छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट ने सात साल के बच्चे की मौत पर स्वत: संज्ञान लेते हुए चीनी मांझा पर सख्त प्रतिबंध लागू करने के निर्देश दिए

By Court Book • November 4, 2025

छत्तीसगढ़ उच्च न्यायालय ने बच्चे की मौत के बाद चीनी मांझे पर सख्त प्रतिबंध लगाने का निर्देश दिया; राज्य से राज्यव्यापी सतर्कता, जागरूकता और सुरक्षा उपाय लागू करने का आग्रह किया। - दैनिक समाचार पत्र हरिभूमि बनाम छत्तीसगढ़ राज्य एवं अन्य में प्रकाशित समाचार पर आधारित स्वप्रेरणा से दायर जनहित याचिका के मामले में

छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट, बिलासपुर ने सोमवार को चीनी सिंथेटिक मांझा (Chinese Manja) के अवैध उपयोग पर कड़ा रुख अपनाया, जब रायपुर में सात वर्षीय बच्चे की दर्दनाक मौत के बाद अदालत ने स्वत: संज्ञान (suo motu) लेकर जनहित याचिका (PIL) दायर की थी।

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मुख्य न्यायाधीश रमेश सिन्हा और न्यायमूर्ति बिभु दत्ता गुरु की खंडपीठ ने मामले का निपटारा करते हुए राज्य सरकार को निर्देश दिया कि पूरे छत्तीसगढ़ में इस खतरनाक धागे के निर्माण, बिक्री और उपयोग पर पूर्ण प्रतिबंध सुनिश्चित किया जाए।

पृष्ठभूमि

यह मामला तब शुरू हुआ जब हरिभूमि समाचार पत्र ने 20 जनवरी 2025 को एक मार्मिक रिपोर्ट प्रकाशित की - “गले में फंसा धागा, खून से लथपथ बच्चे को ले गए अस्पताल, पर बचा नहीं पाए”। रिपोर्ट में बताया गया कि एक पिता के साथ जा रहा सात वर्षीय मासूम बच्चा मांझे में फंसने से बुरी तरह घायल हुआ और उसकी मौत हो गई। दैनिक भास्कर ने भी बिलासपुर संस्करण में इसी घटना को उजागर किया।

घटना की गंभीरता को देखते हुए हाईकोर्ट ने स्वत: संज्ञान लेते हुए इस समाचार को जनहित के मुद्दे के रूप में लिया और मुख्य सचिव से शपथपत्र मांगा। अदालत ने तत्काल राहत देते हुए पीड़ित परिवार को मुआवजा देने और ऐसी घटनाएं रोकने के लिए ठोस कदम उठाने के निर्देश दिए।

अदालत के अवलोकन:

सुनवाई के दौरान राज्य के अधिवक्ता ने अदालत को बताया कि हाल में चीनी मांझे से जुड़ी कोई नई घटना सामने नहीं आई है और प्रशासन स्थिति पर नज़र रखे हुए है। लेकिन खंडपीठ ने यह स्पष्ट किया कि घटनाओं की अनुपस्थिति आत्मसंतोष का कारण नहीं बननी चाहिए।

पीठ ने टिप्पणी की, “राज्य को सतर्क रहना होगा और अपने नागरिकों की जान एवं सुरक्षा की रक्षा के लिए सभी रोकथाम के कदम अपनाने होंगे।” आदेश में कहा गया, “राज्य अधिकारी बाजार में इसके प्रसार को रोकने के लिए नियमित निरीक्षण और निगरानी करें।” न्यायालय ने यह भी जोड़ा कि जनता में जागरूकता अभियान चलाना उतना ही आवश्यक है, जितना कानून का प्रवर्तन - इसके लिए प्रिंट, इलेक्ट्रॉनिक और सोशल मीडिया का उपयोग किया जाए।

निर्णय

अदालत ने माना कि suo motu कार्यवाही का मुख्य उद्देश्य - सरकार को सक्रिय हस्तक्षेप के लिए प्रेरित करना - काफी हद तक पूरा हो चुका है। खंडपीठ ने कहा, “मामले से विदा लेते हुए हम राज्य अधिकारियों को निर्देश देते हैं कि भविष्य में ऐसी दुर्भाग्यपूर्ण घटनाएं न हों, इसके लिए सभी आवश्यक और प्रभावी कदम उठाएं।”

इसके साथ ही जनहित याचिका का निपटारा करते हुए अदालत ने फाइल को रिकॉर्ड कक्ष में भेजने का निर्देश दिया। हालांकि अदालत ने यह भी स्पष्ट किया कि प्रतिबंधित चीनी मांझा पर सतर्क निगरानी और सख्त प्रवर्तन की जिम्मेदारी राज्य की ही रहेगी।

Case Title: In The Matter Of Suo Moto Public Interest Litigation Based On News Item Published In Daily News Paper Haribhoomi v. State of Chhattisgarh and Ors

Case Number: WPPIL No. 14 of 2025

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