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इलाहाबाद हाईकोर्ट ने उचित मूल्य दुकान के नए आवंटी को अपील आदेश को चुनौती देने की अनुमति दी

Court Book (Admin)

वीरेंद्र सिंह बनाम उत्तर प्रदेश राज्य एवं 4 अन्य - इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने उचित मूल्य की नई दुकान आवंटी को अपील आदेश को चुनौती देने की अनुमति दी, तथा छह सप्ताह के भीतर नए सिरे से सुनवाई का निर्देश दिया।

इलाहाबाद हाईकोर्ट ने उचित मूल्य दुकान के नए आवंटी को अपील आदेश को चुनौती देने की अनुमति दी

इलाहाबाद हाईकोर्ट से गुरुवार को आए एक अहम फैसले में न्यायमूर्ति प्रकाश पडिया ने मथुरा जिले की एक उचित मूल्य दुकान के नए आवंटी को बड़ी राहत दी। अदालत ने आवंटी को पहले के अपीलीय आदेश को चुनौती देने की अनुमति दे दी - लेकिन फिलहाल उस आदेश को रद्द नहीं किया। इस कदम से मौजूदा व्यवस्था को छेड़े बिना एक नई सुनवाई का रास्ता खुल गया है।

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पृष्ठभूमि

यह मामला मथुरा के छाता क्षेत्र की एक उचित मूल्य दुकान के संचालन को लेकर विवाद से जुड़ा है। जब स्थानीय उप-जिला अधिकारी ने उत्तरदाता संख्या-5 योगेन्द्र पाल का लाइसेंस रद्द कर दिया, तब यह दुकान याचिकाकर्ता वीरेंद्र सिंह को आवंटित कर दी गई।

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बाद में पाल ने आगरा मंडल के अपर आयुक्त (प्रशासन) के समक्ष अपील की, जिन्होंने 12 अगस्त 2025 को रद्दीकरण आदेश को पलट दिया। सिंह, जो तब से दुकान चला रहे थे, हाईकोर्ट पहुंचे और कहा कि उन्हें इस अपील की जानकारी तक नहीं दी गई, जबकि वे सीधे प्रभावित पक्ष थे।

अदालत की टिप्पणियां

न्यायमूर्ति पडिया ने माना कि याचिकाकर्ता एक "पश्चात आवंटी" हैं और इसलिए उन्हें अपीलीय प्राधिकारी के सामने सुनवाई का अवसर दिया जाना चाहिए था। उन्होंने कहा,

"रिकॉर्ड से स्पष्ट है कि अपीलीय प्राधिकारी ने आदेश पारित करने से पहले याचिकाकर्ता को सुनवाई का अवसर नहीं दिया।"

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पीठ ने कई फैसलों का हवाला दिया - जिनमें 27 अगस्त 2025 को आया हीरामणि यादव बनाम उत्तर प्रदेश राज्य तथा सुप्रीम कोर्ट का राम कुमार बनाम उत्तर प्रदेश राज्य (2023) भी शामिल है - जिनमें कहा गया था कि भले ही बाद में नियुक्त आवंटी का स्वतंत्र दावा न हो, फिर भी उन्हें अपने पद की रक्षा के लिए सुनवाई का अधिकार है।

पीठ ने कहा,

"भले ही किसी पश्चात आवंटी का स्वतंत्र अधिकार न हो, उसे सुने जाने और रद्दीकरण आदेश के समर्थन में अपने पक्ष रखने का अधिकार होता है," आदेश में दर्ज किया गया।

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फैसला

हाईकोर्ट ने 12 अगस्त के आदेश को रद्द किए बिना सिंह की याचिका का निपटारा करते हुए विशेष निर्देश दिया: वे तीन हफ्तों के भीतर अपीलीय प्राधिकारी के समक्ष पक्षकार बनाए जाने (इम्प्लीडमेंट) के लिए आवेदन दे सकते हैं और अपने आपत्तिपत्र भी जमा कर सकते हैं।

अपीलीय प्राधिकारी को कहा गया है कि वह सभी प्रभावित पक्षों को सुनने के बाद इस मामले का "यथाशीघ्र और अधिमानतः छह हफ्तों के भीतर" निस्तारण करें। तब तक 12 अगस्त का आदेश इस नए निर्णय के परिणाम पर निर्भर रहेगा।

इस प्रकार हाईकोर्ट ने फिलहाल इस विवाद को स्थगित कर दिया है और सुनिश्चित किया है कि नए आवंटी को अब आखिरकार अपना पक्ष रखने का मौका मिलेगा।

केस का शीर्षक: वीरेंद्र सिंह बनाम उत्तर प्रदेश राज्य एवं 4 अन्य

केस संख्या: Writ - C No. 30438 of 2025

याचिकाकर्ता के वकील:- दीपक कुमार उपाध्याय, उपेन्द्र उपाध्याय

प्रतिवादी के वकील:- श्री संजीव सिंह, श्री अविनाश चंद्र श्रीवास्तव, श्री राजेश कुमार यादव

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