Logo
Court Book - India Code App - Play Store

advertisement

नाबालिग से बलात्कार के दोषी केरल के पादरी की सजा सुप्रीम कोर्ट ने रोकी, अपील लंबित रहने तक जमानत मंजूर

Vivek G.

सुप्रीम कोर्ट ने नाबालिग से बलात्कार के दोषी केरल पादरी एडविन पिगारेज़ की सजा रोकी, अपील लंबित रहने तक जमानत दी।

नाबालिग से बलात्कार के दोषी केरल के पादरी की सजा सुप्रीम कोर्ट ने रोकी, अपील लंबित रहने तक जमानत मंजूर

भारत के सर्वोच्च न्यायालय ने केरल के कैथोलिक पादरी फादर एडविन पिगारेज़ की सजा को निलंबित कर दिया है, जिन्हें एक नाबालिग प्रार्थनार्थी से बार-बार बलात्कार के मामले में दोषी ठहराया गया था। मुख्य न्यायाधीश बी.आर. गवई और न्यायमूर्ति के. विनोद चंद्रन की खंडपीठ ने 17 सितंबर को आदेश जारी कर उनकी जमानत पर रिहाई की अनुमति दी, जबकि उनकी सजा और दोषसिद्धि के खिलाफ दायर अपील अभी लंबित है।

Read in English

पृष्ठभूमि

यह मामला वर्ष 2015 का है, जब पिगारेज़ एर्नाकुलम में एक चर्च के विकर के रूप में सेवा कर रहे थे। उन पर 14 वर्षीय बच्ची, जो चर्च की ही प्रार्थनार्थी थी, के साथ यौन शोषण का आरोप लगा। अतिरिक्त सत्र न्यायालय ने 2016 में उन्हें भारतीय दंड संहिता और पॉक्सो (POCSO) अधिनियम की धाराओं के तहत दोषी ठहराया।

Read also: तलाक के बाद प्रक्रिया के दुरुपयोग का हवाला देते हुए सुप्रीम कोर्ट ने नितिन अहलुवालिया पर दहेज क्रूरता

फरवरी 2024 में केरल उच्च न्यायालय ने दोषसिद्धि को बरकरार रखा, लेकिन सजा में बदलाव किया। आजीवन कारावास की जगह अदालत ने 20 वर्ष का कठोर कारावास (बिना किसी छूट के) सुनाया। पादरी अपनी गिरफ्तारी के बाद से जेल में हैं और लगभग दस वर्ष की सजा काट चुके हैं।

अदालत की टिप्पणियाँ

सुनवाई के दौरान वरिष्ठ अधिवक्ता आर. बसंत ने पादरी की ओर से पैरवी की, जबकि वरिष्ठ अधिवक्ता पी.वी. सुरेंद्रनाथ ने राज्य का पक्ष रखा। बचाव पक्ष ने दलील दी कि पिगारेज़ पहले ही लगभग 10 वर्ष जेल में बिता चुके हैं, जो कि अपराध के लिए न्यूनतम अनिवार्य सजा है।

वहीं अभियोजन पक्ष ने जमानत याचिका का कड़ा विरोध किया और कहा, “आवेदक को लगातार एक जघन्य अपराध का दोषी ठहराया गया है।”

Read also: सुप्रीम कोर्ट अगले हफ्ते NEET-PG में ट्रांसजेंडर उम्मीदवारों के लिए आरक्षित सीटों पर सुनवाई करेगा

मामले की समीक्षा के बाद पीठ ने यह उल्लेख किया कि यदि उच्च न्यायालय द्वारा सुनाई गई 20 वर्ष की सजा भी मान ली जाए, तो भी पादरी उसका आधा हिस्सा पहले ही पूरा कर चुके हैं।

पीठ ने कहा, “भारतीय दंड संहिता की धारा 376(2)(i) और (n) के अनुसार, इस अपराध के लिए आजीवन कारावास तक की सजा दी जा सकती है, लेकिन न्यूनतम सजा 10 वर्ष है। आवेदक लगभग 10 वर्ष से कैद में है। ऐसे में हम उनकी सजा निलंबित करने के पक्ष में हैं।”

निर्णय

अदालत ने आदेश दिया कि सत्र मामला संख्या 203/2016 में पिगारेज़ को जमानत पर रिहा किया जाए, बशर्ते कि परीक्षण अदालत उचित शर्तें तय करे। इस आदेश के साथ फिलहाल पादरी जेल से बाहर आ जाएंगे, लेकिन कानूनी लड़ाई अभी बाकी है। उनकी अपील, जिसमें उन्होंने दोषसिद्धि और सजा दोनों को चुनौती दी है, सुप्रीम कोर्ट में आगे सुनी जाएगी।

मामला: फादर एडविन पिगारेज़ बनाम केरल राज्य एवं अन्य

आदेश की तिथि: 17 सितंबर, 2025

Advertisment

Recommended Posts