भूमि अधिग्रहण विवादों के सुस्त निपटारे को रेखांकित करते हुए, बिलासपुर स्थित छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट ने रायगढ़ के उपसंभागीय अधिकारी (राजस्व) को निर्देश दिया कि वे एक लंबित प्रतिवेदन पर तीन माह के भीतर निर्णय लें। यह याचिका दंसेना परिवार के सदस्यों ने दायर की थी, जिन्होंने अपने पुश्तैनी ज़मीन के अधिग्रहण पर तय किए गए मुआवज़े में हिस्सेदारी का दावा किया है।
पृष्ठभूमि
विवादित ज़मीन रायगढ़ जिले के लखा गाँव में स्थित थी, जो मूल रूप से शिवनंदन और उनके भाई रघुनंदन के नाम पर दर्ज थी। रघुनंदन की कोई संतान नहीं थी, जबकि शिवनंदन के तीन बेटियाँ और दो बेटे थे। याचिकाकर्ताओं के अनुसार, यह ज़मीन कई साल पहले राज्य के केलो प्रोजेक्ट के लिए अधिग्रहित की गई थी और लगभग ₹75 लाख का मुआवज़ा तय हुआ था।
लेकिन यह राशि केवल एक बेटे, दिवंगत पालू राम, के बैंक खातों में जमा कर दी गई, जिससे अन्य कानूनी वारिसों को बाहर कर दिया गया। पद्मावती @ मंतोरा दंसेना, नंदराम दंसेना और गायवती दंसेना ने अदालत का दरवाज़ा खटखटाया, यह कहते हुए कि बार-बार आवेदन देने के बावजूद राजस्व अधिकारियों ने अब तक राशि का बंटवारा नहीं किया।
उनके वकील राहुल मिश्रा ने दलील दी, अधिकारियों ने बार-बार पटवारी से रिपोर्ट मंगाई लेकिन अंतिम आदेश कभी नहीं दिया, और यह भी कहा कि भूमि अधिग्रहण अधिनियम, 1894 की धारा 30 ऐसे विवादों को सक्षम न्यायालय में भेजने की अनुमति देती है।
अदालत की टिप्पणियाँ
न्यायमूर्ति अरविंद कुमार वर्मा ने दोनों पक्षों की दलीलें सुनने के बाद स्थानीय राजस्व अधिकारियों की लापरवाही को गंभीर माना।
पीठ ने कहा,
"याचिकाकर्ता किसी विशेष आदेश को चुनौती नहीं दे रहे बल्कि प्रतिवादी क्रमांक 3 की मनमानी व निष्क्रियता को चुनौती दे रहे हैं, जिसने बिना बंटवारे के मुआवज़े को रोक रखा है।"
राज्य की ओर से पेश हुईं अधिवक्ता पूरवा तिवारी ने कहा कि प्राधिकरण कानून के अनुसार प्रतिवेदन पर विचार करने के लिए तैयार है, लेकिन पीठ ने एक निश्चित समयसीमा तय करने पर ज़ोर दिया।
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निर्णय
मामले का निपटारा करते हुए हाईकोर्ट ने आदेश दिया कि रायगढ़ के उपसंभागीय अधिकारी (राजस्व) एवं भूमि अधिग्रहण अधिकारी लंबित प्रतिवेदन पर तीन माह के भीतर निर्णय लें। अदालत ने स्पष्ट किया कि यह निर्णय लागू नियमों और प्रावधानों के तहत ही होना चाहिए।
इसी निर्देश के साथ याचिका का निस्तारण कर दिया गया, जिससे वर्षों से प्रतीक्षा कर रहे दंसेना परिवार को अब समाधान की उम्मीद जगी है।
केस का शीर्षक: पद्मावती @ मंटोरा डनसेना एवं अन्य बनाम छत्तीसगढ़ राज्य एवं अन्य
केस संख्या: WPC No. 4678 of 2025