मोटरसाइकिल निर्माता क्लासिक लीजेंड्स प्राइवेट लिमिटेड को बड़ी राहत देते हुए बॉम्बे हाईकोर्ट ने कंपनी के खिलाफ जारी कई आयकर मूल्यांकन आदेशों और दंड नोटिसों को रद्द कर दिया है। न्यायमूर्ति बी. पी. कोलाबावाला और अमित एस. जमसंदेकर की खंडपीठ ने माना कि मूल्यांकन अधिकारी ने आयकर अधिनियम की धारा 144C का गलत तरीके से इस्तेमाल किया, जो केवल
"पात्र असेसी" पर लागू होती है।
पृष्ठभूमि
विवाद उस वित्तीय वर्ष से जुड़ा था जिसमें मूल्यांकन अधिकारी ने क्लासिक लीजेंड्स द्वारा अपनी संबद्ध कंपनियों के साथ किए गए अंतरराष्ट्रीय लेनदेन की जांच के लिए ट्रांसफर प्राइसिंग ऑफिसर (टीपीओ) को संदर्भ भेजा था। टीपीओ ने जांच के बाद आदेश पारित किया कि ये लेनदेन आर्म्स लेंथ प्राइस (बाजार दर) पर हुए हैं और किसी प्रकार का समायोजन आवश्यक नहीं है।
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इसके बावजूद मूल्यांकन अधिकारी ने धारा 144C के तहत ड्राफ्ट मूल्यांकन आदेश जारी कर दिया, और फिर अंतिम मूल्यांकन आदेश व धारा 156 के तहत डिमांड नोटिस के साथ-साथ धारा 270A और 271AAC के तहत दंड नोटिस भी जारी कर दिए।
अदालत की टिप्पणियां
राजस्व विभाग की दलीलें अदालत को प्रभावित नहीं कर सकीं। सरकार का कहना था कि एक बार टीपीओ को संदर्भ भेज दिया जाए तो असेसी को धारा 144C के तहत "पात्र" माना जाना चाहिए, भले ही कोई परिवर्तन प्रस्तावित न किया गया हो। उसने यह भी तर्क दिया कि “परिवर्तन” का मतलब "कोई परिवर्तन नहीं" भी हो सकता है।
न्यायाधीशों ने इस व्याख्या को सिरे से खारिज कर दिया। पीठ ने टिप्पणी की, “जब कोई परिवर्तन नहीं है तो असेसी के हितों को कोई क्षति नहीं होती,
“जब कोई परिवर्तन नहीं है तो असेसी के हितों को कोई क्षति नहीं होती, " और कहा कि धारा 144C(1) स्पष्ट रूप से कहती है कि केवल तब ही यह प्रक्रिया लागू होगी जब "असेसी के हितों के प्रतिकूल कोई परिवर्तन" हो।
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उन्होंने यह भी कहा कि क्लासिक लीजेंड्स धारा 144C में बताई गई दूसरी श्रेणी — यानी विदेशी कंपनियों या अनिवासी संस्थाओं — में भी नहीं आती। गुजरात हाईकोर्ट (पंकज एक्सट्रूज़न लिमिटेड) और दिल्ली हाईकोर्ट (होंडा कार्स इंडिया लिमिटेड) के फैसलों का हवाला देते हुए न्यायाधीशों ने कहा कि इन मामलों में पहले ही स्पष्ट किया जा चुका है कि जब टीपीओ कोई परिवर्तन प्रस्तावित नहीं करता, तब धारा 144C लागू नहीं होती।
पीठ ने कहा,
"परिभाषा में 'means' शब्द का प्रयोग यह दिखाता है कि यह सख्त और निश्चित परिभाषा है," और दोहराया कि "पात्र असेसी" की परिभाषा को व्याख्या के ज़रिए बढ़ाया नहीं जा सकता।
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निर्णय
सुनवाई का समापन करते हुए अदालत ने कहा कि मूल्यांकन अधिकारी ने अधिकार क्षेत्र से बाहर जाकर कार्रवाई की। अदालत ने 8 मार्च 2025 का ड्राफ्ट मूल्यांकन आदेश, 7 अप्रैल 2025 का अंतिम मूल्यांकन आदेश, उससे संबंधित डिमांड नोटिस और दंड नोटिस - सभी को रद्द कर दिया।
इस तरह क्लासिक लीजेंड्स द्वारा दायर रिट याचिका को स्वीकार कर लिया गया। पीठ ने कहा,
"रूल उपरोक्त शर्तों में पूर्ण रूप से मंजूर किया जाता है," और किसी भी पक्ष को लागत नहीं दी।
केस का शीर्षक: क्लासिक लीजेंड्स प्राइवेट लिमिटेड बनाम असेसमेंट यूनिट एवं अन्य
केस संख्या: रिट याचिका (एल) संख्या 14748/2025
निर्णय की तिथि: 9 सितंबर 2025