नई दिल्ली, 19 सितम्बर- सुप्रीम कोर्ट ने आज वोडाफोन आइडिया द्वारा एडजस्टेड ग्रॉस रेवेन्यू (AGR) बकाया को लेकर दायर नई याचिका पर गहरी शंका जताई और कहा कि यह लंबे समय से चल रहा विवाद “कहीं न कहीं खत्म होना चाहिए।” मुख्य न्यायाधीश बी.आर. गवई, न्यायमूर्ति के. विनोद चंद्रन और न्यायमूर्ति एन.वी. अंजरिया की पीठ ने फिलहाल मामले को खारिज तो नहीं किया, लेकिन साफ संकेत दिया कि एक बार तय हुए मुद्दे को फिर से खोलना आसान नहीं होगा।
पृष्ठभूमि
टेलीकॉम दिग्गज ने दूरसंचार विभाग (DoT) द्वारा 2016–17 अवधि के लिए उठाई गई अतिरिक्त ₹5,606 करोड़ की मांग को दोबारा चुनौती दी है। वोडाफोन का तर्क है कि ये देनदारियां पहले ही सुप्रीम कोर्ट के 2019 के फैसले से “क्रिस्टलाइज” हो चुकी हैं, जिसमें सरकार की एजीआर की व्यापक परिभाषा-जिसे लाइसेंस शुल्क तय करने के लिए उपयोग किया जाता है-को बरकरार रखा गया था। 2019 के उसी फैसले में किराया और ब्याज जैसी गैर-मुख्य आय को भी शामिल कर लिया गया, जिसने पूरे टेलीकॉम सेक्टर को हिला दिया और कंपनियों पर 1.4 लाख करोड़ रुपये से ज्यादा चुकाने का दबाव बना। बाद की समीक्षा और क्यूरेटिव याचिकाएं 2020 में खारिज कर दी गईं और ऑपरेटरों को बकाया चुकाने के लिए दस साल का समय दिया गया।
अदालत की टिप्पणियां
शुरुआत में ही केंद्र सरकार की ओर से पेश सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने थोड़े समय का स्थगन मांगा, यह कहते हुए कि सरकार- जो अब वोडाफोन में 50% हिस्सेदारी रखती है- कंपनी के साथ मिलकर “व्यावहारिक समाधान” खोजने की कोशिश कर रही है। वरिष्ठ अधिवक्ता मुकुल रोहतगी ने “बदले हालात” का हवाला देते हुए इस मांग का समर्थन किया।
लेकिन पीठ सख्त दिखी। मुख्य न्यायाधीश गवई ने कहा, “उन चार याचिकाओं में जो आदेश दिया गया है, उसमें कार्यवाही को कहीं न कहीं अंतिम रूप देना होगा,” और उन्होंने इस वाक्य को दोहराया भी। उन्होंने साफ कहा, “पिछली पीठ का जो आदेश था… हमने वह आदेश देखा है।”
रोहतगी ने अंतर बताने की कोशिश करते हुए कहा, “मैं आज जो मुद्दा लेकर आया हूं उसका पुराने केस से कोई लेना-देना नहीं है,” वहीं मेहता ने जवाब दिया कि “हालात बदल गए हैं,” खासकर कंपनी की वित्तीय और स्वामित्व संरचना में।
Read also:- नाबालिग से बलात्कार के दोषी केरल के पादरी की सजा सुप्रीम कोर्ट ने रोकी, अपील लंबित रहने तक जमानत मंजूर
मुख्य न्यायाधीश ने सुना लेकिन पुराने विवाद को दोबारा खोलने को लेकर गर्मजोशी नहीं दिखाई। उन्होंने फिर दोहराया, “कहीं न कहीं अंतिम रूप देना होगा,” यह संकेत देते हुए कि पहले से बंद दरवाजे को दोबारा खोलना आसान नहीं होगा।
फैसला
संक्षिप्त बहस के बाद पीठ ने वोडाफोन और सरकार के बीच संभावित समझौते के लिए समय देते हुए मामले को अगले शुक्रवार के लिए सूचीबद्ध कर दिया। कोई अंतरिम राहत नहीं दी गई और सुप्रीम कोर्ट ने सुनवाई यह कहकर समाप्त की कि पिछली कार्यवाहियों का आदेश अगली दलीलों में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगा।
मामला: वोडाफोन आइडिया लिमिटेड बनाम भारत संघ - एजीआर बकाया विवाद
मामला संख्या: डब्ल्यू.पी.(सी) संख्या 882/2025