Logo
Court Book - India Code App - Play Store

advertisement

बॉम्बे हाईकोर्ट ने क्लासिक लीजेंड्स पर धारा 144C के गलत इस्तेमाल को मानते हुए आयकर आदेश रद्द किए

Shivam Y.

क्लासिक लीजेंड्स प्राइवेट लिमिटेड बनाम असेसमेंट यूनिट एवं अन्य - बॉम्बे उच्च न्यायालय ने क्लासिक लीजेंड्स के खिलाफ कर निर्धारण और जुर्माना नोटिस को रद्द कर दिया, यह फैसला सुनाया कि धारा 144सी का गलत तरीके से इस्तेमाल किया गया था।

बॉम्बे हाईकोर्ट ने क्लासिक लीजेंड्स पर धारा 144C के गलत इस्तेमाल को मानते हुए आयकर आदेश रद्द किए

मोटरसाइकिल निर्माता क्लासिक लीजेंड्स प्राइवेट लिमिटेड को बड़ी राहत देते हुए बॉम्बे हाईकोर्ट ने कंपनी के खिलाफ जारी कई आयकर मूल्यांकन आदेशों और दंड नोटिसों को रद्द कर दिया है। न्यायमूर्ति बी. पी. कोलाबावाला और अमित एस. जमसंदेकर की खंडपीठ ने माना कि मूल्यांकन अधिकारी ने आयकर अधिनियम की धारा 144C का गलत तरीके से इस्तेमाल किया, जो केवल
"पात्र असेसी" पर लागू होती है।

Read in English

पृष्ठभूमि

विवाद उस वित्तीय वर्ष से जुड़ा था जिसमें मूल्यांकन अधिकारी ने क्लासिक लीजेंड्स द्वारा अपनी संबद्ध कंपनियों के साथ किए गए अंतरराष्ट्रीय लेनदेन की जांच के लिए ट्रांसफर प्राइसिंग ऑफिसर (टीपीओ) को संदर्भ भेजा था। टीपीओ ने जांच के बाद आदेश पारित किया कि ये लेनदेन आर्म्स लेंथ प्राइस (बाजार दर) पर हुए हैं और किसी प्रकार का समायोजन आवश्यक नहीं है।

Read also:- सिख जोड़ों को बड़ी राहत, सुप्रीम कोर्ट ने राज्यों को आनंद कारज विवाह का पंजीकरण कराने का आदेश दिया

इसके बावजूद मूल्यांकन अधिकारी ने धारा 144C के तहत ड्राफ्ट मूल्यांकन आदेश जारी कर दिया, और फिर अंतिम मूल्यांकन आदेश व धारा 156 के तहत डिमांड नोटिस के साथ-साथ धारा 270A और 271AAC के तहत दंड नोटिस भी जारी कर दिए।

अदालत की टिप्पणियां

राजस्व विभाग की दलीलें अदालत को प्रभावित नहीं कर सकीं। सरकार का कहना था कि एक बार टीपीओ को संदर्भ भेज दिया जाए तो असेसी को धारा 144C के तहत "पात्र" माना जाना चाहिए, भले ही कोई परिवर्तन प्रस्तावित न किया गया हो। उसने यह भी तर्क दिया कि “परिवर्तन” का मतलब "कोई परिवर्तन नहीं" भी हो सकता है।

न्यायाधीशों ने इस व्याख्या को सिरे से खारिज कर दिया। पीठ ने टिप्पणी की, “जब कोई परिवर्तन नहीं है तो असेसी के हितों को कोई क्षति नहीं होती,

“जब कोई परिवर्तन नहीं है तो असेसी के हितों को कोई क्षति नहीं होती, " और कहा कि धारा 144C(1) स्पष्ट रूप से कहती है कि केवल तब ही यह प्रक्रिया लागू होगी जब "असेसी के हितों के प्रतिकूल कोई परिवर्तन" हो।

Read also:- जॉली एलएलबी 3 की रिलीज़ से पहले दिल्ली हाई कोर्ट ने 24 पायरेसी वेबसाइटों पर रोक लगाई

उन्होंने यह भी कहा कि क्लासिक लीजेंड्स धारा 144C में बताई गई दूसरी श्रेणी — यानी विदेशी कंपनियों या अनिवासी संस्थाओं — में भी नहीं आती। गुजरात हाईकोर्ट (पंकज एक्सट्रूज़न लिमिटेड) और दिल्ली हाईकोर्ट (होंडा कार्स इंडिया लिमिटेड) के फैसलों का हवाला देते हुए न्यायाधीशों ने कहा कि इन मामलों में पहले ही स्पष्ट किया जा चुका है कि जब टीपीओ कोई परिवर्तन प्रस्तावित नहीं करता, तब धारा 144C लागू नहीं होती।

पीठ ने कहा,

"परिभाषा में 'means' शब्द का प्रयोग यह दिखाता है कि यह सख्त और निश्चित परिभाषा है," और दोहराया कि "पात्र असेसी" की परिभाषा को व्याख्या के ज़रिए बढ़ाया नहीं जा सकता।

Read also:- छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट ने बिना मान्यता वाले प्ले स्कूलों पर राज्य को फटकार लगाई, सख्त अनुपालन का आदेश दिया

निर्णय

सुनवाई का समापन करते हुए अदालत ने कहा कि मूल्यांकन अधिकारी ने अधिकार क्षेत्र से बाहर जाकर कार्रवाई की। अदालत ने 8 मार्च 2025 का ड्राफ्ट मूल्यांकन आदेश, 7 अप्रैल 2025 का अंतिम मूल्यांकन आदेश, उससे संबंधित डिमांड नोटिस और दंड नोटिस - सभी को रद्द कर दिया।

इस तरह क्लासिक लीजेंड्स द्वारा दायर रिट याचिका को स्वीकार कर लिया गया। पीठ ने कहा,

"रूल उपरोक्त शर्तों में पूर्ण रूप से मंजूर किया जाता है," और किसी भी पक्ष को लागत नहीं दी।

केस का शीर्षक: क्लासिक लीजेंड्स प्राइवेट लिमिटेड बनाम असेसमेंट यूनिट एवं अन्य

केस संख्या: रिट याचिका (एल) संख्या 14748/2025

निर्णय की तिथि: 9 सितंबर 2025

Advertisment

Recommended Posts