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सुप्रीम कोर्ट ने GMR कमलांगा मामले में हरियाणा यूटिलिटीज़ की याचिका खारिज की, समानुपातिक कोयला बंटवारे को बरकरार रखा

Vivek G.

सुप्रीम कोर्ट ने GMR कमलांगा मामले में हरियाणा यूटिलिटीज़ की याचिका खारिज की, समानुपातिक कोयला बंटवारे को बरकरार रखा

ऊर्जा क्षेत्र के विवादों पर एक अहम फ़ैसले में सुप्रीम कोर्ट ने हरियाणा पावर परचेज़ सेंटर (HPPC) और अन्य की अपीलें खारिज कर दीं। ये अपीलें अपीलीय विद्युत न्यायाधिकरण (APTEL) और केंद्रीय विद्युत विनियामक आयोग (CERC) के आदेशों के ख़िलाफ़ दायर की गई थीं। विवाद जीएमआर कमलांगा एनर्जी लिमिटेड (GKEL) की कोयला आपूर्ति और अतिरिक्त शुल्क दावों को लेकर था।

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पृष्ठभूमि

मामला लंबे समय के पावर परचेज़ एग्रीमेंट्स (PPAs) से जुड़ा है, जो जीकेईएल ने हरियाणा, ओडिशा (ग्रिडको) और बिहार की यूटिलिटीज़ के साथ किए थे। ओडिशा स्थित जीकेईएल का पावर प्रोजेक्ट मूल रूप से केंद्र सरकार द्वारा दिए गए फ़र्म कोल लिंक और टेपिंग लिंक पर आधारित था। लेकिन कोयले की आपूर्ति में कमी आने पर कंपनी को महंगा आयातित और बाज़ार से कोयला खरीदना पड़ा। इसके चलते जीकेईएल ने हरियाणा यूटिलिटीज़ से “क़ानून में बदलाव” (Change in Law) के तहत अतिरिक्त राशि की मांग की।

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सीईआरसी ने जीकेईएल के दावे को सही ठहराते हुए भुगतान का आदेश दिया। लेकिन हरियाणा यूटिलिटीज़ ने दलील दी कि टेपिंग कोयले की लागत केवल ओडिशा (ग्रिडको) और बिहार को ही उठानी चाहिए। एपीटेल ने सीईआरसी के आदेश को बरकरार रखा, जिसके बाद मामला सुप्रीम कोर्ट पहुँचा।

अदालत की टिप्पणियाँ

मुख्य न्यायाधीश बी.आर. गवई ने निर्णय सुनाते हुए कहा कि सीईआरसी और एपीटेल दोनों ने सभी साक्ष्यों की जाँच के बाद समान निष्कर्ष निकाला है। अदालत ने कहा, “जब सीईआरसी और एपीटेल जैसे विशेषज्ञ निकाय एक समान दृष्टिकोण रखते हैं, तो अदालत को उनके निर्णय में तभी दख़ल देना चाहिए जब वह मनमाना या ग़ैरक़ानूनी हो।”

बेंच ने स्पष्ट किया कि कोयले का आवंटन पूरे जीकेईएल प्रोजेक्ट के लिए किया गया था, न कि किसी विशेष राज्य के पीपीए के लिए। महानदी कोलफ़ील्ड्स लिमिटेड की चिट्ठियों का हवाला देते हुए अदालत ने कहा कि कोयला कुल अनुबंधित क्षमता के आधार पर जारी किया गया था, राज्य-विशेष आधार पर नहीं।

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अदालत ने हरियाणा द्वारा पहले से तय मुद्दों को दोबारा उठाने की कोशिश की भी निंदा की। “हरियाणा यूटिलिटीज़ पहले के आदेशों की मनमानी व्याख्या नहीं कर सकतीं। सभी तीनों राज्यों में समानुपातिक आधार पर कोयला बाँटना ही न्यायसंगत और संतुलित है,” बेंच ने कहा।

फ़ैसला

सुप्रीम कोर्ट ने हरियाणा यूटिलिटीज़ की अपील खारिज कर दी। अदालत ने स्पष्ट किया कि कोयले की आपूर्ति-चाहे वह फ़र्म लिंक, टेपिंग लिंक या वैकल्पिक स्रोतों से हो—हरियाणा, बिहार और ओडिशा के बीच समानुपातिक (प्रो-राटा) आधार पर बाँटी जाएगी। अब यूटिलिटीज़ को जीकेईएल के अतिरिक्त बिलों का भुगतान मूल पीपीए के अनुसार ब्याज समेत करना होगा।

केस का शीर्षक: हरियाणा पावर परचेज सेंटर (HPPC) एवं अन्य बनाम GMR कमलांगा एनर्जी लिमिटेड एवं अन्य

केस संख्या: सिविल अपील संख्या 1929/2020 एवं संबंधित अपीलें

निर्णय तिथि: 2025 (2025 आईएनएससी 1079 के रूप में रिपोर्ट किया गया)

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