गुजरात हाईकोर्ट ने बुधवार को स्वयंभू धर्मगुरु आसाराम बापू की उस याचिका पर संक्षिप्त सुनवाई की, जिसमें उन्होंने अपनी अस्थायी जमानत बढ़ाने की मांग की थी। यह मामला अहमदाबाद में न्यायमूर्ति इलेश जे. वोरा और न्यायमूर्ति पी. एम. रावल की खंडपीठ के सामने आया।
पृष्ठभूमि
आसाराम, जिनका पूरा नाम अशुमल @ आशाराम हरपालानी है, यौन उत्पीड़न मामलों में दोषसिद्धि के बाद जेल में हैं। पिछले कुछ वर्षों में उन्होंने बार-बार स्वास्थ्य संबंधी समस्याओं का हवाला देकर मेडिकल जमानत या विस्तार मांगा है। पहले भी अदालत ने उन्हें सीमित अवधि के लिए अस्थायी जमानत दी थी। अब उनकी कानूनी टीम ने और विस्तार की मांग की है।
बुधवार को याचिका उनके वकील श्री अशिष एम. दागली के माध्यम से दायर की गई, जबकि राज्य की ओर से लोक अभियोजक पेश हुए।
सुनवाई बेहद संक्षिप्त रही। याचिकाकर्ता की ओर से अधिवक्ता श्री धर्मेंद्रकुमार मिश्रा ने पीठ से मामले को स्थगित करने का अनुरोध किया। न्यायाधीशों ने फिलहाल जमानत विस्तार की दलीलों पर कोई विचार किए बिना अनुरोध स्वीकार कर लिया।
पीठ ने कहा, अधिवक्ता के अनुरोध पर मामला 22.09.2025 को सूचीबद्ध किया जाएगा, आदेश में दर्ज है। इस दौरान मेडिकल रिपोर्ट या जमानत के आधारों पर कोई चर्चा नहीं हुई।
इस प्रकार, न्यायमूर्ति वोरा और न्यायमूर्ति रावल की खंडपीठ ने आदेश दिया कि आसाराम द्वारा दायर अस्थायी जमानत विस्तार की याचिका पर अगली सुनवाई 22 सितंबर 2025 को होगी।
केस का शीर्षक: आशुमल @ आशाराम पुत्र थाउमल सिंधी (हरपलानी) बनाम गुजरात राज्य और अन्य।