लखनऊ में इलाहाबाद हाईकोर्ट की कार्यवाही उस समय दिलचस्प हो गई, जब एक पक्षकार खुद अदालत के सामने खड़ा होकर अपनी अपील पर जोर देता दिखा। लेकिन सुनवाई आगे बढ़ते-बढ़ते साफ हो गया कि मामला भावनाओं का नहीं, बल्कि कानून की सख्त सीमाओं का है। अंततः अदालत ने यह तय किया कि जिस आदेश को चुनौती दी गई है, उस पर अपील बनती ही नहीं।
Background
यह मामला Special Appeal Defective No. 387 of 2025 से जुड़ा है, जिसे विनय मोहन ने दायर किया था। अपील एकल न्यायाधीश के उस आदेश के खिलाफ थी, जिसमें सिविल प्रक्रिया संहिता की धारा 24 के तहत एक मुकदमे के ट्रांसफर से संबंधित आवेदन का निस्तारण किया गया था।
अपीलकर्ता स्वयं अदालत में उपस्थित थे और उन्होंने मामले के गुण-दोष पर दलीलें रखने की कोशिश की। हालांकि, पीठ ने शुरुआत में ही स्पष्ट कर दिया कि पहले यह देखा जाएगा कि ऐसी अपील कानूनन सुनवाई योग्य है भी या नहीं।
Court’s Observations
न्यायमूर्ति राजन रॉय और न्यायमूर्ति प्रशांत कुमार की पीठ ने विस्तार से बताया कि हाईकोर्ट नियमों के तहत केवल कुछ ही प्रकार के “जजमेंट” के खिलाफ विशेष अपील की जा सकती है। सवाल यह था कि क्या धारा 24 के तहत पारित ट्रांसफर आदेश को जजमेंट माना जा सकता है।
पीठ ने कहा कि ट्रांसफर आदेश किसी पक्ष के अधिकारों का अंतिम फैसला नहीं करता। यह सिर्फ यह तय करता है कि मुकदमा किस अदालत में चलेगा। अदालत ने पूर्व के कई फैसलों का हवाला देते हुए टिप्पणी की कि ऐसे आदेश “मामले के निपटारे को आसान बनाने” के लिए होते हैं, न कि विवाद को खत्म करने के लिए।
अदालत ने यह भी साफ किया कि सिविल प्रक्रिया संहिता खुद ऐसे आदेशों के खिलाफ अपील की अनुमति नहीं देती। पीठ ने कहा, “अपील का अधिकार अपने आप नहीं होता, यह कानून से मिलता है।” जब कानून में ही ऐसा अधिकार नहीं दिया गया है, तो विशेष अपील के जरिए उसे पैदा नहीं किया जा सकता।
अपीलकर्ता की ओर से सुप्रीम कोर्ट और अन्य हाईकोर्ट के कुछ फैसलों का सहारा लिया गया, लेकिन पीठ ने स्पष्ट किया कि वे फैसले अलग परिस्थितियों में दिए गए थे और इस मामले पर लागू नहीं होते।
Decision
सभी पहलुओं पर विचार करने के बाद हाईकोर्ट ने निष्कर्ष निकाला कि धारा 24 सीपीसी के तहत पारित ट्रांसफर आदेश न तो “जजमेंट” है और न ही उसके खिलाफ विशेष अपील बनाए रखने योग्य है। इसी आधार पर अदालत ने विशेष अपील को गैर-पर्यवेक्षणीय (नॉट मेंटेनेबल) मानते हुए खारिज कर दिया।
Case Title: Vinay Mohan vs. Smt. Nidhi Singh and Another
Case No.: Special Appeal Defective No. 387 of 2025
Case Type: Special Appeal (Civil) – Maintainability of appeal against transfer order
Decision Date: 11 December 2025















