राजस्थान हाईकोर्ट, जयपुर बेंच ने सोमवार को भारतीय बार काउंसिल को अधिवक्ता भगिरथ सिंह चौहान की याचिका पर जवाब देने का निर्देश दिया। चौहान का आरोप है कि उनका नाम ऑल इंडिया बार एग्ज़ामिनेशन (AIBE) की असफल उम्मीदवारों की सूची में गलत तरीके से डाल दिया गया।
पृष्ठभूमि
चौहान, जिनका प्रतिनिधित्व अधिवक्ता प्रहलाद शर्मा और श्रवण सैनी ने किया, ने दलील दी कि वे नियमित रूप से प्रैक्टिस करने वाले वकील और बार के सक्रिय सदस्य हैं, फिर भी उन्हें प्रैक्टिस का प्रमाणपत्र नहीं दिया गया। उनके वकील ने बताया कि चौहान ने अक्टूबर 2012 में अधिवक्ता के रूप में नामांकन कराया, निर्धारित शुल्क जमा किया और दिसंबर 2012 में AIBE परीक्षा दी, जिसमें वे उत्तीर्ण घोषित हुए। उनका नामांकन नंबर R-1942/2012 था।
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फिर भी, अक्टूबर 2022 में बार काउंसिल की सूची में उनका नाम सफल उम्मीदवारों से हटा दिया गया और असफल घोषित कर दिया गया। बाद में, 23 जुलाई 2025 को प्राधिकरण ने प्रैक्टिस का प्रमाणपत्र जारी करने से इनकार कर दिया, जिसे चौहान ने "मनमाना और अनुचित" बताया।
न्यायमूर्ति समीर जैन ने दलीलों को सुनने के बाद कहा,
"यदि याचिकाकर्ता ने वास्तव में 2012 में परीक्षा उत्तीर्ण की है जैसा कि दावा किया गया है, तो प्रमाणपत्र न देना गंभीर प्रश्न खड़े करता है।"
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अदालत ने इस मुद्दे को गंभीर मानते हुए बार काउंसिल से साक्ष्यों सहित स्पष्टीकरण मांगा।
अदालत ने प्रतिवादियों को नोटिस जारी किया और मामले की शीघ्रता के लिए 'दस्ती' सेवा की अनुमति दी। साथ ही निर्देश दिया कि बार काउंसिल का एक जिम्मेदार अधिकारी अगली सुनवाई में, चाहे व्यक्तिगत रूप से या वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से, सभी संबंधित दस्तावेजों के साथ उपस्थित हो।
मामला अब 9 सितंबर 2025 को सूचीबद्ध किया गया है।
केस का शीर्षक: भागीरथ सिंह चौहान बनाम बार काउंसिल ऑफ इंडिया
केस संख्या: S.B. Civil Writ Petition No. 12233/2025