17 सितंबर 2025 को हुई फुल कोर्ट मीटिंग में भारत के मुख्य न्यायाधीश और अन्य जजों ने सामूहिक रूप से सात सेवानिवृत्त हाई कोर्ट जजों को सीनियर एडवोकेट का प्रतिष्ठित दर्जा देने का फैसला लिया। यह उपाधि उनके दशकों की न्यायिक सेवा का सम्मान है।
कौन-कौन हुए शामिल
- जस्टिस अत्ताउ रहमान मसूदी – पूर्व जज, इलाहाबाद हाई कोर्ट
- जस्टिस अविनाश घरोटे – पूर्व जज, बॉम्बे हाई कोर्ट
- जस्टिस डी. कृष्ण कुमार – पूर्व मुख्य न्यायाधीश, मणिपुर हाई कोर्ट
- जस्टिस जी. इलंगोवन – पूर्व जज, मद्रास हाई कोर्ट
- जस्टिस जितेंद्र कुमार चौहान – पूर्व जज, पंजाब और हरियाणा हाई कोर्ट
- जस्टिस आर. सुब्रमणियन – पूर्व जज, मद्रास हाई कोर्ट
- जस्टिस वीरेंद्र ग्यानसिंह बिष्ट – पूर्व जज, बॉम्बे हाई कोर्ट
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सीनियर एडवोकेट का दर्जा सिर्फ सम्मान नहीं है। इसका अर्थ है कि अब ये पूर्व जज कानूनी विशेषज्ञ के रूप में पहचाने जाएंगे, जिनकी दलीलें और उपस्थिति अदालत में विशेष महत्व रखेगी। भारतीय न्यायिक व्यवस्था में सीनियर एडवोकेट की राय अक्सर बड़े कानूनी विमर्श को दिशा देती है।
यह फैसला दर्शाता है कि सुप्रीम कोर्ट अनुभवी कानूनी दिमागों की सराहना करता है। सेवानिवृत्त जजों को सीनियर एडवोकेट बनाकर अदालत ने संकेत दिया कि उनकी समझ और अनुभव सेवानिवृत्ति के बाद भी पेशे का मार्गदर्शन करते रहेंगे।
आदेश में साफ लिखा है कि यह दर्जा मीटिंग की तारीख से तुरंत लागू होगा, जिससे ये पूर्व जज बिना देरी के अपनी नई भूमिका शुरू कर सकते हैं।