दिल्ली हाईकोर्ट ने DSSSB रोल नंबर बबलिंग विवाद पर अलग-अलग फैसला सुनाया

By Shivam Yadav • August 22, 2025

दिल्ली अधीनस्थ सेवा चयन बोर्ड एवं अन्य बनाम निहारिका पुगन - दिल्ली हाईकोर्ट ने डीएसएसएसबी परीक्षा रोल नंबर गलती पर अलग-अलग फैसला दिया, एक उम्मीदवार को राहत मिली, दूसरी की याचिका खारिज हुई।

दिल्ली हाईकोर्ट ने दो रिट याचिकाओं पर अलग-अलग आदेश दिया है, जिनमें उम्मीदवारों को दिल्ली अधीनस्थ सेवा चयन बोर्ड (DSSSB) ने केवल रोल नंबर गलत "बबल" करने के कारण अयोग्य घोषित कर दिया था। न्यायमूर्ति नवीन चावला और न्यायमूर्ति मधु जैन ने 21 अगस्त 2025 को दिए गए अपने साझा फैसले में स्थिति के आधार पर अलग निष्कर्ष निकाले।

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पृष्ठभूमि: ओएमआर शीट पर बबलिंग की दिक्कत

ये मामले 2017 में सरकारी अध्यापकों की भर्ती परीक्षाओं से जुड़े हैं। सैकड़ों उम्मीदवारों को इस वजह से बाहर कर दिया गया कि उन्होंने अपने रोल नंबर का एक अंक गलत बबल कर दिया, जबकि नंबर अंकों में सही लिखा था। DSSSB ने इस तकनीकी गलती के आधार पर मूल्यांकन से ही इनकार कर दिया।

एक याचिका निहारिका पुगन (W.P.(C) 17595/2024) ने दाखिल की थी, जिन्होंने शारीरिक शिक्षा शिक्षक पद के लिए आवेदन किया था। दूसरी याचिका कुसुम गुप्ता (W.P.(C) 1282/2025) की थी, जिन्होंने टीजीटी विशेष शिक्षा शिक्षक के लिए आवेदन किया था।

अदालत ने दोनों मामलों में बड़ा फर्क बताया। गुप्ता के मामले में DSSSB ने उनकी OMR शीट पहले ही जांच ली थी, उन्हें सफल घोषित भी किया और दस्तावेज़ अपलोड करने को कहा। लेकिन बाद में अचानक रोल नंबर बबलिंग गलती का हवाला देकर परिणाम रद्द कर दिया। इस पर अदालत ने कहा, “जब उत्तरपुस्तिका की जाँच हो चुकी और उम्मीदवार सफल घोषित हो चुका, तब एक छोटी गलती के आधार पर उसे चयन का लाभ नहीं छीन सकते।"

न्यायाधीशों ने DSSSB को आठ हफ्ते के भीतर उन्हें नियुक्ति पत्र देने का आदेश दिया और कहा कि उन्हें वरिष्ठता के हिसाब से लाभ मिलेगा, लेकिन पिछला वेतन नहीं मिलेगा।

वहीं पुगन का मामला अलग निकला। उनकी OMR शीट को शुरू से ही गलत बबलिंग के कारण जांचा ही नहीं गया था। अदालत ने माना कि सालों बाद परिणाम फिर से खोलना और उत्तरपुस्तिका का मूल्यांकन करना “नए विवाद खड़ा करेगा।” इसलिए राहत नहीं दी गई।

परीक्षाओं के लिए व्यापक संदेश

यह फैसला भारतीय प्रतियोगी परीक्षाओं में बार-बार उठने वाली उस समस्या को उजागर करता है, जहां छोटी तकनीकी गलतियों के कारण बड़ी संख्या में उम्मीदवार बाहर हो जाते हैं। DSSSB ने माना कि केवल एक परीक्षा में ही 160 से अधिक उम्मीदवारों को रोल नंबर बबलिंग की गलती से अयोग्य किया गया।

कानूनी विशेषज्ञों का कहना है कि अदालतें मनमाने तरीके से हुई गलतियों को सही करती हैं, लेकिन वे पूरी भर्ती प्रक्रिया में खलल डालने से बचती हैं। जैसा कि पीठ ने कहा, “परीक्षा मूल्यांकन में सहानुभूति नियम-कानून की जगह नहीं ले सकती।”

हजारों अभ्यर्थियों के लिए यह साफ संदेश है कि छोटी गलतियों को कभी-कभी माफ किया जा सकता है, लेकिन परीक्षा के निर्देशों का सख्ती से पालन बेहद ज़रूरी है।

 केस शीर्षक: दिल्ली अधीनस्थ सेवा चयन बोर्ड एवं अन्य बनाम निहारिका पुगन

मामला संख्या: W.P.(C) 17595/2024 एवं CM APPL. 74873/2024

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