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मद्रास हाईकोर्ट ने तिरुनेलवेली मामले में सार्वजनिक संसाधनों तक समान पहुँच पर दिया ज़ोर

Vivek G.

सरकारी अधिकारियों की त्वरित कार्रवाई की सराहना करते हुए, अदालत ने याचिका का निपटारा कर दिया और अधिकारियों से आग्रह किया कि इस अभियान को पूरे जोश और ईमानदारी से आगे बढ़ाया जाए, “बिना किसी कमी या समझौते के।”

मद्रास हाईकोर्ट ने तिरुनेलवेली मामले में सार्वजनिक संसाधनों तक समान पहुँच पर दिया ज़ोर

मदुरै बेंच ऑफ मद्रास हाईकोर्ट ने हाल ही के आदेश (26 अगस्त 2025) में ज़ोर दिया कि सार्वजनिक संसाधनों, खासकर पानी की सुविधाओं, तक सभी लोगों की समान पहुँच सुनिश्चित की जाए और किसी तरह का भेदभाव न हो। न्यायमूर्ति डॉ. आर.एन. मंजीला ने यह टिप्पणियाँ थिरुमलाईसामी द्वारा दायर एक आपराधिक अपील याचिका की सुनवाई के दौरान कीं।

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मामले की पृष्ठभूमि

यह याचिका जिला एवं सत्र न्यायालय, तेनकासी (सत्र वाद सं. 281/2025) में दी गई सजा पर रोक और जमानत की मांग को लेकर दायर की गई थी। इस सुनवाई के दौरान अदालत ने व्यापक मुद्दे—जैसे सार्वजनिक संसाधनों तक समान पहुँच और अधिकारियों की संवैधानिक दायित्व निभाने की भूमिका—पर ध्यान केंद्रित किया।

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अतिरिक्त लोक अभियोजक ने अदालत को सूचित किया कि तमिलनाडु सरकार ने पहले के न्यायालय आदेश के अनुपालन में सरकारी आदेश (जी.ओ. सं. 6630/MA.3/2025-1, दिनांक 25.08.2025) जारी किया है। प्रधान सचिव ने सभी ज़िला कलेक्टरों को सख्त निर्देश भेजे हैं कि समान पहुँच सुनिश्चित करने के लिए इन उपायों को पूरी गंभीरता से लागू किया जाए।

अदालत ने कई अहम निर्देश और प्रतिबद्धताओं को दर्ज किया:

  • संसाधनों तक समान पहुँच: “सार्वजनिक संसाधन समुदाय के हर व्यक्ति के लिए बिना किसी भेदभाव के सुलभ होने चाहिए,” अदालत ने कहा और निगरानी समितियाँ बनाने का निर्देश दिया।
  • पर्याप्त जल सुविधा: अधिकारियों को निर्देश दिया गया कि सभी क्षेत्रों में पर्याप्त पानी के नल कनेक्शन उपलब्ध कराए जाएँ ताकि सभी को आसानी से पानी मिल सके।
  • अनुसूचित जाति/जनजाति कानून का अनुपालन: अदालत ने अनुसूचित जाति एवं अनुसूचित जनजाति (अत्याचार निवारण) अधिनियम, 1989 की धारा 21 का पालन करने पर विशेष ज़ोर दिया, खासकर पानी बाँटने के मामलों में।
  • पुलिस की जवाबदेही: पुलिस महानिदेशक ने पहले ही सभी आयुक्तों, पुलिस अधीक्षकों और वरिष्ठ अधिकारियों को न्यायालय के आदेशों का सख्ती से पालन करने के निर्देश जारी कर दिए हैं।

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अदालत ने आगे कहा कि केवल सरकारी कार्रवाई ही नहीं, बल्कि जनता की सोच में बदलाव भी ज़रूरी है। अदालत ने सुझाव दिया कि तेनकासी ज़िले के थलैवांकट्टई गाँव के मॉडल को पूरे ज़िले और पंचायतों में अपनाया जाए, जहाँ युवाओं की समिति “विविधता में एकता” को बढ़ावा देती है।

न्यायमूर्ति मंजीला ने टिप्पणी की:
“भविष्य के नागरिकों को यह सीखना चाहिए कि विविधता में एकता कैसे हासिल की जाए, जो कि हमारा सबसे अहम संवैधानिक सपना है।”

मामला: थिरुमलाइसामी बनाम तमिलनाडु राज्य और अन्य।

दिनांक: 26 अगस्त 2025

केस नंबर: सीआरएल.एम.पी.(एमडी) नंबर 8288 ऑफ 2025 में सीआरएल.ए.(एमडी) नंबर 712 ऑफ 2025

याचिकाकर्ता: तिरुमलाइसामी

उत्तरदाता: तमिलनाडु राज्य (डीएसपी, पुलियांकुडी, तिरुनेलवेली जिले द्वारा प्रतिनिधित्व)
मुनियाम्मल

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