कोई ठोस कारण रिकॉर्ड पर नहीं है।”

कोर्ट ने यह भी रेखांकित किया कि सरकार अपने हलफनामों के जरिए बाद में कारण नहीं गढ़ सकती। “निर्णय में ही कारण साफ होने चाहिए,” पीठ ने कहा, और यही वजह रही कि समिति के फैसले को अदालत ने मनमाना माना।

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Decision (फैसला)

अंततः हाईकोर्ट ने याचिका स्वीकार करते हुए राज्य सरकार को निर्देश दिया कि वह 2 जनवरी 2026 तक डॉ. सुब्रत जमादार को NOC जारी करे, ताकि वे 8 जनवरी 2026 से पहले प्रायोजित DNB काउंसलिंग में भाग ले सकें। अदालत ने स्पष्ट किया कि प्रायोजित DNB के नाम पर किया गया भेदभाव संविधान के अनुच्छेद 14 के तहत समानता के अधिकार का उल्लंघन है, और इसी आधार पर यह आदेश पारित किया गया।

Case Title: Dr. Subrat Jamadar vs State of Odisha & Others

Case No.: W.P.(C) No. 28196 of 2025

Case Type: Writ Petition (Civil) under Articles 226 & 227 of the Constitution

Decision Date: 24 December 2025

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