तपस कुमार गोस्वामी मामले में यौन शोषण और ब्लैकमेल के आरोपों पर कलकत्ता हाईकोर्ट ने पुलिस को फिर से जांच का आदेश दिया

By Vivek G. • August 31, 2025

कलकत्ता हाईकोर्ट ने तपस कुमार गोस्वामी मामले में पुलिस को नई जांच करने का आदेश दिया। अदालत ने कहा कि पुलिस ने यौन शोषण और ब्लैकमेल के गंभीर आरोपों की ठीक से जांच नहीं की।

कलकत्ता हाईकोर्ट ने एक युवती की संदिग्ध मौत के मामले में पुलिस को नई जांच करने का निर्देश दिया है। अदालत ने कहा कि इस मामले में यौन शोषण, ब्लैकमेल और पुलिस की लापरवाही से जुड़ी गंभीर बातें सामने आई हैं, जिन्हें ठीक से नहीं जांचा गया।

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न्यायमूर्ति देबांगसु बसाक और न्यायमूर्ति मो. शब्बार रशीदी की खंडपीठ ने यह आदेश सुनाया। यह आदेश पुलिसकर्मी तपस कुमार गोस्वामी की अपील पर दिया गया, जिन्होंने 22 जुलाई 2025 को पारित एकल न्यायाधीश के आदेश को चुनौती दी थी।

मामले की पृष्ठभूमि

  • पीड़िता, जो अपीलकर्ता के माता-पिता के साथ रह रही थी, फांसी पर लटकी हुई मृत पाई गई।
  • अपीलकर्ता और उनकी पत्नी ने दंड प्रक्रिया संहिता की धारा 164 के तहत दिए गए बयानों में आरोप लगाया कि पीड़िता के साथ बलात्कार (पैठकारी यौन शोषण) किया गया, उसकी अस्मिता को भंग किया गया और घटना का वीडियो बनाकर ब्लैकमेल किया गया।
  • अपीलकर्ता के वकील ने तर्क दिया कि पुलिस ने इतने गंभीर आरोपों के बावजूद ठीक से जांच नहीं की और अहम सबूतों को नजरअंदाज कर दिया।

राज्य सरकार ने कहा कि पुलिस ने केवल भारतीय दंड संहिता की धारा 306 (आत्महत्या के लिए उकसाना) के तहत जांच की थी। लेकिन सबूत न मिलने पर पुलिस ने मामला बंद कर दिया।

हालांकि अदालत ने रिकॉर्ड देखने के बाद कहा:

“अपीलकर्ता की पत्नी द्वारा धारा 164 सीआरपीसी के तहत दिया गया बयान साफ कहता है कि पीड़िता के साथ यौन शोषण हुआ और घटना की वीडियो रिकॉर्डिंग करके ब्लैकमेल किया गया। केस डायरी से यह स्पष्ट है कि पुलिस ने इस दिशा में ठीक से जांच नहीं की।”

अदालत ने यह भी पाया कि पुलिस ने आरोपियों के मोबाइल फोन जब्त नहीं किए और डिजिटल सबूतों को नजरअंदाज कर दिया।

हाईकोर्ट ने आदेश दिया कि –

  • पुलिस को मामले की फिर से जांच करनी होगी और धारा 164 के तहत दर्ज बयानों और केस डायरी के आधार पर भारतीय न्याय संहिता (BNS) की संबंधित धाराएँ लगानी होंगी।
  • जांच अधिकारी को पोस्टमार्टम स्थल के पास लगे CCTV फुटेज की जांच करनी होगी।
  • जिन व्यक्तियों के नाम बयान में दर्ज हैं, उनके मोबाइल फोन की जांच करनी होगी।
  • अपीलकर्ता के वकील द्वारा दिए गए सुझावों को भी जांच में शामिल करना होगा।

जांच अधिकारी को बदलने के मुद्दे पर अदालत ने स्पष्ट किया:

“हम इस स्तर पर जांच अधिकारी या जांच एजेंसी को बदलने पर कोई टिप्पणी नहीं कर रहे हैं। यह मुद्दा खुला रखा जाता है।”

केस का शीर्षक: तपस कुमार गोस्वामी बनाम पश्चिम बंगाल राज्य एवं अन्य

केस संख्या: एम.ए.टी. 1393/2025, सीएएन 1/2025 सहित

निर्णय की तिथि: 27 अगस्त, 2025

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